नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के अपने सदस्यों ने ही अपनी पार्टियों को वोट नहीं दिया, जो इनकी हार का बड़ा कारण बना है. भारतीय जनता पार्टी का तो वोट शेयर भी 6.21 फीसदी बढ़कर 38.51 फ़ीसदी तक पहुंच गया है लेकिन पार्टी के अपने दावे इसे फीका साबित कर रहे हैं. उधर कांग्रेस का वोट शेयर भी गिरा और पार्टी खुद भी. आम आदमी पार्टी ने यहां सबसे अधिक 53.57 फ़ीसदी वोट के साथ दिल्ली की 70 में से 62 सीटों पर विजय हासिल की है.
चुनाव से 'आप' ने कर दी थी भविष्यवाणी
दरअसल, चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के नेताओं ने कई जनसभाओं में ऐसे दावे किए कि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के नेता भी उनकी ही पार्टी को वोट करने वाले हैं. चुनाव तक इसे महज राजनीतिक भाषण की बातें माना जा रहा था लेकिन चुनाव के बाद जो नतीजे आए हैं उनसे यह साबित हो गया है. दोनों ही पुराने दलों को यहां करारी हार तो मिली है साथ ही उनका अपना वोट भी उनके हाथ से निकल गया है.
भाजपा का था दावा
चुनाव से पहले तक भाजपा ने यह दावा किया था कि दिल्ली में उसके 62.28 लाख सदस्य हैं जबकि चुनावों में उसे कुल 35.7 लाख वोट ही मिले. इसी तरह कांग्रेस की दिल्ली में 7 लाख सदस्य होने का दावा तो करती है लेकिन चुनाव परिणाम में उसे 4 लाख वोट भी नहीं मिल पाए. आम आदमी पार्टी इन सभी दलों में सबसे ऊपर 49.74 लाख से ज्यादा वोट पाकर दिल्ली में सत्ता में तीसरी बार काबिज़ होने के लिए तैयार है.
आत्ममंथन का समय
भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के लिए आत्ममंथन का समय है. दोनों ही पार्टियों के जब अपने लोगों ने इन्हें वोट नहीं दिया तो आम लोगों से तो भला क्या ही उम्मीद की जा सकती थी. इसमें भी कांग्रेस की हालत तो सबसे ज्यादा खराब है जिसका वोट शेयर भी 5.44 फ़ीसदी नीचे गिरकर 4.26 पर पहुंच गया है. अब देखने वाली बात होगी कि यह पार्टियां राजधानी में खुद की मजबूती के लिए क्या कुछ कदम उठाती हैं.