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Money Laundering Case: सुपरटेक के मालिक आरके अरोड़ा 24 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में, ED ने किया था गिरफ्तार

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Published : Jul 10, 2023, 5:52 PM IST

सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. सोमवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 24 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया. ED ने अरोड़ा को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया है.

आरके अरोड़ा को ED ने किया गिरफ्तार
आरके अरोड़ा को ED ने किया गिरफ्तार

नई दिल्ली: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपित सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा को सोमवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने 24 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने अरोड़ा को उनकी रिमांड खत्म होने पर दोपहर में कोर्ट में पेश किया. बता दें, अरोड़ा को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने शनिवार को गिरफ्तार किया था.

इससे पहले ईडी ने अरोड़ा को समन जारी कर 27 जून को पूछताछ के लिए अपने ऑफिस बुलाया था. सुपरटेक ग्रुप ऑफ कंपनीज के खिलाफ दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के अलग-अलग थानों में फ्लैट खरीदारों के साथ धोखाधड़ी करने के मामले दर्ज हैं. इसके आधार पर ईडी ने प्रोटेक्शन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत जांच शुरू की थी.

यह भी पढ़ें: सुपरटेक बिल्डर के MD, डायरेक्टर सहित 34 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा

जांच में पाया गया कि फ्लैट खरीदारों से फ्लैट के नाम पर मोटा पैसा लिया गया. उन्हें समय पर पजेशन नहीं दिया गया. साथी प्रोजेक्ट के नाम पर बैंकों से लिए गए लोन का भी इस्तेमाल नियमों के विरुद्ध किया गया. पूछताछ में अरोड़ा द्वारा दिए गए जवाबों से जब ईडी अधिकारी संतुष्ट नहीं हुए तो फिर गिरफ्तारी की गई. बता दें, अरोड़ा बिल्डरों के संगठन नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल के अध्यक्ष भी हैं.

  • Supertech chairman RK Arora sent to judicial custody till 24th July, in connection with a money laundering case https://t.co/vPoVTfjgGi

    — ANI (@ANI) July 10, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

40 करोड़ की संपत्ति कुर्क कर चुकी है ईडीः अप्रैल में ईडी द्वारा सुपरटेक की 40 से अधिक संपत्तियों को कुर्क किया गया था. जिनमें उत्तराखंड में बनी 25 अचल संपत्तियां और उत्तर प्रदेश के मेरठ में बना एक मॉल शामिल हैं. अप्रैल में एक बयान में ईडी ने कहा था कि कंपनी और उसके निदेशक अपनी रियल एस्टेट परियोजनाओं में बुक किए गए फ्लैटों के लिए एडवांस के रूप में संभावित खरीदारों से धन इकट्ठा करके लोगों को धोखा देने की आपराधिक साजिश में शामिल थे और खरीदारों को समय पर पजेशन देने में विफल रहे.

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