ETV Bharat / sukhibhava

उम्र के अनुसार बनाएं फिटनेस प्लान

author img

By

Published : Nov 29, 2021, 12:46 PM IST

Updated : Nov 29, 2021, 1:21 PM IST

fitness, exercise, how to make a fitness plan, exercise routine, kids fitness, what should be the fitness regime during old age, health, उम्र के अनुसार बनाए फिटनेस प्लान
फिटनेस प्लान

व्यायाम, शरीर के विकास से लेकर स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए कितना जरूरी है, इस बारें में लगभग सभी लोग जानते हैं. व्यायाम चाहे किसी भी माध्यम या किसी से रूप किया जाय, व्यायाम करने वाले व्यक्ति की उम्र, उसकी शारीरिक अवस्था तथा रोग व समस्याओं के मद्देनजर ही किया जाना चाहिए. इसके अलावा उम्र के अलग अलग पड़ावों में उसकी सीमाएं जैसे व्यायाम करने का समय, उसका प्रकार तथा उसकी गति निर्धारित करनी बहुत जरूरी होती है.

फिटनेस विशेषज्ञ मानते हैं कि उम्र के अनुसार फिटनेस प्लान बनाने से व्यायाम करने के फायदे दोगुने हो जाते हैं. इंदौर की स्पोर्टस कोच (स्विमिंग व बास्केट बॉल) तथा फिटनेस एक्सपर्ट राखी सिंह का कहना है कि बचपन से लेकर वृद्ध होने तक शरीर कई तरह की अवस्थाओं का सामना करता है. वहीं हर उम्र में उसकी सीमाएं तथा जरूरतें अलग अलग हो सकती हैं. ऐसे में यदि आयु तथा शरीर की जरूरत व अवस्था को ध्यान में रखते हुए फिटनेस प्लान बनाया जाय तो वह ज्यादा फायदेमंद होता है. ETV भारत सुखीभवा से बात करते हुए उन्होंने अलग-अलग आयु वाले लोगों के सामान्य फिटनेस प्लान को लेकर कुछ टिप्स भी दिए , जो इस प्रकार हैं.

बचपन से युवावस्था (8 से 19 वर्ष)

राखी सिंह बताती हैं कि वैसे तो स्कूलों में पीटी तथा खेलों के माध्यम से बचपन में बच्चों को शारीरिक कसरत यानी व्यायाम की आदत डालने का प्रयास किया जाता है, जो एक अच्छी आदत है. इस आयु में चूंकि शरीर में विकास की गति चरम पर होती है इसलिए ऐसे व्यायाम ज्यादा फायदा पहुंचते हैं जो मांसपेशियों के विकास के साथ साथ उन्हे मजबूत बनाने का भी कार्य करते हैं और साथ ही शरीर का लचीलापन भी बढ़ाते हैं.

विशेषतौर पर 8 से 18 वर्ष की आयु वाले लड़के और लड़कियों को इस उम्र में सामान्य व्यायाम के साथ ही आउटडोर स्पोर्ट्स जैसे फुटबाल, बास्केटबॉल, टेनिस, एथलेटिक्स (दौड़ना, लंबी कूद आदि), तैराकी, खो-खो, बैडमिंटन, क्रिकेट और कबड्डी जैसे खेल खेलने चाहिए, क्योंकि ये शरीर की गति, उसकी शक्ति तथा क्षमता, सभी बढ़ाते हैं. इस उम्र में जिम की बजाय प्राकृतिक तरीके से व्यायाम यानी खेलों के अतिरिक्त योग, एरोबिक्स, स्ट्रेचिंग तथा नृत्य करना ज्यादा फायदेमंद होता है.

यदि कम उम्र में ही बच्चों को नियमित व्यायाम की आदत हो जाती है तथा उन्हे व्यायाम की जरूरत तथा फायदे समझ में आ जाते हैं, तो यह आजीवन उनकी सेहत को बनाए रखने में मदद करता है. साथ ही जरूरी है की उस उम्र में खानपान का भी विशेष ध्यान रखा जाय . विशेष तौर इस उम्र में प्रोटीन शेक, टॉनिक या सप्लीमेंट्स की बजाय प्राकृतिक तरीके मिलने वाले पोषण को ग्रहण करने का प्रयास किया जाना चाहिए. जैसे ज्यादा मात्रा में हरी सब्जियां, फल, सबूत अनाज, दूध, पनीर तथा अन्य डेयरी उत्पादों का सेवन करना चाहिए. जो लोग मांसाहारी हैं वे संतुलित मात्रा में मांसाहार ग्रहण कर सकते हैं.

युवावस्था (20 से 35 वर्ष)

20 से 35 वर्ष के बीच महिला हों या पुरुष सभी का शरीर अलग-अलग प्रकार के बदलाव का साक्षी बनता है . 20 के दौर में जहां शरीर में विकास की प्रक्रिया ज्यादा सक्रिय होती है वहीं 30 के बाद धीरे-धीरे वह अपेक्षाकृत धीमी होने लगती है. इस दौर की लापरवाही 30-35 की आयु के बाद शरीर पर विशेषकर हड्डियों के स्वास्थ्य पर असर दिखाना शुरू करती है. इसलिए बहुत जरूरी है कि इस दौर में ऐसे व्यायामों या फिटनेस दिनचर्या को अपनाया जाय जो मांसपेशियों के साथ साथ हड्डियों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करें.

इस उम्र में पहले कॉलिज और फिर नौकरीपेशा जीवन की शुरुआत होती है. जो शारीरिक तथा मानसिक तनाव या बोझ का कारण भी बन सकती है. ऐसे में बहुत जरूरी है की नियमित तौर पर या कम से कम हफ्ते में तीन दिन जिम या घर पर कार्डियो वर्कआउट तथा वेट के साथ अन्य व्यायाम तथा योग व ध्यान किए जाएं. इस आयु में वेट उठाने तथा तीव्र गति वाले व्यायाम भी सरलता से किए जा सकते हैं. व्यायाम से जुड़ी स्वस्थ आदतें अपनाएं जैसे सीढ़ियों को प्राथमिकता दें, यदि लंबी अवधि तक बैठ कर कार्य करते हैं तो बीच बीच में थोड़ा अंतराल लेकर स्ट्रेचिंग करते रहें तथा नियमित अंतराल पर स्वस्थ व संतुलित आहार ग्रहण करें.

प्रौढ़ावस्था से वृद्धावस्था (36 से 50 वर्ष)

आयु के इस दौर में महिलाओ और पुरुषों के शरीर के अलग अलग तंत्रों के कार्य करने की गति बढ़ती उम्र के चलते धीमी पड़ने लगती है और उनमें हार्मोन संबंधी, पाचन संबंधी, हड्डियों संबंधी, यारदाश्त संबंधी तथा यौनिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं नजर आने लगती हैं. इस उम्र में, वर्कआउट प्लान में ट्रेनर के निर्देशन में स्ट्रेचिंग, कार्डियो वर्कआउट, ब्रिस्क वॉकिंग , के साथ योग को भी शामिल किया जाना चाहिए. लेकिन ध्यान रहे की लगातार काफी देर तक वर्कआउट करने की बजाय हर अभ्यास की बीच अंतराल तथा अभ्यास की गति का ध्यान अवश्य रखा जाय.

नियमित व्यायाम महिलाओं और पुरुषों को पेट तथा शरीर के अन्य हिस्सों पर चर्बी बढ़ने, मोटापा, मधुमेह, रक्तचाप जैसी समस्याओं से राहत दिलाने , हड्डियों को मजबूत बनाने विशेषकर ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्या में राहत दिलाने तथा फेफड़ों व ह्रदय के रोगों को दूर रखने में मदद कर सकते हैं, साथ ही मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी मदद करते हैं.

वृद्धावस्था (50 के बाद)
आमतौर पर इस आयु तक आते-आते शरीर के तंत्रों की कार्य करने की गति, उनका संचालन करने वाली क्रियाओं की गति जैसे फेफड़े व हृदय को रक्त की पंपिंग व पोषक तत्त्व मांसपेशियों तक भेजने की गति धीमी हो जाती है. ऐसे में नियमित व्यायाम बहुत जरूरी हो जाते हैं जिससे शरीर की सक्रियता बनी रहे. इस आयु में बहुत तेजी से किए जाने वाले व्यायामों से बचना चाहिए . इसकी बजाय वॉकिंग, स्वीमिंग और मध्यम गति में साइक्लिंग करना इस उम्र में फायदेमंद हो सकता है , बशर्ते व्यक्ति को अर्थ्राइटीस जैसी समस्या ना हो. वैसे अर्थ्राइटीस होने पर भी चिकित्सक से सलाह लेने के बाद व्यक्ति प्रशिक्षक के निर्देशों के अनुसार नियमित व्यायाम सरलता से कर सकते हैं.

इसके अलावा शरीर के निचले हिस्सों की हड्डियों का घनत्व बढ़ाने के लिए स्क्वैट्स व लंजेज और ऊपरी भाग के लिए शोल्डर प्रेस करन भी इस आयु में फायदेमंद हो सकता है. नियमित व्यायाम इस आयु में कमर के ऊपरी तथा निचले हिस्से में होने वाले दर्द तथा गर्दन व घुटने में दर्द से भी बचा सकता हैं. इसके अतिरिक्त नियमित योग तथा मेडिटेशन का अभ्यास भी फिटनेस रूटीन में शामिल किया जा सकता है.

पढ़ें: महिलाओं में ज्यादा प्रचलित है जुम्बा

Last Updated :Nov 29, 2021, 1:21 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.