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Delhi Flood: रहने-खाने की व्यवस्था फिर भी राहत कैंप में नहीं जाना चाहते लोग? जानें बाढ़ पीड़ितों की दर्द ए दास्तां

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Published : Jul 17, 2023, 5:54 PM IST

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राजधानी दिल्ली के कई इलाके इन दिनों यमुना की बाढ़ में डूबे हुए हैं. वहीं सरकार की तरफ से पीड़ितों के लिए कई राहत शिविर लगाए गए हैं, जिसमें सरकार तमाम तरह की सुविधाओं के दावे कर रही है. दावों की जांच करने के लिए ईटीवी भारत की टीम दिल्ली के सराय काले खां स्थित राहत कैंप में पहुंची.

दिल्ली के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में यमुना नदी में आई बाढ़ ने कई हजार लोगों के जीवन को प्रभावित किया है. कई परिवार को आर्थिक नुकसान हुआ है. दिल्ली सरकार का आंकड़ा कहता है कि बाढ़ में बहने से करीब 30 हजार लोगों को रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया. इन लोगों को सरकार द्वारा स्कूल, धर्मशाला और टेंट लगाकर बनाए गए राहत शिविर कैंप में रखा गया. दिल्ली सरकार यह भरपूर कोशिश कर रही है कि बाढ़ से पीड़ित लोगों की आपदा के इस समय में मदद की जाए. सरकार की तरफ से दावा किया जा रहा है कि सभी राहत बचाव शिविर कैंप में तीन वक्त का भोजन मुहैया कराया जा रहा है. इसके अलावा मेडिकल एंबुलेंस की सुविधा दी गई है. वाटर टैंक शिविर केंप में पहुंचाए जा रहे हैं.

हालांकि, फिर भी दिल्ली के कई राहत शिविर कैंप से शिकायत मिल रही है कि समय पर भोजन और पानी नहीं मिला रहा. शौचालय का बुरा हाल है. लोगों को काफी दिक्कत हो रही है. इधर, सरकार को मिल रही इन शिकायत पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने सभी मंत्रियों को जिला के हिसाब से ड्यूटी दी है. सीएम के निर्देश पर सभी मंत्री अपने अपने क्षेत्र में दौरा कर हालात की समीक्षा कर रहे हैं और जरूरी कदम उठाने के निर्देश भी दे रहे हैं.

सरकार के तमाम दावों की जांच करने के लिए ईटीवी भारत की टीम दिल्ली के सराय काले खां स्थित एक सरकारी स्कूल पहुंची. यहां पर सराय काले खां के शमशान घाट के पास बने झुग्गी बस्ती में रहने वाले लोगों को रखा गया है. यहां जब हम पहुंचे तो सिर्फ बच्चे खेलते हुए नजर आए. मौके पर सिविल डिफेंस वॉलिंटियर मौजूद थे. यहां पानी का एक टैंकर, एक मेडिकल एंबुलेंस मौजूद था. सिविल डिफेंस के लोगों ने बताया कि यहां बस्ती के करीब 50 लोगों को रखा गया है. अभी फिलहाल, यहां बच्चे हैं. इनके माता-पिता, वहीं दिन भर झुग्गी में रहते हैं, क्योंकि उनका वहां पर सामान हैं पशु हैं, जिसकी वह देखरेख करते हैं. हालांकि, रात को सोने के लिए यहां आ जाते हैं.

पशुओं को छोड़कर राहत कैंप में नहीं जाना चलते लोग: 61 साल के बुजुर्ग जमाउलिद्दीन ने बताया कि वह सराय काले खां स्तिथ शमशान घाट के नजदीक झुग्गियों में रहते थे. अचानक यमुना का जलस्तर बढ़ा और अपने पशु और एक जोड़ी कपड़ा लेकर जान बचाकर बाहर निकले. उन्होंने बताया कि पशुओं का करीब 10 से 15 हजार का चारा बरबाद हो गया. कुछ एकड़ खेती की थी वह भी पानी में डूब गई. सरकार की तरफ से खाना मिल जाता है. उन्होंने बताया कि राहत शिविर कैंप में इसलिए नहीं गए क्योंकि, हम चले जाते तो हमारे पशु कहां जाते. हम भले ही भूखे रह ले. हमारे पशु भूखे नहीं रहने चाहिए.

नवरी बेगम ने बताया कि पशुओं का चारा लेने के लिए डेढ़ से दो किलोमीटर पैदल जाते हैं. हमें भले ही एक वक्त का खाना न मिले, लेकिन पशुओं को मिलना चाहिए. उन्होंने बताया कि सरकार जो चाहे मदद कर दे. उन्होंने बताया कि जब पानी कम होगा तब अपने घर में जाएंगे और देखेंगे कि पानी में क्या बहा है, क्या बचा है. वह बोली इस तरह की बाढ़ पहले कभी नहीं देखी गई.

सीएम केजरीवाल ने किया ट्वीट: सीएम अरविन्द केजरीवाल ने ट्वीट किया. पानी नीचे जाने लगा है. अब लोग राहत कैंपों से अपने घर वापिस जाएंगे. हमें उनकी ज़िंदगी सामान्य करने में उनकी मदद करनी है. मेरी सब लोगों से अपील है कि तन, मन, धन से लोगों की मदद करें. ये पुण्य का काम है. रविवार को एक ट्वीट में केजरीवाल ने कहा था कि यमुना किनारे रहने वाले कई बेहद गरीब परिवारों का काफ़ी नुक़सान हुआ है. कुछ परिवारों का तो पूरे घर का सामान बह गया. आर्थिक मदद के तौर पर हर बाढ़ पीड़ित परिवार को दस हज़ार रुपये प्रति परिवार देंगे, जिनके काग़ज़ जैसे आधार कार्ड आदि बह गये, उनके लिए स्पेशल कैंप लगाए जायेंगे. जिन बच्चों की ड्रेस और किताबें बह गयीं, उन्हें स्कूलों की तरफ़ से ये दिलायेंगे.

राहत शिविर में रह रहे लोगों से घर न लौटने का अनुरोध: सोमवार को दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने कहा कि हरियाणा में कुछ इलाक़ों में कल भारी बारिश की वजह से आज यमुना का जल स्तर थोड़ा बढ़ रहा है. सेंट्रल वाटर कमीशन का अनुमान है कि रात तक 206.1m तक पहुंच सकता है. दिल्ली वालों के लिए इस से ख़तरा नहीं है, लेकिन राहत शिविर में रह रहे सभी लोगों से अनुरोध है कि वे अभी अपने घर वापस ना जायें. जल स्तर ख़तरे के निशान से नीचे आने के बाद ही अपने घरों में वापस जायें.

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