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बेहतर सेहत के लिए ऐसे करें श्वास को नियंत्रित

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Published : Jul 19, 2021, 4:38 PM IST

kundalini, नाड़ी शोधन और प्राणायाम , शमथा शमता
श्वास नियंत्रण सेहत

हम सांस ले रहे हैं तो इसका मतलब है की हम जीवित है। सांस लेना हमारे शरीर की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे यदि सही तरीके से किया जाय तो यह काफी हद तक हमारी शारीरिक और मानसिक समस्याओं को दूर रख सकती है। इसी के चलते दुनिया भर में लोग विभिन्न प्रकार के ध्यान के दौरान सांस लेने अलग अलग प्रक्रियाओं को अपनाते है।

गहरी सांस लेने को ध्यान या मेडिटेशन का मुख्य अंग भी माना जाता है। योग में भी श्वास के सही अभ्यास को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस संबंध में किए गए विभिन्न शोधों के नतीजे बताते हैं कि ध्यान तथा सही तकनीक से सांस लेने की प्रक्रिया चिंता को कम करने, याददाश्त तेज करने, अवसाद से राहत दिलाने तथा नींद को बेहतर बनाने में मदद करता है। अलग अलग देशों और पंथ में सांस लेने की विभिन्न तकनीकों के बारें में बताया गया है। दुनिया भर में प्रचलित श्वास संबंधी तकनीकों को लेकर ETV भारत सुखीभवा ने ब्रिदिंग एक्सपर्ट व प्रशिक्षक तथा जैविक वैलनेस की प्रमुख नंदिता तथा योगाचार्य मीनू वर्मा से बात की। विशेषज्ञों से बातचीत के आधार पर हम आपके साथ साँझा कर रहे हैं विभिन्न धर्मों और पंथ में अपनाई जाने वाली ब्रिदिंग तकनिक।

  • कुंडलिनी (डायाफ्राम श्वास)
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    कुंडलिनी

योग में कुंडलिनी ध्यान का विशेष महत्व माना जाता है। इस अभ्यास में, श्वास तकनीकों के माध्यम से श्वास को नियंत्रित कर शरीर के भीतर गतिमान ऊर्जा को केंद्रित करने का प्रयास किया जाता है । हिंदू संस्कृती में, कुंडलिनी का अर्थ "कुंडलित सांप" के रूप में संदर्भित किया जाता है। प्राचीन मान्यता तथा योग दर्शन के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति की रीढ़ उसके शरीर की ऊर्जा को वहन करती है। कुंडलिनी में इस ऊर्जा को जगाने, जारी रखने तथा अतिरिक्त व अनावश्यक ऊर्जा का दोहन करने का प्रयास किया जाता है। इस प्रक्रिया में डायाफ्राम से सांस लेने के लिए निर्देशित किया जाता हैं। गौरतलब है की डायाफ्राम मांसपेशी फेफड़ों के नीचे स्थित होती है और इसे सांस लेने के लिए सबसे कुशल मांसपेशी माना जाता है । सही मार्गदर्शन में कुंडलिनी का अभ्यास सांस की तकलीफ को कम करने के अलावा पुराने प्रतिरोधी फुफ्फुसीय रोग से पीड़ित लोगों के लिए उपयोगी होता है।

  • नाड़ी शोधन और प्राणायाम
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    नाड़ी शोधन प्राणायाम

योगाचार्य मीनू वर्मा बताती है की योग में प्राणायाम का विशेष महत्व माना जाता है। इस अभ्यास में नाडी शोधन के लिए सांस को नियंत्रित करने का अभ्यास किया जाता है। यह कई प्रकार का होता है।

दिसंबर 2017 में मेडिकल साइंस मॉनिटर बेसिक रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन में भी माना गया है की इस प्रकार के सांस लेने के नियमित अभ्यास से रक्तचाप को कम होता है और सतर्कता बढ़ जाती है।

  • शमथा शमता
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    शमथा शमता

बौद्ध धर्म में इस श्वास प्रक्रिया का विशेष महत्व माना जाता है। शमथा जिसे अंग्रेजी में माइंडफुलनेस कहा जाता है एक लोकप्रिय बौद्ध ध्यान अभ्यास है जो शांति और स्पष्टता को विकसित करने पर केंद्रित है। उचित मार्गदर्शन में इसके अभ्यास से आंतरिक शांति प्राप्त हो सकती है। एक और बौद्ध ध्यान विपश्यना (जागरूकता) के साथ यदि इसका अभ्यास किया जाय तो शमथा गहन अंतर्दृष्टि और आध्यात्मिक जागृति दे सकता है।

जर्नल ऑफ कॉग्निटिव एन्हांसमेंट में मार्च 2018 में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि शमथ तकनीकों का निरंतर उपयोग ध्यान में सुधार करता है और यह अंतर्दृष्टि, जागरूकता, एकाग्रता और याददाश्त को बढ़ा सकता हैं। माइंडफुलनेस और वेलनेस एक्सपर्ट नंदिता बताती हैं की शमथा ध्यान की दौरान विपश्यना, निकिरेन, लविंग-काइंडनेस मेडिटेशन तथा माइंडफुल ब्रिथिंग सहित अन्य प्रकार के ध्यान का अभ्यास भी किया जाता है।

  • झुआंकी या ज़ुआनकी

यह एक ताओवादी ध्यान प्रक्रिया है जिसमें प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए शरीर और मन को शांत करने पर जोर दिया जाता है। यह ध्यान चीनी दर्शन और ताओ धर्म के साथ जुड़ी प्रथाओं पर आधारित है , जिसमें एकाग्रता, माइंडफुलनेस तथा चिंतन पर ध्यान दिया जाता है। नंदिता बताती हैं की ताओवादी ध्यान , ध्यान अभ्यास की एक श्रृंखला है जिसमें मुख्य रूप से ताओ के तरीके से मन को प्रशिक्षित किया जाता है। ताओवादी ध्यान आमतौर पर सांस प्रवाह पर केंद्रित होता है। ताओवादी ध्यान में बा गुआ झांग, ताओ यिन, "गाइड एंड पुल" ब्रीदिंग एक्सरसाइज, नीडन "इंटरनल कीमिया" तकनीक, नेगॉन्ग "इंटरनल स्किल" प्रैक्टिस, किगोंग ब्रीदिंग एक्सरसाइज, ज़ान ज़ुआंग "स्टैंडिंग लाइक ए पोस्ट" तकनीक का भी अभ्यास किया जाता है।

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