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ETV मोहल्ला: महरौली की इस कॉलोनी में सड़कों और गलियों का हाल है बेहाल

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Published : Dec 31, 2019, 10:36 AM IST

Updated : Jan 3, 2020, 6:00 PM IST

महरौली की मखदूम समाउद्दीन कॉलोनी के लोगों का कहना है कि पूरे क्षेत्र में नाली और सीवर की बड़ी समस्या है. 5 दिन में एक बार पानी आता है और क्षेत्र में सीवरेज सिस्टम नहीं है.

ETV Mohalla Mehrauli people facing roads and sewer problems
गलियों की हालत खस्ता

नई दिल्ली: महरौली की मखदूम समाउद्दीन कॉलोनी का कोई पुरसाने हाल नहीं है. लोगों ने ईटीवी भारत को बताया कि इलाके में विधायक और काउंसलर सिर्फ चुनाव के समय वोट मांगने आते हैं. फिर उसके बाद क्षेत्र में दिखाई ही नहीं देते. इलाके के लोगों की शिकायत है कि यहां कोई मूलभूत सुविधाएं नहीं है.

महरौली की इस कॉलोनी में सड़कों और गलियों का हाल है बेहाल

बता दें कि इस बस्ती में बहुत मशहूर वली हजरत शेख समाउद्दीन की दरगाह है. जहां हजारों की तादाद में उनके मुरीद यहां आते हैं. शेख समा उद्दीन के नाम पर रखा गया है और इस इलाके में 10 हजार की आबादी है.

इलाके में सीवरेज सिस्टम नहीं है
मोहम्मद असलम ने बताया कि इस पूरे क्षेत्र में नाली और सीवर की बड़ी समस्या है. 5 दिन में एक बार पानी आता है और क्षेत्र में सीवरेज सिस्टम नहीं है. जिसकी वजह से गलियों में पानी भर जाता है.

इलाके में नहीं है डिस्पेंसरी और बारात घर
मोहम्मद शकील ने अफसोस के साथ बताया कि कभी-कभी हमें ऐसा लगता है कि हम 100 साल पहले जी रहे हैं. हिंदुस्तान की राजधानी नहीं लगती, बल्कि ऐसा लगता है किसी पिछड़े इलाके में रहते हैं. हमारे इलाके के लोगों को कोई सरकारी सुविधा नहीं मिलती है. पूरे इलाके में स्कूल, डिस्पेंसरी और बारात घर नहीं है.

60 साल पहले आबाद हुई थी ये बस्ती
स्थानीय निवासी अमीरुद्दीन और अत्ताउल्लाह बताते हैं कि ये बस्ती करीब 60 साल पहले आबाद हुई थी. तब से आज तक ये पूरी तरह से पिछड़ी हुई है. एमएलए और कौन सर कभी इलाके का दौरा नहीं करते, वोट के लिए आते हैं. फिर उसके बाद आकर झांकते भी नहीं है.

Intro:मेहरौली की मखदूम समा उद्दीन कॉलोनी का कोई पुरसाने हाल नहीं है. लोगों ने ईटीवी भारत को बताया कि इलाके में एमएलए और काउंसलर सिर्फ चुनाव के समय वोट मांगने आते हैं फिर उसके बाद क्षेत्र में आने का गवारा भी नहीं करते. बता दें कि इस बस्ती में बहुत मशहूर वली हजरत शेख समा उद्दीन की दरगाह है. जहां हजारों की तादाद में उनके मुरीद यहां आते हैं. उन बुजुर्ग के ही नाम से यह बस्ती क़ायम है और क़रीब 10हज़ार की आबादी है. Body:इलाके में सीवरेज सिस्टम नहीं है
मोहम्मद असलम ने बताया कि इस पूरे क्षेत्र में नाली और सीवर की बड़ी समस्या है, 5 दिन में पानी एक बार आता है और क्षेत्र में सीवरेज सिस्टम नहीं है, जिसकी वजह से गलियों में पानी भर जाता है.

ऐसा लगता है किसी गांव में रहते हैं
मोहम्मद शकील ने अफसोस के साथ बताया कि कभी-कभी हमें ऐसा लगता है कि हम 100 साल पहले जी रहे हैं, हिंदुस्तान की राजधानी नहीं लगती, बल्कि ऐसा लगता है किसी पिछड़े गांव में कहते हैं, हमारे इलाके के लोगों को सरकारी कोई सुविधा नहीं मिलती है, पूरे इलाके में स्कूल डिस्पेंसरी और बरात घर नहीं है. Conclusion:60 साल पहले आबाद हुई थी यह बस्ती

अमीरुद्दीन और अत्ताउल्लाह बताते हैं कि यह बस्ती करीब 60 साल पहले आबाद हुई थी, तब से आज तक यह पूरी तरह से पिछड़ी हुई है, एमएलए और कौन सर कभी इलाके का दौरा नहीं करते, वोट के लिए आते हैं फिर उसके बाद आकर झांकते भी नहीं है
Last Updated :Jan 3, 2020, 6:00 PM IST
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