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पुरुषों में अल्पशुक्राणुता की समस्या

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Published : Aug 29, 2020, 2:30 PM IST

ओलिगोस्पर्मिया या अल्पशुक्राणुता एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पुरुष-वीर्य में लो स्पर्म काउंट या शुक्राणु की कमी हो जाती है. जिससे बांझपन की समस्या आती है और वह पिता बनने में सक्षम नहीं हो पाता है. ओलिगोस्पर्मिया का इलाज समस्या की गंभीरता पर निर्भर करता है.

oligospermia
अल्पशुक्राणुता

यदि सुरक्षाएं समय से पूर्व ही कर ली जाएं तो भविष्य में दुर्घटनाओं की संख्या शून्य हो सकती है. साथ ही लोग इसलिए बीमा करवाते हैं, पॉलिसी लेते है, ताकि भविष्य को सुरक्षित कर सके. आज के दौर की नई हवा ऐसी है की हर इंसान भाग रहा है, अपनी बेहतरी और अपनी खुशियों के लिए. जिसके लिए वह जीवनशैली बदल रहा है और नई रीतिया अपना रहा है. वर्तमान समय में बहुत सारे कारणों के चलते पुरुषों में बांझपन, आशुक्राणुता तथा अल्पशुक्राणुता सहित कई समस्याएं सुनने में आने लगी हैं, जो समय पर पता न चलने के कारण गंभीर रूप ले लेती है. ये समस्याएं जो न सिर्फ उनके ग्रहस्थ जीवन बल्कि उनके यौन जीवन को भी प्रभावित करती है.

ऐसे में कितना अच्छा हो अगर विभिन्न जीवनशैली और कई अन्य कारणों जैसे हार्मोनल असंतुलन, कोई भी बीमारी, चोट, यौन अक्षमता, पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं- मधुमेह, अधिक तापमान में काम करना, आनुवांशिक कारणों, एक्स-रे या औद्योगिक कारकों जैसे- रसायन आदि के संपर्क में आने वाले पर्यावरणीय कारकों से पुरुषों में बांझपन काफी बढ़ने लगा है. शुक्राणु की कमी या अल्पशुक्राणुता को तकनीकी रूप से ओलिगोस्पर्मिया के नाम से जाना जाता है, ओलिगोस्पर्मिया पुरुषों में उप-प्रजनन या बांझपन का एक बहुत ही आम कारण है. अल्पशुक्राणुता क्या होती है तथा क्या यह ठीक हो सकता है. इस बारे में ETV भारत सुखीभवा की टीम ने एंडोरोलोजिस्ट डॉ. राहुल रेड्डी से बात की हैं.

क्या है अल्पशुक्राणुता

अल्पशुक्राणुता या शुक्राणुओं की कमी का अर्थ है कि यौन संबंधों के दौरान पुरुषों के लिंग से निकलने वाले वीर्य में शुक्राणुओं की कमी का होना. कम शुक्राणुओं की समस्या यानि लो स्पर्म काउंट को ओलिगोस्पर्मिया कहते हैं.

इससे गर्भधारण करने में कुछ समय लग सकता है, क्योंकि यह महिला साथी के अंडे को निषेचन में व्यवहार्य शुक्राणु का मौका कम कर देता है और कुछ मामलों में गर्भावस्था को रोक सकता है. ऐसे कई पुरुष जिनके पास शुक्राणुओं की संख्या कम है, वे पिता बनने में असक्षम है.

सामान्य शुक्राणु की संख्या कितनी होती है

एक पुरुष के वीर्य में सामान्य तौर पर शुक्राणु की संख्या 15 मिलियन शुक्राणु से 200 मिलियन से अधिक शुक्राणु प्रति मिलीलीटर (एमएल) तक होती है.

यदि किसी पुरुष के एक मिलीलीटर सीमेन में 15 मिलियन से कम शुक्राणु की मात्रा हैं, तो उसको कम शुक्राणुओं की समस्या है.

शुक्राणु कम होने के लक्षण

शुक्राणु कम होने के लक्षण में सबसे मुख्य लक्षण है कि पुरुष संतानोपत्ति करने में असमर्थ होता है.

हालांकि, इस समस्या के कोई खास लक्षण या स्पष्ट संकेत दिखाई नहीं देते हैं. कुछ मामलों में हार्मोन में असंतुलनता, फैला हुआ टेस्टिक्युलर नस या शुक्राणु के गुजरने में बाधा उत्पन्न करने वाला एक विकार संभावित रूप से चेतावनी संकेतों का कारण बन सकता है.

शुक्राणु की कमी के लक्षणों में यह भी शामिल हैं

यौन प्रक्रिया की समस्याएं:-

1. कामेच्छा में कमी, स्तंभन दोष या नपुंसकता.

2. वृषण (testes) में दर्द, सूजन या गांठ का होना.

3. शरीर के बालों का कम होना या फिर क्रोमोसोम अथवा हार्मोन की असामान्यता भी शुक्राणु की कमी के लक्षण हो सकते हैं.

शुक्राणु की कमी के क्या कारण होते हैं

अधिकांश पुरुष पूरी तरह से अपनी प्रजनन स्थिति से अनजान होते हैं. जब तक कि महिला साथी गर्भवती ना हो जाएं, तब तक वे अंधेरे में रहते हैं. लेकिन ज्यादातर मामलों में कारण अव्यवस्थित रहता है, क्योंकि शुक्राणु की संख्या में कमी एक अस्थायी परिवर्तन के रूप में हो सकता है.

शुक्राणुओं की कम संख्या कई चिकित्सा मुद्दों, पर्यावरणीय कारकों और जीवनशैली विकल्पों के कारण भी हो सकता है.

शुक्राणु बनने की प्रक्रिया एक जटिल प्रक्रिया है. इसके लिए वृषण के साथ हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्रंथियों को सामान्य रूप से कार्य करने की आवश्यकता होती है. यदि किसी भी अंग में समस्या हुई तो शुक्राणु की पैदावार कम हो सकती है.

अक्सर शुक्राणुओं की कमी की समस्या के कारण स्पष्ट नहीं हो पाता है. इसका इलाज भी समस्या की गंभीरता पर निर्भर करता है.

मेडिकल कारण

कई स्वास्थ्य समस्याओं और मेडिकल उपचार के कारण शुक्राणुओं में कमी आ सकती है. इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:-

⦁ वैरीकोसेल (Varicocele): वृषण से निकलने वाली नसों को वैरीकोसेल कहा जाता है. यदि किसी पुरुष को वृषण में सूजन आ जाए, तो उसके पिता बनने में समस्या आ सकती है.

⦁ कुछ संक्रमण शुक्राणुओं के पैदावार को प्रभावित करते हैं. जिनमें शामिल है- कुछ यौन संचारित संक्रमण (क्लैमाइडिया, गोनोरिया आदि) साथ ही मूत्रमार्ग में होने वाले अन्य संक्रमण के कारण शुक्राणुओं की कमी हो सकती है.

⦁ अगर किसी पुरुष को स्खलन (Ejaculation) में समस्या होती है, तो उसे शुक्राणुओं की संख्या में कमी की समस्या हो सकती है.

⦁ ट्यूमर के इलाज के लिए सर्जरी, विकिरण या कीमोथेरेपी शुक्राणुओं की संख्या कम कर सकती है.

⦁ मस्तिष्क और टेस्टिकल्स कई हार्मोन उत्पन्न करते हैं, जो स्खलन और शुक्राणु की पैदावार को प्रभावित करते हैं. जिस कारण हार्मोनल असंतुलन शुक्राणुओं की संख्या कम कर सकता है.

⦁ बीटा ब्लॉकर्स, एंटीबायोटिक्स और ब्लड प्रेशर जैसी कुछ दवाएं स्खलन की समस्याएं पैदा कर सकती हैं और शुक्राणुओं को कम कर सकती हैं.

पर्यावरण संबंधी कारण

कुछ पर्यावरणीय तत्वों के संपर्क में आने से शुक्राणुओं की संख्या प्रभावित हो सकती है. जिसके मुख्य कारण हैं:-

⦁ औद्योगिक रसायन जैसे: लेड (lead), एक्स-रे, रेडिएशन आदि शुक्राणु के उत्पादन को कम करने के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य समस्या भी हो सकती है.

⦁ वृषण का अधिक गर्म होना यानि गर्म पानी से अधिक नहाना या हॉट टब का रोजाना इस्तेमाल करना, आपके शुक्राणुओं के उत्पादन को प्रभावित करता है.

⦁ अधिक समय तक साइकिल चलाने के कारण वृषण गरम हो जाते हैं. जिस कारण पुरुषों की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है.

स्वास्थ्य और जीवन शैली

नशीली दवाओं या पदार्थों के सेवन से आपके शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता कम हो सकती है.

⦁ शराब के सेवन से टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी आ जाती है. साथ ही शुक्राणु के उत्पादन में कमी हो सकती है.

⦁ धूम्रपान ना करने वाले अन्य व्यक्तियों की तुलना में धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों के अंदर शुक्राणुओं की संख्या कम होती है.

⦁ जिम में लेने वाले स्टेरॉयड युक्त प्रोटीन भी शुक्राणुओं की संख्या कम कर देता है.

⦁ यदि तनाव लंबे समय से हैं, तो यह आपके शुक्राणु बनाने वाले कुछ हार्मोन को असंतुलित कर देता है.

⦁ आपका वजन भी एक कारण हो सकता है, जो हार्मोन में बदलाव ला सकता है. जिस कारण पुरुषों की प्रजनन क्षमता कम हो जाती है.

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