ETV Bharat / state

हिमालय से दिल्ली पहुंचे हजारों पक्षियों के लिए किए गए विशेष इंतजाम, जानें पक्षियों की मेहमान नवाजी की वजह

author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 22, 2023, 2:13 PM IST

हिमालय से दिल्ली पहुंचे हजारों पक्षी
हिमालय से दिल्ली पहुंचे हजारों पक्षी

Thousands of painted starlings reached Delhi : इन दिनों दिल्ली के नेशनल जूलॉजिकल पार्क में लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हैं हिमालय की तलहटी से बड़ी संख्या में आए पेंटेड स्टार्क. अगस्त के दूसरे सप्ताह से यहां खाने की तलाश में पहुंचे सारस मार्च तक यहीं रहेंगे. नेशनल जूलॉजिकल पार्क प्रबंधन ने इनके लिए विशेष इंतजाम कर रखा है.

हिमालय से दिल्ली पहुंचे हजारों पक्षी

नई दिल्ली : हिमालय की तलहटी से बड़ी संख्या में पेंटेड स्टार्क दिल्ली के नेशनल जूलॉजिकल पार्क पहुंचे है. पेंटेड स्टार्क यहां इसलिए रहना पसंद कर रहे हैं क्योंकि यहां का वातावरण उनके अनुरूप बनाया जाता है. यहां पेंटेड स्टोर्क ने पेड़ों पर घोंसले बना रखे हैं और घोसलों में अंडे हैं. रोजाना पार्क में आने वाले लोगों के लिए इनकी तस्वीरें अपने कैमरे में कैद करना एक आनंद देने वाला अनुभव है.

नेशनल जूलॉजिकल पार्क में ये पेंटेड स्टार्क दो तालाब में ये सारस रुके हैं. रोजाना इन्हें खाने के लिए तालाब में करीब 70 किलो मछलियां डाली जाती हैं. इनकी सुविधाओं पर भी विशेष नजर रखी जा रही है. मार्च तक इन सारस की संख्या दोगुनी हो जाएगी. पेंटेड स्टार्क भारतीय उपमहाद्वीप में हिमालय के दक्षिण में उष्णकटिबंधीय एशिया के मैदानी इलाकों में आद्रभूमि में पाए जाते हैं. ये नदियों व झीलों के उधले पानी में झुंड में मछलियां खाते हैं.

पार्क में पेड़ों पर सारस ने बनाए घोंसले

पेड़ों पर घोसला बनाकर रहते हैं. सर्दियों में हिमालय की तलहटी में झील और नदियों का पानी जम जाता है ऐसे में इन पछियों को मछलियां नहीं मिल पाती हैं.इस वजह से हजारों की संख्या में मैदानी इलाकों में पलायन कर जाते हैं .इसी प्रक्रिया के दौरान पेंटेड स्टार्क दिल्ली के और नेशनल जूलॉजिकल पार्क पहुंचे हैं.

रोजना करीब 70 किलो मछलियां दी जा रहीः
नेशनल जूलॉजिकल पार्क की डायरेक्टर आकांक्षा के मुताबिक मौसम में बदलाव, भोजन की उपलब्धता और प्रजनन के लिए ये पेंटेड स्टार्क स्थान बदलते हैं. हलांकि ये बहुत दूर नहीं जाते हैं. नेशनल जूलॉजिकल पार्क में ही ये सारस आने शुरू हो गए थे. एक हजार से अधिक की संख्या में आए हैं. दो तालाबों को इन सारस के लिए आरक्षित किया गया है. इन दोनों तालाबों में रोजाना करीब 70 किलो मछलियां डाली जाती हैं.

मार्च तक दोगुनी संख्या में हो जाएंगे चित्रित सारसः
अधिकारियों के मुताबिक सारस ने पेड़ों पर बड़े घोसले बनाए हुए हैं. उनमें अंडे दिए हुए हैं. विशेष बात यह है कि सारस के जोड़े का एक साथी अंडे की हिफाजत के लिए हमेशा घोसले में रहता है. मार्च तक ये सारस यहां रहेंगे. तब तक इनकी संख्या करीब दोगुनी हो जाएगी. अप्रैल का प्रारंभ में ये सारस दोबारा हिमालय की तलहटी में चले जाएंगे. कुछ सारस यहां का वातावरण पसंद आने या ना उड़ पाने के कारण यहीं रह जाते हैं.

ये भी पढ़ें :विलुप्त होते गिद्धों के हर 'राज' से उठेगा 'पर्दा', सैटेलाइट टैग से मीलों दूर तक होगी 'जासूसी'

ये भी पढ़ें : नवरात्रि की छुट्टियों के दौरान पर्यटकों की पहली पसंद बने जंगल सफारी

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.