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डीयू का शताब्दी वर्ष : सीईएस योजना से अन्य संस्थानों के छात्र भी कर सकेंगे डीयू के पाठ्यक्रमों में अध्ययन

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Published : Aug 4, 2022, 9:22 AM IST

दिल्ली विश्वविद्यालय कंपीटेंस इनहेंसमेंट स्कीम नाम की एक योजना शुरू करने जा रहा है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के व्यक्तियों को दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाए जा रहे किसी भी विषय में अपने ज्ञान और समझ को बढ़ाने के लिए डीयू में पढ़ने का अवसर मिलेगा. योजना का शुभारंभ अगले वर्ष की शुरुआत में किया जाएगा.

डीयू का शताब्दी वर्ष
डीयू का शताब्दी वर्ष

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय अपने शताब्दी वर्ष में कंपीटेंस इनहेंसमेंट स्कीम (सीईएस) नामक एक अनूठी योजना शुरू करने जा रहा है. विश्वविद्यालय द्वारा शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) को लागू करने के साथ ही इसके उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कंपीटेंस इनहेंसमेंट स्कीम (सीईएस) का शुभारंभ भी किया जाएगा. विश्वविद्यालय की अकैडमैक कौंसिल की मीटिंग में इस योजना को मंजूरी मिल चुकी है. योजना का शुभारंभ शताब्दी समारोह के भाग के रूप में अगले वर्ष (2023) की शुरुआत में किया जाएगा.

गौरतलब है कि कंपीटेंस इनहेंसमेंट स्कीम एक ऐसी योजना है जो विभिन्न क्षेत्रों के व्यक्तियों को दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाए जा रहे किसी भी विषय में अपने ज्ञान और समझ को बढ़ाने के लिए डीयू में पढ़ने का अवसर देती है. यह योजना अन्य विश्वविद्यालयों/संस्थानों के विद्यार्थियों को भी डीयू के कुछ पाठ्यक्रमों में अध्ययन करने का अवसर प्रदान करेगी. यह योजना स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर चलाए जा रहे पाठ्यक्रमों के लिए खुली है.

योजना के लक्ष्य

डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह के अनुसार इस योजना का उद्देश्य नई जानकारी के साथ दक्षता में वृद्धि करना है. उनका कहना है कि इस योजना के तहत उद्यमी नए कौशल/प्रौद्योगिकी अर्जित करके अपने व्यवसाय में वृद्धि कर सकेंगे. इसके तहत प्रबंधन पाठ्यक्रमों के अध्ययन से निम्न/मध्य स्तर के प्रबंधन कर्मियों के प्रबंधकीय कौशल में सुधार होगा. जो लोग सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों या तत्कालीन समय के दौरान किसी कमी के कारण पहले अपेक्षित योग्यता प्राप्त नहीं कर सके, वह इस योजना से उच्चतर शिक्षा प्राप्त करने के सपनों को पूरा कर सकेंगे.

कुलपति के अनुसार इस योजना के तहत वरिष्ठ नागरिक अपनी योग्यता/ज्ञान/कौशल में वृद्धि करके महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाने में सक्षम होंगे. पारंपरिक कारीगर, शिल्पकार अथवा श्रमिक इस योजना के तहत नवीनतम तकनीक/मशीन का उपयोग करना सीखकर अपने कौशल में सुधार करेंगे और पारंपरिक प्रणाली के बजाए आधुनिक उपकरणों का उपयोग करने में खुद को उन्नत करेंगे. युवा और ऊर्जावान विद्यार्थियों के साथ सीखने से उनमें आत्मविश्वास, उत्साह और प्रयोजन की भावना पैदा होगी. इस योजना से विश्वविद्यालय के संसाधनों का लोगों के लाभ के लिए व्यापक रूप से प्रभावी उपयोग होगा.

इस योजना का उद्देश्य अन्य विश्वविद्यालयों/संस्थानों में दाखिल विद्यार्थियों को डीयू के किसी पाठ्यक्रम में नामांकन किए बिना ही एक सेमेस्टर में एक से दो पाठ्यक्रमों का अध्ययन करने का अवसर देकर विद्यार्थियों की गतिशीलता में वृद्धि करना भी है. उन्होंने कहा कि व्यवसाय/कार्यस्थल की लगातार उभरती जरूरतों का सामना करने के लिए बड़े पैमाने पर समाज को सक्षम बनाना भी इस योजना के उद्देश्यों में शामिल है.

ये होंगे पात्रता के मापदंड

डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह के अनुसार ऐसा कोई भी व्यक्ति जो किसी मौजूदा पाठ्यक्रम के लिए निर्दिष्ट न्यूनतम पात्रता मापदंड और अनिवार्य शर्तें, यदि कोई हो, को पूरा करता है, उस पाठ्यक्रम के लिए पंजीकरण कर सकता है. हालांकि प्रवेश सीटों की उपलब्धता के अनुरूप और मेरिट के आधार पर ही होगा. इस योजना के लिए उपलब्ध पाठ्यक्रम में सीटों की संख्या उस पाठ्यक्रम की कक्षा की कुल संख्या का अधिकतम 10% तक होगी. पाठ्यक्रम में इन 10% सीटों का प्रावधान अलग से होगा.

पाठ्यक्रम के लिए पंजीकरण और वैधता

किसी भी पाठ्यक्रम के लिए पंजीकरण योग्यता के आधार पर किया जाएगा. जो उम्मीदवार पहले से ही किसी अन्य विश्वविद्यालय/ संस्थान में नियमित छात्र या नियोजित कर्मचारी के रूप में नामांकित है, उसे मूल विश्वविद्यालय/ संस्थान या उसके नियोक्ता, जैसा भी मामला हो, से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर डीयू में पंजीकरण के समय जमा करना होगा. विशिष्ट पाठ्यक्रम के लिए उम्मीदवारों का पंजीकरण केवल उसी सेमेस्टर के लिए मान्य होगा. जो विद्यार्थी किसी पाठ्यक्रम को उत्तीर्ण/पूरा करने में विफल रहते हैं, यदि वह ऐसे पाठ्यक्रम से क्रेडिट अर्जित करना चाहते हैं और संबंधित प्रमाणपत्र प्राप्त करना चाहते हैं, तो उन्हें पाठ्यक्रम में पुनः पंजीकरण करवाना होगा. एक उम्मीदवार को एक सेमेस्टर में अधिकतम दो पाठ्यक्रमों या आठ क्रेडिट के लिए ही पंजीकरण करने की अनुमति होगी. शिक्षण या निर्देश उसी मोड और माध्यम में प्रदान किए जाएंगे जैसे कि नियमित विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध होंगे और इन उम्मीदवारों के लिए मूल्यांकन का तरीका भी नियमित विद्यार्थियों के समान ही होगा.

फीस और प्रमाणपत्र

ऐसे पाठ्यक्रम (पाठ्यक्रमों) में पंजीकरण करने वाले उम्मीदवारों के लिए देय शुल्क का निर्धारण, परिचालन और कार्यात्मक आवश्यकताओं के अनुरूप, विश्वविद्यालय द्वारा समयानुसार किया जाता रहेगा. 1-2 पाठ्यक्रमों के लिए पंजीकृत उम्मीदवार को विश्वविद्यालय के निर्धारित मापदंडों के अनुसार पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद एक प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा और उसके अर्जित क्रेडिट को अकैडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट में उसके खाते में स्थानांतरित कर दिया जाएगा.

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