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मुस्लिम कैदी की पीठ पर ओम मामले में खुलासा, आतंकी यासीन भटकल निकला मास्टरमाइंड

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Published : May 26, 2019, 3:10 AM IST

Updated : May 26, 2019, 12:00 PM IST

कैदी ने अपने साथ जेल में बंद आतंकी यासीन भटकल और एक गैंगस्टर रवि के कहने पर ये षड्यंत्र रचा था, ताकि जेल की बदनामी कर इसका फायदा अदालत में उठाया जा सके.

कैदी ने सहयोगियों के साथ मिलकर रची साजिश

नई दिल्ली: तिहाड़ जेल में मुस्लिम कैदी की पीठ पर ओम लिखे जाने के मामले में एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है. जो रिपोर्ट तिहाड़ जेल प्रशासन ने अदालत में दी उसके हवाले से दिल्ली माइनॉरिटी कमीशन ने बताया कि आरोप लगाने वाले कैदी ने अपने साथ जेल में बंद आतंकी यासीन भटकल और एक गैंगस्टर रवि के कहने पर ये षड्यंत्र रचा था, ताकि जेल की बदनामी कर इसका फायदा अदालत में उठाया जा सके.

कैदी ने सहयोगियों के साथ मिलकर रची साजिश

बता दें कि पिछले दिनों तिहाड़ जेल में बंद एक मुस्लिम कैदी ने पेशी के दौरान अदालत के सामने ये कहकर सनसनी फैला दी थी कि जेल सुपरिटेंडेंट ने उसकी पीठ पर जबरन ओम का निशान बनाया है.

माइनॉरिटी कमीशन ने मांगी रिपोर्ट
कैदी की पीठ पर ओम बना एक फोटो भी मीडिया में वायरल हुआ था. क्योंकि मामला कोर्ट में विचाराधीन है ऐसे में माइनॉरिटी कमीशन कोई नोटिस जारी नहीं करता, लेकिन कोर्ट में 200 पन्नों की रिपोर्ट देने पर कमीशन ने जेल महानिदेशक को पत्र लिखकर रिपोर्ट की कॉपी मांगी थी.

जमानत लेने के लिए की साजिश
माइनॉरिटी कमीशन के चेयरमैन डॉ.जफरुल इस्लाम खान ने बताया कि जेल प्रशासन की तरफ से चिट्ठी के जवाब में बताया गया था कि मामले की बाकायदा जांच कराई गई है जिसमें ये बात सामने आई है कि ये सब कैदी ने खुद अपने साथियों के साथ मिलकर किया था ताकि इसका फायदा जमानत लेने में उठाया जा सके.

letter to minority commission
जेल प्रशासन द्वारा माइनॉरिटी कमीशन को लिखा पत्र

आतंकी यासीन भटकल ने बुना था षड्यंत्र
जेल महानिदेशक ने आरोप लगाने वाले कैदी से हुई पूछताछ के हवाले से बताया कि इस आरोप के सामने आने के बाद कैदी को दूसरी जेल में शिफ्ट कर दिया गया था, जहां जेल सुपरिटेंडेंट ने उसे पूरे विश्वास में लेकर घटनाक्रम के बारे में जानकारी जुटाई थी.

कैदी ने उन्हें बताया कि जेल की सेल में उसके साथ आतंक के आरोपों में सजा काट रहा यासीन भटकल और गैंगस्टर रवि मौजूद थे, जिन्होंने उससे कहा कि वो अगर ऐसा करता है तो जेल की बदनामी होगी और उसे आसानी से जमानत मिल जाएगी और उन्हें भी इसका फायदा कोर्ट में मिलेगा. उन दोनों के कहने पर ही उसने पीठ पर ओम गोदे जाने की फर्जी कहानी कोर्ट के सामने बयान कर दी और पीठ पर ओम वाला फोटो भी वायरल कर दिया था.

डीजी तिहाड़ ने की चेयरमैन से मुलाकात
चेयरमैन ने बताया क्योंकि मामला बेहद संवेदनशील था ऐसे में तिहाड़ जेल महानिदेशक खुद अपने साथ उस डीआईजी को लेकर माइनॉरिटी कमीशन आ पहुंचे जिन्होंने इस पूरे प्रकरण की जांच करके रिपोर्ट अदालत के सामने पेश की थी.

डीजी तिहाड़ ने न सिर्फ उस जांच के अहम पहलू बताए बल्कि ये भी बताया कि 18 अप्रैल को कैदी ने कोर्ट के सामने जबरन ओम बनाने के आरोप लगाए जबकि ये मामला 12 अप्रैल का था. इस दौरान कैदी ने इस बाबत किसी को कोई जानकारी नहीं दी और न ही अपने किसी साथी को ही इस बारे में कुछ बताया.

कोर्ट तय करेगा जेल अफसर को क्लीन चिट
जेल प्रशासन ने कैदी के आरोपों के बाद जांच कराकर रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है. 500 पन्नों की इस रिपोर्ट में जो तथ्य सामने आए हैं उससे पता लगता है कि कैदी ने अपने साथियों के इशारे पर ये नाटक किया था. देखना ये होगा कि कोर्ट, जेल प्रशासन की रिपोर्ट को मानता है या फिर कैदी के आरोपों पर दोषी कहे जा रहे जेल सुपरिटेंडेंट पर कोई कार्रवाई करता है.

Intro:एशिया की अति सुरक्षित कही जाने वाली तिहाड़ जेल में मुस्लिम कैदी की पीठ पर ओम लिखे जाने के मामले में एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है दरअसल जो रिपोर्ट तिहाड़ जेल प्रशासन ने अदालत में दी उसके हवाले से दिल्ली माइनॉरिटी को देते हुए बताया गया है कि आरोप लगाने वाले कैदी ने दरअसल अपने साथ जेल में बंद आतंकी यासीन भटकल और एक गैंगस्टर रवि के कहने पर यह सब षड्यंत्र रचा था ताकि ताकि जेल की बदनामी कर इसका फायदा अदालत में उठाया जा सके.


Body:गौरतलब है कि पिछले दिनों तिहाड़ जेल में बंद एक मुस्लिम कैदी ने पेशी के दौरान अदालत के समक्ष यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि जेल सुपरिटेंडेंट ने ही उसकी पीठ पर जबरन ओम का निशान बनाया है.इतना ही नहीं कैदी की पीठ पर ओम बना एक फोटो भी मीडिया में वायरल हुआ था. क्योंकि मामला कोर्ट के अधीन विचाराधीन है ऐसे में माइनॉरिटी कमीशन कोई नोटिस जारी नहीं करता, लेकिन कोर्ट में दो सौ पन्नों की रिपोर्ट देने पर कमीशन ने जरूर जेल महानिदेशक को पत्र लिखकर रिपोर्ट की कॉपी मांगी थी.
माइनॉरिटी कमीशन के चेयरमैन डॉ.जफरुल इस्लाम खान ने बताया कि जेल प्रशासन की तरफ से चिट्ठी के जवाब में बताया गया था कि उक्त मामले की बाकायदा जांच कराई गई है जिसमें यह बात सामने आई है कि यह सब कैदी ने खुद अपने साथियों के साथ किया था ताकि इसका फायदा जमानत लेने में उठाया जा सके.

आतंकी यासीन भटकल ने बुना था षड्यंत्र
जेल महानिदेशक ने आरोप लगाने वाले कैदी से हुई पूछताछ के हवाले से बताया कि इस आरोप के सामने आने के बाद कैदी को दूसरी जेल में शिफ्ट कर दिया गया था, जहां जेल सुपरटेंडेंट ने उसे पूरे विश्वास में लेकर घटनाक्रम के बारे में जानकारी जुटाई थी. उक्त कैदी ने उन्हें बताया कि जेल की सेल में उसके साथ आतंकी आरोपों में सजा काट रहा यासीन भटकल और गैंगेस्टर रवि मौजूद थे, जिन्होंने उससे कहा कि वह अगर ऐसा जरत है तो जेल की बदनामी होगी और उसे आसानी से जमानत मिल जाएगी और उन्हें भी इसका फायदा कोर्ट में मिलेगा. उन दोनों के कहने पर ही उसने पीठ पर ओम गोदे जाने की फर्जी कहानी कोर्ट के सामने बयान कर दी और पीठ पर ओम वाला फोटो भी वायरल कर दिया था.

डीजी तिहाड़ ने की चेयरमैन से मुलाकात
चेयरमैन ने बताया क्योंकि मामला बेहद संवेदनशील था ऐसे मव तिहाड़ जेल महानिदेशक खुद अपने साथ उस डीआईजी को लेकर माइनॉरिटी कमीशन आ पहुंचे जिन्होंने इस पूरे प्रकरण की जांच करके रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश की थी,डीजी तिहाड़ ने न केवल उस जांच के अहम पहलू बताए बल्कि यह भी बताया कि 18 अप्रैल को कोर्ट के समक्ष जबरन ओम बनाने के आरोप लगाए जबकि यह मामला 12 अप्रैल का था, इस दौरान इस कैदी ने इस बाबत किसी को कोई जानकारी नहीं दी और न ही अपने किसी साथी को ही इस बारे में कुछ बताया.

कोर्ट तय करेगा जेल अफसर को क्लीन चिट
वैसे तो जेल प्रशासन ने कैदी के आरोपो के बाद आनन फानन में जांच कराकर रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी. पांच सौ पन्नों की इस रिपोर्ट में जो तथ्य सामने आया उससे पता लगता है कि कैदी ने अपने साथियों के इशारे पर यह सारा नाटक किया था, देखना यह होगा कि कोर्ट जेल प्रशासन की रिपोर्ट को मानता है या फिर कैदी के आरोपों पर दोषी कहे जा रहे जेल सुपरिटेंडेंट पर कोई कार्यवाही करता है.

कैदियों से होता है एक जैसा बर्ताव
जेल महानिदेशक ने कमीशन के चेयरमैन को बताया कि जेल में बंद करीब अस्सी प्रतिशत कैदी ऐसे होते हैं जिन्हें किसी आवेश में आकर अपराध किया होता है और उन्हें अपने किये पर पछतावा भी होता है,जबकि बाकी कैदी पेशेवर अपराधी होते हैं,जिन्हें ऐसे कैदियों से अलग रखा जाता है. जेल प्रशासन की नजर में सब कैदी एक समान होते हैं ऐसे में सबसे एक जैसा ही बर्ताव होता है. सब अपने अपने ढंग और अपनी रुचि के हिसाब से रोजमर्रा की एक्टिविटी में भी हिस्सा लेते हैं.



Conclusion:वैसे तो तिहाड़ जेल में बंद कैदी अदालत में फायदा उठाने और जेल प्रशासन की बुराई कर जेल में अपना रौब ग़ालिब करने के लिए आये दिन इस तरह के हथकंडे अपनाते रहते हैं, क्योंकि यह मामला एक मुस्लिम कैदी से जुड़ा हुआ था ऐसे में मीडिया ने भी इसे हाथोंहाथ लिया.जेल प्रशासन ने भी इस मामले में अपनी जांच कराकर रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश कर दी.

बाईट
डॉ.जफरुल इस्लाम खान
चेयरमैन, दिल्ली माइनॉरिटी कमीशन
Last Updated : May 26, 2019, 12:00 PM IST
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