नई दिल्ली: लद्दाख की गलवान वैली में चीनी सेना और भारतीय जवानों के बीच हुए संघर्ष के बाद देशभर में चीनी सामान को बैन करने की आवाज उठ रही है. हर मोर्चे पर चीन का बहिष्कार और उसे मुंहतोड़ जवाब देने की बात की जा रही है. लेकिन वर्तमान स्थिति में जहां हम सभी अधिकतर चीनी सामान पर निर्भर है. चीनी सामान आज किसी न किसी रूप में हर एक घर में मौजूद है. उसे कैसे बाहर किया जा सकता है या फिर चाइना बॉयकॉट को लेकर हम कितने तैयार हैं. इस पर एशिया की सबसे बड़ी मार्केट नेहरू प्लेस के व्यापारियों से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.
सरकार से नीति बनाने की मांग
हम सभी जानते हैं कि हमारे मोबाइल फोन से लेकर अपने घर में रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली अधिकतर चीजे हम चाइनीज कंपनी की इस्तेमाल करते हैं. इनसे केवल इलेक्ट्रिक या इलेक्ट्रॉनिक ही नहीं बल्कि घरेलू सामान, फर्नीचर, त्योहारों पर सजावट का सामान, कपड़ा समेत कई चीजें चाइना से भारत में आती है. ऐसे में हम चाइना बॉयकॉट को लेकर कितने तैयार हैं, इस पर नेहरू प्लेस मार्केट एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी स्वर्ण सिंह ने बताया कि हम देश के साथ हैं, देश के जवानों के साथ हैं. चाइना एक तरफ हमारे साथ व्यापार करता है और दूसरी तरफ सीमा पर हमारे जवानों पर हमला करता है. ऐसा दोहरा चरित्र हम बर्दाश्त नहीं करेंगे. इसके लिए हम सरकार से एक नीति बनाए जाने की मांग करते हैं, जिससे देश में चाइना पर निर्भरता कम हो.
90 फीसदी तक होता है व्यापार
स्वर्ण सिंह ने बताया कि नेहरू प्लेस एशिया की सबसे बड़ी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर मार्केट है. और यह सच है कि मार्केट में 90 फीसदी सामान चाइनीज कंपनियों से आयात होता है. कंप्यूटर पार्ट्स हो या लैपटॉप, मोबाइल फोन तमाम चीजों के लिए हम चाइना से आयात करते हैं. हम चीन का ही अधिकतर सामान बेचते हैं. लेकिन हम खुद चाहते हैं कि अगर चाइना बॉयकॉट होता है, तो हम भारत का सामान बेचें. भारत में ही मैन्युफैक्चरिंग हो. लेकिन इसके लिए सरकार को जरूरी है कि वह एक नीति लेकर आए और इस पर फैसला ले.
भारत में हो मैन्युफैक्चरिंग की व्यवस्था
स्वर्ण सिंह ने कहा कि देश का व्यापारी देश की रीढ़ की हड्डी माना जाता है. हम देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. हम चीन का माल बेच रहे हैं क्योंकि सरकार ने उन कंपनियों को भारत के साथ व्यापार करने की इजाजत दी है. सरकार अगर इसमें फैसला लेती है और भारत में ही कंपनियां बनाई जाती हैं, मैन्युफैक्चरिंग की जाती है. तो चाइना को बॉयकॉट्स किया जा सकता है. इसके लिए सरकार को एक नीति बनानी होगी.