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हृदय को स्वस्थ रखने के साथ सुंदरता भी बढ़ाता है अर्जुन का फल

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Published : Jun 8, 2022, 4:56 PM IST

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ह्रदय को स्वस्थ रखने के साथ सुंदरता भी बढ़ाता है अर्जुन का फल

आयुर्वेद में अर्जुन का पेड़ को बहुत गुणकारी माना जाता है, क्योंकि इसके हर हिस्से जैसे इसके फल, छाल, पत्तों तथा जड़, सभी का इस्तेमाल कई प्रकार के रोगों व समस्याओं के निवारण में किया जाता है.

आयुर्वेद में अर्जुन का पेड़ को बहुत गुणकारी माना जाता है, क्योंकि इसके हर हिस्से जैसे इसके फल, छाल, पत्तों तथा जड़, सभी का इस्तेमाल कई प्रकार के रोगों व समस्याओं के निवारण में किया जाता है.

ह्रदय को स्वस्थ रखने के साथ सुंदरता भी बढ़ाता है अर्जुन का फल
आयुर्वेद में अर्जुन की छाल, उसकी जड़ों और पत्तों के साथ ही उसके फलों का उपयोग कई प्रकार के रोगों में औषधि में रूप में किया जाता है. दरअसल अर्जुन के पेड़ की प्रकृति शीतल होती है तथा इससे कफ तथा पित्त कम होता है.

हृदय, विष, रक्त संबंधी रोग, मेद, मोटापे, मधुमेह तथा अल्सर आदि समस्याओं में इसे विशेषरूप से लाभकारी माना जाता है. अर्जुन के फल के सेहत के लिए फ़ायदों तथा आयुर्वेद में उसके उपयोग के बारें में जानने के लिए ETV भारत सुखीभवा ने मुंबई के निरोग चिकित्सालय की आयुर्वेदाचार्य डॉ मनीषा काले से बात की.

अर्जुन फल के पोषक तत्व
डॉ मनीषा बताती हैं कि यह दांतों, हड्डियों और त्वचा के लिए काफी लाभकारी होता है क्योंकि इसमें कई तरह के विटामिन्स, प्रोटीन और मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. वह बताती हैं कि सिर्फ अर्जुन के फल का ही नही बल्कि इसके पेड़ के हर हिस्से जैसे इसके पत्ते, छाल और जड़ों से बने तेल, चूर्ण व काढ़ों का उपयोग विभिन्न समस्याओं और रोगों में किया जाता है. वहीं विभिन्न रसायनों/ दवाइयों में भी इनका उपयोग किया जाता हैं.

अर्जुन फल के फायदे
वह बताती हैं कि अर्जुन के फल के नियंत्रित तथा बताई गई मात्रा में सेवन करने से कई रोग व शारीरिक अवस्थाओं में राहत मिलती हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • हड्डियों को मजबूत बनाने में अर्जुन के फल तथा छाल का सेवन काफी लाभकारी होता है. इनके सेवन से कमजोर हड्डियों में ताकत आती है तथा हड्डी के चोटील होने या टूटने की अवस्था में इसके सेवन से वे जल्दी जुड़ती तथा ठीक होती है. यही नही हड्डी में चोट लगने की अवस्था में अर्जुन की छाल का पाउडर उक्त स्थान पर लगाकर उस पर बैंडेज बांधने से चोट जल्दी ठीक होती है. गठिया या हड्डियों से जुड़े अन्य रोगों तथा समस्याओं में भी अर्जुन के फल का सेवन करने से लाभ मिलता है.
  • अर्जुन के फल ही नही बल्कि उसकी पत्तियों के जूस का सेवन करने से ह्रदय को सेहतमंद बनाए रखने में मदद मिलती है. अर्जुन के फल तथा पत्तियों में मौजूद तत्व हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करने में मददगार होते हैं. साथ ही इससे रक्तवाहिनियाँ भी मजबूत व ज्यादा सक्रिय होती हैं, जिससे हृदय का कार्य सही ढंग व गति से होता रहता है, और हृदय की धड़कन भी ठीक रहती है.
  • पुरुषों में होने वाले शुक्रमेह रोग तथा महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान ज्यादा रक्तस्राव (रक्तप्रद ) की समस्या में भी अर्जुन के फल तथा उसकी छाल का उपयोग फायदेमंद होता है.
  • पेशाब में रूकावट की समस्या में भी इसके सेवन से काफी लाभ मिलता है. अर्जुन के फल तथा अर्जुन की छाल के काढ़े का सेवन करने से मूत्र करने में जलन, मूत्रमार्ग में संक्रमण तथा अन्य समस्याओं में राहत मिलती है.
  • अर्जुन के फल के सेवन से पाचन व पेट से जुड़ी कई समस्यायों में राहत मिलती है. जैसे गैस,अपच, पेट का फूलना आदि.
  • अर्जुन के पेड़ की छाल और फल के सेवन से मुंह के फोड़े और अल्‍सर में राहत मिलती है. साथ ही दांतों से संबंधित समस्याएं जैसे कैविटी, मसूड़ों में संक्रमण, उनसे खून आना, दांत दर्द और मुंह की बदबू से राहत मिलती है.
  • त्वचा से जुड़ी समस्यायों या रोगों में भी अर्जुन के फल का सेवन काफी लाभकारी होता है. इसके सेवन से दानों या एक्ने , त्वचा पर दाग-धब्बों, मुँहासों, झाइयों तथा उम्र के प्रभाव जैसे झुर्रियों आदि में राहत मिलती है. त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए सिर्फ इसका सेवन ही नही बल्कि अर्जुन के फल या उसके पाउडर और शहद का लेप बनाकर चहरे पर लगाने से त्वचा साफ, निरोगी तथा चमकदार बनती है.

डॉ मनीषा बताती हैं कि इसके अलावा ज्वरयुक्त रक्तज-अतिसार और रक्तपित्त, मधुमेह, कान में दर्द और सूजन आदि समस्याओं में भी राहत इसके सेवन से राहत मिलती है.

सावधानी जरूरी
डॉ मनीषा कहती हैं चिकित्सा विधा चाहे कोई भी हो आयुर्वेद या मॉर्डन एलोपैथी ,किसी भी रोग या समस्या के होने पर चिकित्सक से परामर्श बहुत जरूरी होता है. साथ ही किसी भी अवस्था में उनसे परामर्श के बाद ही उनके द्वारा बताई गई दवाइयों का सेवन करना चाहिए. कई बार लोग सिर्फ पढ़कर या दूसरों से सुनकर आयुर्वेदिक दवाइयों का सेवन करने लगते हैं जो सेहत पर विपरीत असर भी डाल सकता है और कई बार इससे रोग या समस्या ठीक होने की बजाय ज्यादा बढ़ भी सकती है. विशेषकर आयुर्वेदिक दवाइयों की बात करें तो उनका उपयोग हमेशा चिकित्सक द्वारा बताई गई मात्रा में तथा उनके द्वारा बताई गई तमाम सावधानियों तथा परहेज के साथ ही करना चाहिए.

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