नई दिल्ली: आदर्श नगर में रहने वाली पिंकी ने छोटी उम्र में ऐसा धोखा पाया, जिससे वो कुछ पल के लिए टूट गई, लेकिन हिम्मत नहीं हारी. धोखा देने वाले पति को सबक सिखाने के लिए वो कानूनी जंग लड़ने उतर पड़ी. यहां भी उसे निराशा हो रही थी, लेकिन उत्तरी जिला डीएलएसए की तरफ से जब उसे मदद मिली तो उसके केस में तेजी आई. हालात इस कदर बदले कि जो ससुराल वाले उसे देखना नहीं चाहते थे, वो अब उससे माफी की गुहार लगा रहे हैं.
पिंकी ने बताया कि वो दिल्ली की रहने वाली है. वर्ष 2016 में उसने बिहार के भागलपुर निवासी सुनील से शादी की थी. कुछ महीने तक सब ठीक रहा, लेकिन इसके बाद पति उससे अलग हो गया. वो काफी समय तक उसके सामने मिन्नतें करती रही, लेकिन न तो सुनील और ना ही उसके ससुराल वालों ने उसकी बात सुनी. इसलिए वर्ष 2018 में उसने महिला आयोग से संपर्क कर अदालत में केस डाला.
दो साल तक कानूनी प्रक्रिया में उलझी रही
अदालत में पिंकी ने केस तो डाल दिया, लेकिन वहां से कोई ठोस नतीजा नहीं मिल रहा था. उसके ससुराल वालों को नोटिस भेजा जाता, लेकिन वो पेश होने नहीं आते थे. इससे पिंकी को निराशा होने लगी, लेकिन तभी वो डीएलएसए उत्तरी जिला के सचिव संदीप गुप्ता से मिली. उसने अपनी परेशानी के बारे में उन्हें बताया. संदीप गुप्ता की तरफ से पहले पिंकी की काउंसलिंग करवाई गई. इसके बाद डीएलएसए के वकील राम चंद्रन को ये मामला सौंपा गया.
डीएलएसए के सहयोग से पलटी बाजी
डीएलएसए उत्तरी जिला के सचिव संदीप गुप्ता ने बताया कि महिला के केस में उसे सबसे ज्यादा परेशानी ये थी कि उसे समझ नहीं आ रहा था कि अदालत में क्या चल रहा है. ऐसे में डीएलएसए की तरफ से दिए गए वकील ने जब उसके पति को नोटिस कराये तो इस बार उसे भी जांच अधिकारी के साथ भेजा गया. वहां जाने पर उसे पता चला कि बिना तलाक के सुनील ने वहां एक साल पहले शादी कर ली है. ऐसे में वहां उसे हालात का पता चल गया. उसके ससुराल पक्ष को नोटिस दिया गया.
न्यायिक प्रक्रिया पर लौटा पिंकी का विश्वास
कानूनी प्रक्रिया के दौरान न्याय से जहां पिंकी का विश्वास हिल गया था, वो डीएलएसए की मदद से एक बार फिर पक्का हो गया. उसे ये समझ आने लगा कि किस प्रकार से उसके मामले में पैरवी की जा रही है. उसका केस किस स्टेज पर है और किस तरीके से उसे कानूनी मदद मिल रही है.
डीएलएसए ने करवाई ठहरने की व्यवस्था
पिंकी दिल्ली में अकेली है और ऐसे में उसके पास रहने के लिए भी कोई अपनी जगह नहीं है. काफी रुपए उसे किराये के रूप में देने पड़ रहे थे. ये समस्या उसने डीएलएसए के समक्ष रखी जिसके बाद सचिव संदीप गुप्ता की तरफ से आश्रम में उसके रहने का भी इंतजाम करवाया गया है.