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Delhi NCR Pollution: हवा की सेहत खराब, Red Zone कैटेगरी में AQI

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Published : Jan 19, 2023, 12:52 PM IST

Updated : Jan 19, 2023, 2:29 PM IST

pollution level increased in delhi ncr
pollution level increased in delhi ncr

दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है. गुरुवार को भी अधिकतर इलाकों में प्रदूषण का स्तर रेड जोन में दर्ज किया गया है. दिल्ली का सबसे प्रदूषित इलाका नेहरू नगर दर्ज किया गया है, जहां का एक्यूआई 386 के स्तर पर पहुंच गया है.

नई दिल्ली: दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का स्तर गुरुवार को रेड जोन में दर्ज किया गया. हालांकि बुधवार की तुलना में गुरुवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स में बढ़ोतरी हुई है. दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 दर्ज किया गया है. वहीं गाजियाबाद और नोएडा का प्रदूषण स्तर भी खराब कैटेगरी में दर्ज किया गया है.

दिल्ली के इलाकों में प्रदूषण का स्तर-

दिल्ली के इलाकेवायु प्रदूषण स्तर
अलीपुर301
शादीपुर382
डीटीयू दिल्ली324
आईटीओ दिल्ली378
सिरिफ्फोर्ट302
मंदिर मार्ग311
आरके पुरम335
पंजाबी बाग328
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम341
नेहरू नगर386
द्वारका सेक्टर 8344
पटपड़गंज330
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज328
अशोक विहार321
सोनिया विहार321
जहांगीरपुरी348
रोहिणी343
विवेक विहार324
नजफगढ़267
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम325
नरेला316
ओखला फेस टू334
बवाना355
श्री औरबिंदो मार्ग297
आनंद विहार371
IHBAS दिलशाद गार्डन240

गाजियाबाद के इलाकों में प्रदूषण का स्तर-

गाजियाबाद के इलाकेवायु प्रदूषण स्तर
वसुंधरा305
इंदिरापुरम241
संजय नगर242
लोनी247

नोएडा के इलाकों में प्रदूषण का स्तर-

नोएडा के इलाकेवायु प्रदूषण स्तर
सेक्टर 62315
सेक्टर 125310
सेक्टर 1269
सेक्टर 116301

Air quality Index की श्रेणी: एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.

(PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी: वरिष्ठ सर्जन डॉ बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुंच जाते हैं.

Sinusitis और Bronchitis का खतरा: डॉ त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में इकट्ठा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जब यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.

Last Updated :Jan 19, 2023, 2:29 PM IST
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