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वक्त की जरूरत है मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता,World Mental Health Day 2022

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Published : Oct 10, 2022, 12:01 AM IST

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विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2022

दुनिया भर में लोगों को स्वस्थ मानसिक स्वास्थ्य की जरूरत के बारें में जागरूक करने के लिए हर साल 10 अक्टूबर को “विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस” मनाया जाता है. United Nations द्वारा World mental health day को हर साल एक नई थीम के साथ मनाए जाने की परंपरा शुरू की गई थी. World mental health day 2022 theme Mental health in an unequal world . World mental health association . Common mental disorders . WFMH News . WMH Day 2022 .

एक समय था जब मानसिक समस्याओं के बारें में तो क्या, अपनी मानसिक परेशानियों के बारें तक में लोग दूसरों से बात करने में कतराते थे कि कहीं लोग उन्हें मानसिक रोगी ना समझ लें. लेकिन वर्तमान समय में विशेषकर कोरोना के प्रकोप के उपरांत वैश्विक स्तर पर लोगों में मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने की जरूरत को लेकर जागरूकता बढ़ने लगी हैं. लेकिन वहीं पिछले कुछ सालों में हर उम्र के लोगों में बढ़ती मानसिक समस्याओं जैसे मानसिक विकार या रोगों के मामलों में काफी बढ़ोत्तरी देखी गई है. जिसकी पुष्टि दुनिया भर के मनोचिकित्सक तथा विभिन्न शोधों के आँकड़े व उनके नतीजे करते हैं. ऐसे में 10 अक्टूबर को दुनिया भर में मनाए जाने वाले “विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस” (World mental health day 10 October 2022) का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है. World mental health day 2022 theme Mental health in an unequal world . World mental health association . Common mental disorders . WFMH News . WMH Day 2022 .

इतिहास : गौरतलब है कि वैश्विक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुख्य कारकों जैसे मानसिक रोग या विकारों के बारे में जानकारी, उनके कारणों तथा उनके निवारण के तरीकों के बारें में जन-जन तक जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल अलग-अलग थीम पर विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का आयोजन किया जाता है. इस वर्ष विश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ ने “Mental health in an unequal world” यानी “एक असमान दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य” थीम पर मनाए जाने की घोषणा की है. 10 October 2022 World mental health day मनाए जाने की घोषणा सबसे पहले 1992 में विश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ (World Mental Health Association) द्वारा की गई थी. इसके उपरांत संयुक्त राष्ट्र (United Nations) द्वारा विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World mental health day) को हर साल एक नई थीम के साथ मनाए जाने की परंपरा शुरू की गई थी.

चुनौतियाँ तथा आँकड़े : उत्तराखंड की मनोचिकित्सक डॉ वीना कृष्णन (Dr Veena Krishnan psychiatrist Uttarakhand) बताती हैं कि भले हो पहले के मुकाबले लोगों में मानसिक समस्याओं को लेकर जागरूकता बढ़ी है, लेकिन पिछले कुछ सालों में अलग अलग कारणों से लोगों में बड़ी संख्या में मानसिक समस्याओं के मामले बढ़े हैं. चिंता की बात यह है कि अभी भी बड़ी संख्या में लोग यह समझने के बावजूद कि वे किसी प्रकार कि मानसिक समस्या का सामना कर रहें है चिकित्सक के पास जाकर इलाज लेने में कतराते हैं. वहीं ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है जो समस्या के लक्षण नजर आने के बावजूद यह स्वीकार नहीं कर पाते हैं कि उन्हे कोई मानसिक समस्या है.

Dr Veena Krishnan psychiatrist बताती हैं कि वर्तमान समय में पढ़ाई, नौकरी, अस्थिर भविष्य, रिश्तों या कार्यस्थल का तनाव, किसी दुर्घटना या शोषण का प्रभाव तथा खराब जीवनशैली सहित कई कारण हैं जो हर उम्र के महिलाओं और पुरुषों में मानसिक समस्याओं के होने का कारण बनते हैं. वहीं सबसे चिंतनीय बात यह है कि मानसिक समस्याओं का सामना कर रहे लोगों में बड़ी संख्या बच्चों तथा युवा वयस्कों की है. गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के आँकड़े भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि दुनिया भर में मानसिक समस्याओं से पीड़ित लोगों कि कुल जनसंख्या में से लगभग 16 % पीड़ितों की आयु 10 से 19 वर्ष के बीच है. संगठन द्वारा जारी विभिन्न रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया किया गया है, कि विश्व में हर चार व्यक्तियों में से एक व्यक्ति जीवन में कभी ना कभी किसी मानसिक विकार या तंत्रिका संबंधी विकारों का सामना करता है. वहीं वर्तमान समय में लगभग 450 मिलियन लोग वैश्विक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं तथा विकारों से पीड़ित हैं.

सरकारी प्रयास : भारत में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को लेकर सरकारी स्तर पर भी काफी प्रयास किए जा रहे हैं. सरकारी वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के अनुसार भारत सरकार द्वारा वर्ष 1982 में न्यूनतम मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की जन-जन तक उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनएमएचपी) की शुरुआत की गई थी. जिसका उद्देश्य प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को एकीकृत करना और सामुदायिक स्वास्थ्य देखभाल की ओर बढ़ना था. इसके उपरांत वर्ष 2014 में 10 अक्टूबर को राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति की घोषणा की गयी थी.

इसी दिशा में भारत सरकार द्वारा मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 भी लाया गया. इसके अलावा कोविड़ काल में सरकारी प्रयास पर 13 भाषाओं में टोल-फ्री मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास हेल्पलाइन किरण की भी शुरुआत की गई जिसका उद्देश्य दूरसंचार के माध्यम से ऐसे लोगों की मदद करना था जो तनाव, चिंता, अवसाद, पैनिक अटैक, तालमेल बैठाने संबंधी विकारों, पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, मादक द्रव्यों के सेवन, आत्महत्या के विचारों, महामारी से प्रेरित मनोवैज्ञानिक मुद्दों और मानसिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों का सामना कर रहे हैं.

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