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बच्चे के जन्म के बाद खुद की अनदेखी ना करें नई मां

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Published : Feb 4, 2021, 9:01 AM IST

बच्चे के जन्म के उपरांत ज्यादातर मामलों में नई माएं अपने स्वास्थ्य को नजर अंदाज करने लगती है, जो सही नहीं है और कई रोगों का कारण भी बन सकती है.

Tips for new mother
नई माँ के लिए टिप्स

बच्‍चे का जन्म घर में खुशियां लेकर आता है. नन्हें से बच्चे के घर में आने के बाद सबका ध्यान उसी की तरफ केंद्रित हो जाता है, उसका सोना, जागना, दूध पिलाना, सभी हरकतों पर सबकी नजर रहती है, यहां तक नई मां भी अपने सभी दुख दर्द भूल कर बच्चे के देखभाल में ही लगी रहती है. लेकिन आमतौर पर देखा गया है इस सब के बीच बच्चे को जन्म देने वाली मां के स्वास्थ्य पर ज्यादा लोगों का ध्यान नहीं जाता है, वहीं जच्चा स्वयं भी अपने स्वास्थ्य का सही तरीके से खयाल नहीं रख पाती है और शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगती है.

जन्म के बाद मां की देखभाल भी है जरूरी

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. लतिका जोशी बताती है की बच्चे को जन्म देने के उपरांत माता के शरीर में कई बदलाव एक साथ आते हैं. ये बदलाव शारीरिक व मानसिक दोनों प्रकार के स्वास्थ्य पर असर करते है. प्रसव चाहे सामान्य हुआ हो या फिर ऑपरेशन से, जच्चगी के दौरान की पीड़ा तथा बच्चे के जन्म के उपरांत शरीर में होने वाले परिवर्तन के कारण उत्पन्न असुविधा तथा परेशानियों के बावजूद मां को बच्‍चे की रात-दिन देखभाल करनी होती है, उस पर बच्चे भोजन के लिए भी मां के दूध पर निर्भर रहता है. ऐसे में एक और जहां मां के शरीर में पोषण की कमी होने लगती है, वहीं नींद पूरी ना हो पाने या मानसिक दबाव के कारण उसमें झुंझलाहट, चिड़चिड़ापन व गुस्से जैसी मानसिक समस्याएं उत्पन्न होने लगती है. इसलिए बहुत जरूरी होता है कि नवजात के साथ ही मां का भी विशेष ध्यान रखा जाए. जरूरी नहीं है की अपनी देखभाल के लिए माता दूसरों पर ही निर्भर रहे, थोड़े से प्रयास से माता स्वयं भी अपना ख्याल रख सकती है, तथा प्रसव उपरांत होने वाली कई समस्याओं से बच सकती है.

  • पोषक तत्वों से भरपूर हो भोजन
    Eat a nutritious diet
    पोषक आहार लें

जन्म के उपरांत बच्चा पोषण के लिए पूरी तरह से अपनी मां पर ही निर्भर करता है. डॉ. लतिका जोशी कहती है की चूंकि बच्चे का सम्पूर्ण विकास मां के दूध पर ही निर्भर करता है, इसलिए नई मां के भोजन में पोषक तत्वों की मात्रा सामान्य से ज्यादा होनी चाहिए. यदि मां पौष्टिक भोजन नहीं करेगी, तो ना तो उसका स्वास्थ्य सही रहेगा और ना ही बच्चे का. ऐसी स्थिति में बच्चे के विकास में तो कमी आएगी ही, साथ ही माता के शरीर में भी कमजोरी आ जाएगी. नई मां के भोजन में सम्पूर्ण पोषक तत्वों के अलावा प्रोटीन और कैल्शियम विशेष रूप से ज्यादा होने चाहिए. इसके अतिरिक्त माता का भोजन सुपाच्य व हल्का होना चाहिए तथा उसमें दालें, सब्जियां तथा फल संतुलित मात्रा में होने चाहिए. डॉ. जोशी बताती है की वैसे तो आमतौर पर सभी चिकित्सक बाहरी सप्लीमेंट से परहेज करने की बात कहते है, लेकिन यदि विशेष परिस्थितियों में चिकित्सक किसी प्रकार से अतिरिक्त सप्लीमेंट लेने की राय देते है, तो उनकी सलाह को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

  • बेबी ब्लूज से बाहर निकलें
    Get out of baby blues
    बेबी ब्लूज से बाहर निकलें

बच्‍चे के जन्‍म के बाद मां के शरीर में कई प्रकार के मनोवैज्ञानिक, हॉर्मोनल तथा शारीरिक बदलाव आते हैं. जिनके चलते नींद पूरी ना होने या थकान दूर ना होने की अवस्था में मां भावनात्मक रूप से कमजोर होने लगती है तथा छोटी से छोटी बात को लेकर संवेदनशील होने लगती है. ऐसी अवस्था बेबी ब्लूज कहलाती हैं. डॉ. लतिका जोशी बताती है की कई बार शरीर में पोषण की कमी के कारण भी मां चिड़चिड़ी होने लगती है. इसलिए जरूरी है जरा सी परेशानी होने पर भी वह चिकित्सक से संपर्क करें तथा अपने परिजनों तथा दोस्तों से संवाद बनाए रखे.

  • ध्यान मेडिटेशन को अभ्यास में लाएं
    practice meditation
    मेडिटेशन करें

इन तमाम परिस्थितियों के चलते मन में अशान्ति जैसी स्थिति उत्पन्न होने लगती है. ऐसे में ध्यान या मेडिटेशन दिमाग को शांत रख सकता है. इसलिए यदि संभव हो, तो प्रतिदिन ध्यान लगाए, नहीं तो सप्ताह में कम से कम तीन दिन ध्यान का अभ्यास करें. इसके अतिरिक्त चिकित्सक की सलाह के आधार पर साधारण योग या हल्का फुल्का व्यायाम भी किया जा सकता है, जो माता के शरीर के साथ-साथ उसके मन को भी स्वस्थ तथा शांत रखने में मददगार होते है.

  • जरूरी है भरपूर नींद
    take proper sleep
    भरपूर नींद लें

जन्‍म के उपरांत बच्चा महीनों तक माता की नींद तथा उसकी रोजमर्रा की गतिविधियों को प्रभावित करता है, उस पर बच्चे व घर की जिम्मेदारी भी मां को ही निभानी पड़ती है. कई माएं रात भर बच्चे के साथ जागती हैं और फिर दिन भर बच्चे तथा घर के अन्य कामों में व्‍यस्‍त रहती हैं, जिसका सीधा असर उनकी नींद पर पड़ता है. इन परिस्थितियों में ना तो उनकी नींद पूरी होती है और ना ही उन्हें भरपूर आराम मिल पाता है. डॉ. लतिका जोशी बताती है बहुत जरूरी है की बच्चे की दिनचर्या को ध्यान में रखते हुए मां अपनी दिनचर्या भी सुनिश्चित करें. तथा उसके सोने व जागने के अनुसार अपनी नींद भी पूरी करें. इस अभ्यास का पालन करने से कई समस्याओं को दूर किया जा सकता है.

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