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सावन की शिवरात्रि पर मंदिरों में धूम, जानें पूजा विधि, महत्व और शुभ मूहर्त...

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Published : Jul 26, 2022, 8:27 AM IST

Worship on Shivaratri of Sawan
Worship on Shivaratri of Sawan

सावन की शिवरात्रि शिव भक्तों के लिए बहुत की खास होती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन शिवलिंग की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है. सावन की शिवरात्रि की पूजा विधि, महत्व और शुभ मूहुर्त जानने के लिए पढ़िये पूरी खबर.

नई दिल्ली: सावन की शिवरात्रि शिव भक्तों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा विधि-विधान से करने पर सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. पूरे देश समेत राजधानी दिल्ली के विभिन्न मंदिरों में मंगलवार को भगवान शिव की पूजा के लिए भक्तों और श्रद्धालुओं की ना सिर्फ लंबी लंबी कतारें लगी हैं, बल्कि बड़ी संख्या में हरिद्वार, ऋषिकेश, गंगोत्री और यमुनोत्री से जल भरकर ला रहे कावड़ियों के द्वारा जलाभिषेक किया जा रहा है. आज के दिन भगवान शिव की पूजा का महत्व काफी ज्यादा बढ़ जाता है.


सावन की शिवरात्रि का महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि आती है. परंतु श्रावण महीने की शिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण होती है. क्योंकि श्रावण मास भगवान शिव को अति प्रिय है. इस पूरे महीने को भगवान शिव का महीना माना जाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत करने से मुश्किल कार्य आसान हो जाते हैं और व्रती की सभी समस्याएं और परेशानियां भी दूर हो जाती हैं. जो कन्या कुंवारी हैं अगर वह सावन के सोमवार का व्रत रखती हैं तो उन्हें मनोवांछित फल मिलता है. उनकी शादी विवाह में आ रही अड़चनें दूर हो जाती हैं.

पूजा के मुहूर्त

  • अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11:38 बजे से दोपहर 12:31 बजे तक.
  • विजय मुहूर्त - दोपहर 2:18 बजे से शाम 3:12 बजे तक.
  • अमृत काल मुहूर्त - शाम 4:53 बजे से 6:41 बजे तक.
  • गोधूली मुहूर्त - शाम 6:33 बजे से 6:57 बजे तक.
  • संध्या मुहूर्त - शाम 6:47 बजे से 7:50 बजे तक.
    सावन की शिवरात्रि की जानें पूजा विधि.

ऐसे करें भगवान शिव की पूजा

शिवरात्रि के दिन सूर्योदय से पहले ही उठकर स्नान करने के साथ भगवान शिव का ध्यान करें. जो व्रत का संकल्प लेना चाहते हैं वे व्रत का संकल्प लें. शिवलिंग का जलाभिषेक करें, उसके बाद पंचामृत से अभिषेक करें. इसके बाद पुष्प, बेलपत्र, धतूरा, मदार और प्रसाद चढ़ाएं. इसके बाद भगवान शिव की आरती करें और ध्यान करें.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ईटीवी भारत किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

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