नई दिल्ली: एक सितंबर से दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली में बड़ा बदलाव होने जा रहा है. पीसीआर वैन की जगह अब बीट वैन होंगी, जो 24 घंटे आपके घर के आसपास गश्त करेंगी. पीसीआर के सभी पुलिसकर्मी अब थाने के एसएचओ को रिपोर्ट करेंगे. यह बीट वैन 24 घंटे अपनी बीट (तय किये गए क्षेत्र) में ही गश्त करेंगी और कानून व्यवस्था बनाने के अलावा कॉल भी अटेंड करेंगी. इसके अलावा अवैध गतिविधियों पर नजर रखना भी इनकी जिम्मेदारी होगी.
जानकारी के अनुसार अभी के समय में पीसीआर कॉल आने पर मौके से नजदीकी पीसीआर वैन को रवाना किया जाता है. यह पीसीआर मौके पर कॉलर की बात सुनकर इसकी जानकारी थाने को देते हैं. वहीं अगर कोई घायल होता है तो उसे अस्पताल पहुंचाते हैं. लोकल पुलिस के आने पर पीसीआर की भूमिका खत्म हो जाती है. पीसीआर की अपनी एक बीट होती है जिसे वह कवर करते हैं. कुछ पीसीआर महत्वपूर्ण जगह पर खड़ी की जाती हैं जबकि कुछ पीसीआर वैन गश्त के लिए लगाई जाती हैं. यह पीसीआर वैन एक अलग यूनिट है. लेकिन अब पीसीआर वैन एवं इसके पुलिसकर्मी सीधे थाने से जुड़ जाएंगे.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पीसीआर वैन के काम से लेकर नाम तक में बदलाव किया जा रहा है. एक सितंबर से इसे बीट वैन के नाम से जाना जाएगा. इसके लिए पीसीआर एवं लोकल पुलिस की बीट को मिलाकर नई बीट बनाई गई हैं. इस बीट में 24 घंटे यह वैन गश्त करेंगी. इस बीट से अगर कोई कॉल होगी तो वह तुरंत मौके पर पहुंचेंगे. बीट वैन में दो पुलिसकर्मी 24 घंटे तैनात रहेंगे. इनमें महिलाओं की भी तैनाती होगी. उन्हें स्कूल, कॉलेज एवं महिला से संबंधित संस्थानों के आसपास सुरक्षा में लगाया जाएगा. सूत्रों की माने तो तीन अलग-अलग शिफ्ट में बीट वैन में पुलिसकर्मी तैनात होंगे. अगर कहीं कानून व्यवस्था बिगड़ती है तो वह तुरंत इसकी जानकारी इंस्पेक्टर लॉ एंड आर्डर एवं SHO को देंगे. कॉल अटेंड करने के बाद मामला जांच अधिकारी को सौंपकर बीट वैन वापस अपनी बीट में चली जायेगी.
दिल्ली दंगा : पुलिस को कोर्ट की फटकार, कहा- बड़ी संख्या में मामलों में जांच का स्तर 'काफी खराब'
थाने में बुधवार से कानून व्यवस्था एवं जांच की जिम्मेदारी संभालने वाले पुलिसकर्मी अलग होंगे. बीट वैन में तैनात पुलिसकर्मी कॉल अटेंड करने के बाद थाने के जांच अधिकारी को आगे की कार्रवाई के लिए मामला सौंप देंगे. थाने में तैनात इंस्पेक्टर इंवेस्टिगेशन की देखरेख में जांच, साक्ष्य जुटाना एवं आरोपपत्र दाखिल करने का काम किया जाएगा. वहीं कानून व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी इंस्पेक्टर कानून-व्यवस्था के पास होगी. थाने की पूरी जिम्मेदारी SHO के पास होगी. कानून व्यवस्था एवं जांच के इंस्पेक्टर एसएचओ को रिपोर्ट करेंगे. पुलिस कमिश्नर का मानना है कि इससे एक तरफ जहां कानून व्यवस्था बेहतर होगी तो दूसरी तरफ जांच की गुणवत्ता में भी सुधार आएगा.
अधिकारियों के अनुसार कमिश्नर राकेश अस्थाना की इस पहल से प्रत्येक थाने में लगभग 30 फीसदी पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ जाएगी. PCR से आठ हजार जवान 15 जिलों में भेजे जाएंगे. प्रत्येक जिले को औसतन 500 पुलिसकर्मी मिलेंगे और प्रत्येक थाने को लगभग 40 पुलिसकर्मी मिल जाएंगे. इससे पुलिस के लिए कानून व्यवस्था बनाने एवं जांच को तेजी से करने में बड़ी मदद मिलेगी. एक सितंबर से ही जांच करने वाले एवं कानून व्यवस्था करने वाले पुलिसकर्मी भी अलग-अलग होंगे. जांच करने वाले पुलिसकर्मियों को कानून व्यवस्था में केवल आपातकालीन हालात में ही इस्तेमाल किया जाएगा.
कल से बदल जाएगी दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली, ऐसी होगी नई व्यवस्था
दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली में एक सितंबर से बड़ा बदलाव होने जा रहा है. पीसीआर वैन की जगह अब बीट वैन होंगी, जो 24 घंटे आपके घर के आसपास गश्त करेंगी. पीसीआर के सभी पुलिसकर्मी अब थाने के एसएचओ को रिपोर्ट करेंगे. यह बीट वैन 24 घंटे अपनी बीट (तय किये गए क्षेत्र) में ही गश्त करेंगी और कानून व्यवस्था बनाने के अलावा कॉल भी अटेंड करेंगी. इसके अलावा अवैध गतिविधियों पर नजर रखना भी इनकी जिम्मेदारी होगी.
नई दिल्ली: एक सितंबर से दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली में बड़ा बदलाव होने जा रहा है. पीसीआर वैन की जगह अब बीट वैन होंगी, जो 24 घंटे आपके घर के आसपास गश्त करेंगी. पीसीआर के सभी पुलिसकर्मी अब थाने के एसएचओ को रिपोर्ट करेंगे. यह बीट वैन 24 घंटे अपनी बीट (तय किये गए क्षेत्र) में ही गश्त करेंगी और कानून व्यवस्था बनाने के अलावा कॉल भी अटेंड करेंगी. इसके अलावा अवैध गतिविधियों पर नजर रखना भी इनकी जिम्मेदारी होगी.
जानकारी के अनुसार अभी के समय में पीसीआर कॉल आने पर मौके से नजदीकी पीसीआर वैन को रवाना किया जाता है. यह पीसीआर मौके पर कॉलर की बात सुनकर इसकी जानकारी थाने को देते हैं. वहीं अगर कोई घायल होता है तो उसे अस्पताल पहुंचाते हैं. लोकल पुलिस के आने पर पीसीआर की भूमिका खत्म हो जाती है. पीसीआर की अपनी एक बीट होती है जिसे वह कवर करते हैं. कुछ पीसीआर महत्वपूर्ण जगह पर खड़ी की जाती हैं जबकि कुछ पीसीआर वैन गश्त के लिए लगाई जाती हैं. यह पीसीआर वैन एक अलग यूनिट है. लेकिन अब पीसीआर वैन एवं इसके पुलिसकर्मी सीधे थाने से जुड़ जाएंगे.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पीसीआर वैन के काम से लेकर नाम तक में बदलाव किया जा रहा है. एक सितंबर से इसे बीट वैन के नाम से जाना जाएगा. इसके लिए पीसीआर एवं लोकल पुलिस की बीट को मिलाकर नई बीट बनाई गई हैं. इस बीट में 24 घंटे यह वैन गश्त करेंगी. इस बीट से अगर कोई कॉल होगी तो वह तुरंत मौके पर पहुंचेंगे. बीट वैन में दो पुलिसकर्मी 24 घंटे तैनात रहेंगे. इनमें महिलाओं की भी तैनाती होगी. उन्हें स्कूल, कॉलेज एवं महिला से संबंधित संस्थानों के आसपास सुरक्षा में लगाया जाएगा. सूत्रों की माने तो तीन अलग-अलग शिफ्ट में बीट वैन में पुलिसकर्मी तैनात होंगे. अगर कहीं कानून व्यवस्था बिगड़ती है तो वह तुरंत इसकी जानकारी इंस्पेक्टर लॉ एंड आर्डर एवं SHO को देंगे. कॉल अटेंड करने के बाद मामला जांच अधिकारी को सौंपकर बीट वैन वापस अपनी बीट में चली जायेगी.
दिल्ली दंगा : पुलिस को कोर्ट की फटकार, कहा- बड़ी संख्या में मामलों में जांच का स्तर 'काफी खराब'
थाने में बुधवार से कानून व्यवस्था एवं जांच की जिम्मेदारी संभालने वाले पुलिसकर्मी अलग होंगे. बीट वैन में तैनात पुलिसकर्मी कॉल अटेंड करने के बाद थाने के जांच अधिकारी को आगे की कार्रवाई के लिए मामला सौंप देंगे. थाने में तैनात इंस्पेक्टर इंवेस्टिगेशन की देखरेख में जांच, साक्ष्य जुटाना एवं आरोपपत्र दाखिल करने का काम किया जाएगा. वहीं कानून व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी इंस्पेक्टर कानून-व्यवस्था के पास होगी. थाने की पूरी जिम्मेदारी SHO के पास होगी. कानून व्यवस्था एवं जांच के इंस्पेक्टर एसएचओ को रिपोर्ट करेंगे. पुलिस कमिश्नर का मानना है कि इससे एक तरफ जहां कानून व्यवस्था बेहतर होगी तो दूसरी तरफ जांच की गुणवत्ता में भी सुधार आएगा.
अधिकारियों के अनुसार कमिश्नर राकेश अस्थाना की इस पहल से प्रत्येक थाने में लगभग 30 फीसदी पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ जाएगी. PCR से आठ हजार जवान 15 जिलों में भेजे जाएंगे. प्रत्येक जिले को औसतन 500 पुलिसकर्मी मिलेंगे और प्रत्येक थाने को लगभग 40 पुलिसकर्मी मिल जाएंगे. इससे पुलिस के लिए कानून व्यवस्था बनाने एवं जांच को तेजी से करने में बड़ी मदद मिलेगी. एक सितंबर से ही जांच करने वाले एवं कानून व्यवस्था करने वाले पुलिसकर्मी भी अलग-अलग होंगे. जांच करने वाले पुलिसकर्मियों को कानून व्यवस्था में केवल आपातकालीन हालात में ही इस्तेमाल किया जाएगा.