नई दिल्ली: हरियाणा के बल्लभगढ़ के एक श्रमिक के एम्स ट्रामा सेंटर में ब्रेन डेड घोषित किये जाने के बाद उनके परिजनों ने अंगदान करने का फैसला लिया. उनके द्वारा दान किए अंगों में लीवर और एक किडनी एम्स में जरूरतमंद मरीजों को ट्रांसप्लांट कर एक नई जिंदगी दी गई और दूसरी किडनी सफदरजंग अस्पताल में एक मरीज को ट्रांसप्लांट किया गया. इसके अलावा आखों के कॉर्निया और हार्ट वाल्व को एम्स में संरक्षित कर लिया गया है, जिसका उपयोग किसी जरूरतमंद मरीजों की जान बचाने और उन्हें एक नया जीवन देने में किया जाएगा.
एम्स ट्रामा सेंटर में न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रोफेसर एवं ऑर्गन प्रोक्योरमेंट टीम के इंचार्ज डॉ. दीपका गुप्ता ने बताया कि 21 जून 2023 की रात को एम्स ट्रामा सेंटर में बल्लभगढ़ के एक निर्माण श्रमिक राजेश प्रसाद को वेंटिलेटर पर लाया गया था. उनके सिर में काफी चोट थी. निर्माण स्थल पर काम करने के दौरान वह 5 फीट की ऊंचाई से नीचे गिर गया था, जहां लोहे की किसी भारी चीज से उसके सिर में बहुत चोट आई थी. उसे किसी स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बाद में उसे एम्स ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया. यहां उसे बचाने की काफी कोशिश की गई, लेकिन आखिरकार 23 जून को ब्रेन डेड घोषित करना पड़ा. उसी दिन मृतक की पत्नी ने भी अंगदान के लिए सहमति दे दी. अंग पुनर्प्राप्ति 24 जून को दोपहर 1 बजे शुरू हुई और सुबह 5 बजे समाप्त हुई. उसके बाद राजेश के सभी जरूरी अंग रिट्रीव कर लिए गए, जिनमें से एक किडनी और लीवर एम्स में किसी मरीज को ट्रांसप्लांट कर दिया गया और दूसरी किडनी सफदरजंग अस्पताल में एक मरीज को प्रत्यारोपित की गई.
मृतक राजेश प्रसाद के भतीजे अमन ने बताया कि वे लोग बिहार के बिहटा से रोजी-रोटी की तलाश में फरीदाबाद आए. बल्लभगढ़ में 15 साल से रह रहे थे. उनके चाचा राजेश निर्माण श्रमिक थे. 21 जून को भी वह एक साइट पर काम करने गए थे. दोपहर करीब 12 बजे वह लगभग 5 फीट की ऊंचाई से गिर गए. उनका सिर लोहे के किसी भारी चीज से टकरा गया. एक स्थानीय अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया. परिजनों को घटना की कोई जानकारी नहीं दी गई. जब उन्हें एम्स ट्रामा सेंटर में रेफर किया जा रहा था, तब उन्हें बताया गया. ठेकेदार सुरक्षा की कोई जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया है और कोई भी मुआवजा देने से मुकर गया है. चाची (मृतक की पत्नी) खुद बीमार रहती है. 10 और 12 साल की दो बेटियां है और 6 साल का एक बेटा है. इनका भविष्य अंधकारमय दिख रहा है.
डॉ. दीपक बताते हैं कि अंगदान को लेकर एम्स द्वारा चलाए जा रहे अभियानों का सकारात्मक प्रभाव लोगों पर पड़ रहा है. इसलिए यहां अगदान में वृद्धि देखी जा रही है. डोनर का सर्टिफिकेशन रेट बढ़ गया है. संभावित डोनर का पता लगाने और उन्हें अंगदान के लिए प्रेरित करने की आवृर्ति बढ़ी है. नोटो के अनुसार पूरे देश में 2022 में 904 अंगदान हुए. वहीं एम्स में 16 अंगदान हुए. 2023 में अभी तक 6 ब्रेनडेड मरीजों के अंगदान हो चुके हैं. डॉ. दीपक बताते हैं कि दिल्ली में केवल एम्स ट्रामा सेंटर में ही अंगदान हो रहे हैं. सफदरजंग, आरएमएल और सुश्रत ट्रामा सेंटर में अंगदान जीरो है. यदि यहां भी अंगदान को लेकर सक्रियता दिखाई जाए, तो बहुत सारे जरूरतमंदों को नई जिंदगी मिल सकती है.