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Delhi NCR में हर सांस में जहर, 400 पार पहुंचा प्रदूषण, Dark Red Zone में कई इलाकों का AQI

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Published : Dec 1, 2022, 8:01 AM IST

देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण (pollution in Delhi NCR) से स्थिति फिर खराब होती जा रही है. कई इलाकों का वायु गुणवत्ता सूचकांक फिर रेड जोन में पहुंच गया है. सुबह एनसीआर के कई इलाकों में हल्की धुंध की चादर भी देखी गई.

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दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का स्तर

नई दिल्ली : एनसीआर (Delhi pollution level rises) के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर गंभीर श्रेणी (400-500 AQI) में दर्ज किया गया है. आने वाले दिनों में अगर प्रदूषण में और बढ़ोतरी होती है तो लोगों को स्वास्थ संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. फिलहाल दिल्ली के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर गंभीर श्रेणी और अत्यंत खराब श्रेणी में बरकरार है. वहीं दिल्ली के अलग-अलग इलाकों का प्रदूषण स्तर इस प्रकार है-

अलीपुर392
शादीपुर390
द्वारका389
डीटीयू दिल्ली364
आईटीओ दिल्ली372
सिरिफ्फोर्ट346
मंदिर मार्ग359
आरके पुरम373
पंजाबी बाग398
आया नगर304
लोधी रोड309
नॉर्थ कैंपस डीयू360
सीआरआरआई मथुरा रोड324
पूसा313
आईजीआई एयरपोर्ट टर्मिनल 3316
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम364
नेहरू नगर394
द्वारका सेक्टर 8377
पटपड़गंज390
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज361
अशोक विहार380
सोनिया विहार397
जहांगीरपुरी403
रोहिणी394
विवेक विहार393
नजफगढ़323
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम372
ओखला फेज टू359
वजीरपुर389
बवाना391
श्री औरबिंदो मार्ग343
मुंडका383
आनंद विहार417
IHBAS दिलशाद गार्डन401

वहीं गाजियाबाद के इलाकों में प्रदूषण का स्तर इस प्रकार है-

वसुंधरा381
इंदिरापुरम300
संजय नगर353
लोनी326

नोएडा के इलाकों में प्रदूषण का स्तर इस प्रकार है-

सेक्टर 62273
सेक्टर 125271
सेक्टर 1310
सेक्टर 116356



Air quality Index की श्रेणी: एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.


(PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी: वरिष्ठ सर्जन डॉ बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुँच जाते हैं.

Sinusitis और Bronchitis का खतरा: डॉ त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में खट्टा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जबकि यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है. जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.

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