शारदीय नवरात्रि 2022 : नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की होगी पूजा, जानें वृषभरूढ़ा की कथा

author img

By

Published : Sep 26, 2022, 12:13 AM IST

Updated : Sep 26, 2022, 10:11 AM IST

first day of sharadiya navratri 2022

नवरात्रि के प्रत्येक दिन मां अंबे के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है. पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. सफेद वस्त्र धारण किए मां शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प शोभायमान है. मां के माथे पर चंद्रमा सुशोभित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां सती पर्वतराज हिमालय के घर जन्मीं इसलिए वह शैलपुत्री कहलाईं. तो चलिए जानते हैं मां शैलपुत्री की पूजा विधि, मंत्र और कथा.

नई दिल्ली: नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है. इस साल नवरात्रि 26 सितंबर 2022 से शुरू होगी और 4 अक्टूबर 2022 को खत्म होगी. मां दुर्गा के नौ रूप अति प्रभावशाली और सर्व मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली है. कहते हैं, नवरात्रि में जो मां के इन नौ रूपों का वर्णन और कथा श्रद्धा भाव से सुनता या सुनाता है, तो मां उस पर प्रसन्न होती हैं और विशेष कृपा रखती है. चलिए सुनते हैं, मां के कल्याणकारी नौ रूपों में से पहले रूप का वर्णन एवं कथा.

नवरात्रि का पहला दिन: नवरात्री के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. पुराणों के अनुसार माता शैलपुत्री का जन्म पर्वत राज हिमालय की पुत्री के रूप में हुआ था. इसीलिए उनका नाम शैलपुत्री है. शैलपुत्री को शैलसुता के नाम से भी जाना जाता है. मां दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प धारण करती हैं. मां त्रिशूल से पापियों का नाश करती हैं, जबकि पुष्प ज्ञान और शांति का प्रतीक माना जाता है.

पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना

मां शैलपुत्री को सम्पूर्ण हिमालय पर्वत समर्पित है. मां शैलपुत्री का नवरात्री के पहले दिन विधिपूर्वक पूजन करने से शुभ फल प्राप्त किया जा सकता है. माना जाता है कि जिसकी कुंडली में मंगल की स्थिति खराब हो, उन्हें मां शैलपुत्री की पूजा करनी चाहिए. माता को सफेद वस्तुएं बहुत पसंद है. इसलिए पूजा में सफेद फल, फूल और मिष्ठान चढ़ाना फलदायी होता है. कुंवारी कन्याओं का इस व्रत को करने से अच्छे वर की प्राप्ति होती है. मां शैलपुत्री का पूजा व्रत करने से जीवन में स्थिरता आती है.

मां शैलपुत्री की पूजा विधि: नवरात्रि के पहले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि से निवृत होकर साफ कपड़े पहनें. इसके बाद चौकी को गंगाजल से साफ करके मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो को स्थापित करें. मां के सामने धूप, दीप जलाएं और मां की देसी घी के दीपक से आरती उतारें. शैलपुत्री माता की कथा, दुर्गा चालिसा, दुर्गा स्तुति या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.

मां शैलपुत्री की पूजा मंत्र: माता शैलपुत्री की पूजा षोड्शोपचार विधि से की जाती है. इनकी पूजा में सभी नदियों, तीर्थों और दिशाओं का आह्वान किया जाता है. मां शैलपुत्री का मंत्र इस प्रकार है.

वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।

पूर्णन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्।

पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता॥

प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुंग कुचाम्।

कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम्॥

या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:।

first day of sharadiya navratri 2022
मां शैलपुत्री की पूजा मंत्र

मां शैलपुत्री की कथा: एक बार प्रजापति दक्ष ने एक बड़ा यज्ञ करवाया. उसमें उन्होंने सारे देवताओं को यज्ञ में अपना-अपना भाग लेने के लिए निमंत्रित किया. परंतु शिवजी को उन्होंने निमंत्रित नहीं किया. जब नारद जी ने माता सती को इस यज्ञ की बात बताई, तब मां सती का मन वहां जाने के लिए बेचैन हो गया. उन्होंने शिवजी को यह बात बताई तब शिवजी ने कहा- प्रजापति दक्ष किसी बात से हमसे नाराज हो गए हैं, इसीलिए उन्होंने हमें जान बुझकर नहीं बुलाया. ऐसे में तुम्हारा वहां जाना ठीक नहीं है. यह सुनकर मां सती का मन शांत नहीं हुआ. उनका प्रबल आग्रह देखकर शिवजी ने उन्हें वहां जाने की अनुमति दे दी. जब मां सती वहां पहुंची तो उन्होंने देखा कि कोई भी वहां पर उनसे ठीक से या प्रेम से व्यवहार नहीं कर रहा था. केवल उनकी माता ही उनसे प्रेमपूर्वक बात कर रही थीं. तब क्रोध में आकर माता सती ने उस यज्ञ की अग्नि से अपना पूरा शरीर भष्म कर दिया और फिर अगले जन्म में पर्वत राज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया और शैलपुत्री के नाम से जानीं गईं. इन्हीं को पार्वती और हैमवती के नाम से भी जाना जाता है. उपनिषद् की एक कथा के अनुसार इन्होंने ही हैमवती स्वरूप से देवताओं का गर्व-भंजन किया था.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी पंडित जय प्रकाश शास्त्री से बातचीत पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि etvbharat.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप

Last Updated :Sep 26, 2022, 10:11 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.