दिल्ली मुद्रा उत्सव में प्राचीन मुद्राओं से रूबरू हो रहे लोग, जानिए किस-काल की मुद्राएं यहां हैं मौजूद

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Published : Jan 15, 2023, 5:45 PM IST

दिल्ली मुद्रा उत्सव
दिल्ली मुद्रा उत्सव ()

दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में तीन दिवसीय दिल्ली मुद्रा उत्सव का आयोजन किया गया है. यहां पर रोमन साम्राज्य के सोने के सिक्के, गुप्त काल की सोने की दीनारें, कुषाण काल की सोने की दीनारें, इनमें चोल वंश, विजय नगर साम्राज्य व मुगल शासन काल के साथ दो से ढाई हजार वर्ष पूर्व की दुर्लभ मुद्राएं रखी गई हैं.

दिल्ली मुद्रा उत्सव

नई दिल्ली: दिल्लीवासियों और प्राचीन मुद्राओं को सहेज कर रखने वालों के खुशखबरी है. कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में 13 जनवरी से शुरू होने वाले दिन दिवसीय दिल्ली मुद्रा उत्सव का आयोजन किया गया है. यहां पर मौजूदा समय की ही नहीं बल्कि प्राचीन काल में इस्तेमाल में लाई गई मुद्राएं भी प्रदर्शनी के लिए रखी गई हैं. इन मुद्राएं को देखकर लोग इतिहास से रूबरू हुए. यहां पर लोगों ने मुगल काल, ब्रिटिश काल और 2600 साल पुराने सिक्के देखे. खास बात है कि यहां पर लोगों ने सिर्फ इन प्राचीन सिक्कों, नोट का दीदार करने के साथ इन्हें खरीदा भी है. दिलचस्प बात यह है कि यहां पर नोटबंदी के दौरान बंद 500 हजार के नोट भी प्रदर्शनी में रखे गए हैं. यह दिल्ली मुद्रा उत्सव 13 जनवरी को शुरू हुआ, जो 15 जनवरी को समाप्त हो जाएगा.

सोने के मुगलकालीन सिक्के
स्कूल, कॉलेज में पढ़ाई के दौरान आपने इतिहास की किताबों में यह जरूर पढ़ा होगा कि भारत पर मुगलों और इसके बाद अंग्रेजों का कब्जा रहा. इस दौरान व्यापार करने के लिए जो मुद्राएं चलती थीं, वह अपने आप में बेहद खास थीं. क्योंकि उन दिनों सोने की मुद्राएं होती थीं. दिल्ली मुद्रा उत्सव में एक स्टाल पर मुगलकालीन सोने की मुद्राएं प्रदर्शनी के लिए रखी गई हैं. यहां पर रोमन साम्राज्य के सोने के सिक्के, गुप्त काल की सोने की दीनारें, कुषाण काल की सोने की दीनारें, इनमें चोल वंश , विजय नगर साम्राज्य व मुगल शासन काल के साथ दो से ढाई हजार वर्ष पूर्व की दुर्लभ मुद्राएं रखी गई हैं. इसमें ब्रिटिश काल की क्वीन विक्टोरिया के सोने के सिक्के भी देखने को मिले. इसके अलावा 100 साल पुराने एक रुपये के सिक्के, प्राचीन समय का एक आना, दो आना, एक पैसे, दो पैसे के सिक्के भी प्रदर्शनी के लिए रखे गए थे.

भारत का पहला सिक्का 2600 साल पुराना
दिल्ली मुद्रा उत्सव में आए आर्ची मारू ने बताया कि वह प्राचीन मुद्राओं को संरक्षित कर रहे हैं. उनकी यह तीसरी पीढ़ी इस काम को कर रही हैं. उनके पूर्वज भी पहले इसी काम में लगे थे. उन्होंने बताया कि भारत का पहला सिक्का 2600 साल पुराना है. उनके पास तब से लेकर अब तक के सभी सिक्के मिल जाएंगे. उन्होंने कहा कि हम इन सिक्कों को बेचते भी हैं और किसी के पास इस तरह के सिक्के हैं तो उन्हें खरीदते भी हैं. साथ ही इन सिक्कों के बारे में अगर किसी को जानकारी चाहिए तो वह भी ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि आप देखेंगे कि यहां पर कई सारी सभ्यता हुई हैं. 2600 साल पहले आप देखेंगे कि नॉर्थ में कुछ हो रहा था, साउथ में कुछ हो रहा था. हर काल में सिक्के निर्मित हुए, उन सबका संरक्षण उनके पास है.

मनी एक्सचेंजर के स्टॉल भी लगाए गए
दिल्ली मुद्रा उत्सव में 13 राज्यों के मनी एक्सचेंजर स्टाल लगाए गए. इसमें राजस्थान, हरियाणा, केरल व पंजाब समेत देश भर से 13 राज्यों के 85 मनी एक्सचेंजर स्टाल लगे हैं. एक स्टाल पर वर्ष 1917 में छपा एक रुपये का भारतीय नोट भी है. इस नोट में कीमत पंजाबी, तमिल, गुजराती व तेलगु समेत कुल आठ भाषाओं में लिखा गया है.

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