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Explainer: चुनाव से पहले दिल्ली में झुग्गी-झोपड़ियों को लेकर बवाल क्यों?, जानें सब

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 14, 2024, 6:14 PM IST

Ruckus over slums in Delhi before elections: दिल्ली में अवैध कॉलोनी और झुग्गियों के मुद्दे को उछाल कर सियासत करना नई बात नहीं है. सच तो यह है कि यह मुद्दा हर राजनीतिक पार्टी के लिए एक बड़ा वोट बैंक है. चाहे लोकसभा चुनाव हो या दिल्ली विधानसभा या नगर निगम की सत्ता, वहां तक पहुंचने का रास्ता इन कॉलोनियों से होकर ही गुजरता है. यही कारण है कि चुनाव नजदीक आते ही हर बार की तरह यह मुद्दे गरम हो जाते हैं.

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नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली का इतिहास देखें तो जब भी यहां चुनाव होने वाला होता है, उससे चंद महीने पहले झुग्गी-झोपड़ी, अनधिकृत निर्माण, अवैध कॉलोनियों में कार्रवाई और उन्हें राहत देने की बातें जोर-शोर से होने लगती है. दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में केंद्र सरकार व राज्य सरकार ने झुग्गी वालों को देने के लिए मकान बनवाएं हैं. कुछ जगहों पर झुग्गी वाले रहने के लिए चले भी गए, वहां उन्होंने अपना बसेरा बना लिया. लेकिन अधिकांश जगह पर आज भी अवैध रूप से झुग्गियों में लोग रहते हैं.

फिलहाल, इन दिनों दिल्ली में अवैध निर्माण को भारी पैमाने पर तोड़ा जा रहा है. यह कार्रवाई आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली नगर निगम कर रहा है तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार की अलग-अलग एजेंसियों की जमीन पर अवैध रूप से बसी झुग्गियों को हटाने के लिए अलग-अलग एजेंसियां कार्रवाई कर रही है. इससे इन दिनों झुग्गियों और अवैध निर्माण को लेकर राजनीति जमकर हो रही है. आइए जानते हैं सब...

अवैध कॉलोनियों और झुग्गियों को नियमित करने की दिशा में क्या हुआ है अब तक?

2008 में जब दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी. मुख्यमंत्री शीला दीक्षित अपनी दूसरी पारी समाप्त करने वाली थी. तब अचानक नवंबर 2008 में अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की प्रक्रिया का केंद्र सरकार ने ऐलान किया. सोनिया गांधी के हाथों प्रोविजनल सर्टिफिकेट भी बंटवाया गया था. झुग्गी वालों के लिए राजीव रत्न आवास योजना के तहत सस्ते मकान देने की प्रक्रिया शुरू हुई. इतना ही नहीं तब केंद्र की कांग्रेस सरकार की सहायता से शीला दीक्षित ने दिल्ली की 1639 कॉलोनियों में से 1268 को प्रोविजनल सर्टिफिकेट भी दे दिया. इस सर्टिफिकेट का यूं तो कॉलोनी वालों को कोई फायदा नहीं हुआ. मगर कुछ दिनों बाद हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में शीला दीक्षित पर भरोसा जताते हुए दिल्ली वालों ने उन्हें तीसरी बार मुख्यमंत्री पद पर बैठा दिया.

उजाड़े गए लोगों से मिलतीं मंत्री आतिशी.
बेघर हुए लोगों से मिलतीं मंत्री आतिशी.

इससे पहले भी क्या झुग्गी वालों के पुनर्वास व अवैध कॉलोनियों को नियमित करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी?

दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने का सिलसिला वर्ष 1970 से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय से शुरू हो गया था. अलग-अलग समय में करीब 550 अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की घोषणा की गई. लेकिन आज भी इन कॉलोनियों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. बाद में बसी और नियमित की जा चुकी कॉलोनियों का हाल भी कमोबेश ऐसा ही है. कांग्रेस की सरकार ने 2012 में भी 895 अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की अधिसूचना जारी कर दी. लेकिन तकनीकी खामियों की वजह से इन कॉलोनियों को नियमित करने का काम कागजों में ही हो पाया है. इनमें रजिस्ट्री के माध्यम से संपत्तियों की खरीद बिक्री आज तक शुरू नहीं की जा सकी है.

अभी क्यों शुरू हुआ हंगामा?

दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज व आतिशी ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री मोदी के सलाहकार तरुण कपूर ने एमसीडी, रेलवे, डीडीए के साथ बैठक कर अधिकारियों को आदेश दिया है कि दिल्ली से झुग्गियों का पूरी तरह सफाया करना है. उनका कहना है कि बीजेपी हर चुनाव में "जहां झुग्गी, वही मकान" देने का वादा करती है और चुनाव बाद इन झुग्गियों को तोड़ देती है. आम आदमी पार्टी के इन नेताओं का कहना है कि जब तक यहां हैं हम किसी झुग्गी को तोड़ने नहीं देंगे. हालांकि, इस मुद्दे पर पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सामने नहीं आए हैं.

लोगों की समस्याएं सुनते मंत्री सौरभ भारद्वाज.
लोगों की समस्याएं सुनते मंत्री सौरभ भारद्वाज.

क्या कोर्ट ने की है इस मुद्दे में दखलंदाजी?

दिल्ली में झुग्गी उजाड़ने को लेकर अप्रैल 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा है कि कुछ रहम करो. इन झुग्गी वालों का पहले पुनर्वास करो. देश के कानून में है कि जब तक लोगों का पुनर्वास नहीं होगा उनको उजाड़ा नहीं जा सकता है. जी-20 के लिए दिल्ली के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आदेश के बावजूद धौला कुआं इलाके में स्थित झुग्गियों को उजाड़ दिया गया. अब आम आदमी पार्टी का कहना है कि झुग्गी वालों के अधिकारों के लिए सरकार सड़क, कोर्ट और संसद तक लड़ाई लड़ेगी ताकि भाजपा झुग्गी वालों में रहने वालों को बेघर ना कर पाए.

आम आदमी पार्टी के आरोप को कितना सही मानती है बीजेपी?

दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा का कहना है कि आम आदमी पार्टी राजनीतिक रूप से निराश पार्टी है, जो अस्तित्व बचाने की हारी हुई लड़ाई लड़ रही है. पार्टी अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए ऐसे मुद्दे उठा रही है जिनके लिए वह खुद जिम्मेदार है. सचदेवा का कहना है कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास योजना को लागू करने की अनुमति नहीं दी है और न ही झुग्गी-झोपड़ियों या शहरी गरीबों को लगभग 50 हज़ार पहले से निर्मित राजीव आवास योजना मकान आवंटित किए हैं, जिससे वह बेहतर जीवन के अवसर से वंचित रह गए. केंद्र सरकार के निर्देश पर डीडीए ने दिल्ली में 3 जगहों पर जहां झुग्गी वहां मकान परियोजना लागू की है, लेकिन दिल्ली सरकार ने अपनी एक भी जमीन पर झुग्गीवालों के क्लस्टर में इस योजना को लागू नहीं किया है.

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