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नवरात्रि के अंतिम दिन होती है मां सिद्धिदात्री की पूजा, जानिए पूजा विधि-विधान

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Published : Oct 7, 2019, 6:37 AM IST

Updated : Oct 7, 2019, 7:24 AM IST

नवरात्र पूजन के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है. माता सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है. वह कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं. विधि विधान से नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना करने से सिद्धियां प्राप्त होती हैं.

मां सिद्धिदात्री

नई दिल्ली: शारदीय नवरात्र पर माता दुर्गा के अलग-अलग रूपों के दर्शन, पूजन का क्रम जारी है और सोमवार यानि आज नवरात्र का नौवां और अंतिम दिन है. नौवें दिन नवरात्रि के पावन पर्व पर मां दुर्गा के नौवें अवतार मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.

नवरात्रि के अंतिम दिन होती है मां सिद्धिदात्री की पूजा

नवरात्र पूजन के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना जाती है. माता सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है. वह कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं. विधि विधान से नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना करने से सिद्धियां प्राप्त होती हैं. देवी दुर्गा के अंतिम स्वरूप को नवदुर्गा में सबसे श्रेष्ठ और मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है.

ऐसे करें मां सिद्धिदात्री का पूजन

माता सिद्धिदात्री की पूजा में 9 तरह के फल फूल चढ़ाए जाते हैं. इनका कोई विशेष भोग नहीं है. लेकिन, सभी अपनी कुलरीति के अनुसार माता के लिए विशेष भोग बनाते हैं. जो वह अपनी कुलदेवी को चढ़ाते हैं, माता उसी प्रसाद को ग्रहण करती हैं. यह नवदुर्गा का आखिरी दिन भी होता है तो इस दिन माता सिद्धिदात्री के बाद अन्य देवताओं की भी पूजा की जाती है. इस तिथि को विशेष हवन भी किया जाता है.

माता का रूप

इस संबंध में झंडेवालान मंदिर के पुजारी अंबिका प्रसाद पंत ने बताया कि माता सिद्धिदात्री का स्वरूप बहुत सौम्य और आकर्षक होता है. उनके चार हाथ हैं. एक हाथ में चक्र, एक हाथ में गदा एक हाथ में कमल का फूल तथा एक हाथ में शंख विराजमान होता है. माता की आराधना करने से सभी प्रकार के ज्ञान आसानी से मिल जाते हैं और माता की आराधना करने वालों को कभी कोई कष्ट नहीं होता है.

Intro:नई दिल्ली : माता दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है.माता सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं. नवरात्र पूजन के नवें दिन इनकी उपासना की जाती है. मां सिद्धिदात्री भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं. देवी दुर्गा के अंतिम स्वरूप को नवदुर्गा में सबसे श्रेष्ठ और मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है.


Body:पूजन विधि :
माता सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है. वह कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं. विधि विधान से नवें दिन माता सिद्धिदात्री की उपासना करने से सिद्धियां प्राप्त होती हैं. माता सिद्धिदात्री की पूजा में 9 तरह के फल फूल चढ़ाए जाते हैं. इनका कोई विशेष भोग नहीं है. लेकिन सभी अपनी कुलरीति के अनुसार माता के लिए विशेष भोग बनाते हैं. जो वह अपनी कुलदेवी को चढ़ाते हैं माता उसी प्रसाद को ग्रहण करती हैं.यह नवदुर्गा का आखिरी दिन भी होता है तो इस दिन माता सिद्धिदात्री के बाद अन्य देवताओं की भी पूजा की जाती है. इस तिथि को विशेष हवन भी किया जाता है.


Conclusion:माता का रूप
झंडेवालान मंदिर के पुजारी अंबिका प्रसाद पंत ने बताया कि माता सिद्धिदात्री का स्वरूप बहुत सौम्य और आकर्षक होता है. उनके चार हाथ हैं. एक हाथ में चक्र, एक हाथ में गदा एक हाथ में कमल का फूल तथा एक हाथ में शंख विराजमान होता है. माता की आराधना करने से सभी प्रकार के ज्ञान आसानी से मिल जाते हैं और माता की आराधना करने वालों को कभी कोई कष्ट नहीं होता है.
Last Updated :Oct 7, 2019, 7:24 AM IST
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