नई दिल्ली: गलतियों को ना दोहराते हुए उसकी सीख लेकर कुछ नया करना ही समझारी की बात होती है. किसी भी दुर्घटना के बाद उस पर विवेचना करना और उसकी कमियों को जांचना एक अच्छी सोच कही जाती है. जी हां, उत्तराखंड के टनल में जिस तरह 41 मजदूर फंसे हुए थे उसमें कहीं ना कहीं किसी तरह की चूक या गलती हुई थी. इस विषय पर चर्चा के लिए आईआईटी कैंपस में IIT और SJVN के साथ दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है.
उत्तराखंड टनल हादसे में अच्छी सूझबूझ और सामूहिक प्रयासों का परिणाम रहा कि 41 मजदूरों की जिंदगी बचाई जा सकी. सच्चाई है कि गलतियों से सभी को सीखना चाहिए. शायद इसीलिए भारत सरकार ने उस घटना के बाद टनल को बनाने के लिए कैसे और आधुनिक उपकरण और आधुनिक तरीका अपनाया जाए इसको लेकर बड़े स्तर पर कार्य शुरू कर दी है और इसी कड़ी में दिल्ली के दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है.
आयोजन में सैकड़ों एक्सपर्ट और आईआईटी के इंजीनियर अब इस बात पर चर्चा करेंगे कि कैसे बेहद आधुनिक तरीके से और सुरक्षित तरीके से सुरंग को बनाया जाए. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर थे. उन्होंने इस आयोजन में बताया कि 2047 में जब भारत जब अपने आजादी का 100 साल मनाएगा.
उस वक्त सरकार चाहती है कि तब तक टनल बनाने में जो विज्ञान और उपकरण का इस्तेमाल किया जाए वह बेहद आधुनिक हो और उत्तराखंड जैसी घटना फिर दोबारा ना हो. कुल मिलाकर उत्तराखंड में हुए हादसे के बाद भारत सरकार ने सबक लेते हुए इस संगोष्ठी का आयोजन किया है. जाहिर है जब इतने सारे विद्वान इस विषय पर चर्चा करेंगे तो सुरंग बनाने के कई आधुनिक तकनीकों पर विचार किया जाएगा और आने वाले समय में सुरंग बनाने की बेहद आधुनिक तकनीक का ईजाद होगा.