नई दिल्ली: दिल्ली राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण(डीएसएलएसए) द्वारा सरकारी योजना के तहत जरूरतमंदों को उपलब्ध कराई जा रही निशुल्क कानूनी सहायता का जरुरतमंद जम कर लाभ उठा रहे हैं. साल 2023 के बीते 11 महीनों में दिल्ली में कुल एक लाख, 18 हजार, 292 लोगों ने निशुल्क कानूनी सहायता ली है. यह आंकड़े साल 2023 की जनवरी से साल 2023 के नवंबर तक के हैं.
इन लोगों को मिली सहायता: इस साल सबसे अधिक निशुल्क सहायता लेने वालों में प्राकृतिक आपदा से पीड़ित, हिंसा से पीड़ित, बाढ़ से पीड़ित, सूखा से प्रभावित और भूकंप से पीड़ित लोग शामिल हैं. दूसरे नंबर पर वो लोग हैं जो किसी न किसी मामले में पुलिस हिरासत में जेल में बंद हैं. इसके बाद तीसरे नंबर पर निशुल्क कानूनी सहायता लेने में महिलाएं हैं. चौथे नंबर पर वह लोग हैं जिनकी वार्षिक आय तीन लाख रूपये से कम है. उनको भी डीएसएलएसए द्वारा सरकार की योजना के तहत निशुल्क कानूनी सहायता दी जाती है. इसके बाद पांचवें नंबर पर वे लोग हैं जिनको कोर्ट से निशुल्क कानूनी सहायता देने के लिए अनुमोदित किया गया है. इसके अलावा निशुल्क कानूनी सहायता लेने वालों में बच्चे, पुलिस द्वारा बरामद लापता बच्चे, दिव्यांग, मानव तस्करी के शिकार लोग, वरिष्ठ नागरिक एचआईवी एड्स पीड़ित लोग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग शामिल हैं.
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आपदा ने बढ़ाई संख्या: दिल्ली राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सदस्य सचिव मुकेश कुमार गुप्ता ने बताया कि मात्र 11 महीने के अंदर इतनी बड़ी संख्या में लोगों के द्वारा निशुल्क कानूनी सहायता लेना जागरूकता को दर्शाता है. दिल्ली में जुलाई महीने में आई बाढ़ के कारण बड़ी संख्या में लोगों ने निशुल्क कानूनी सहायता ली, जिसकी संख्या लगभग 28 हजार रही. जनवरी से जून तक आपदा पीड़ित श्रेणी में कानूनी सहायता लेने वालों की संख्या जीरो रही. इसके अलावा अगस्त महीने में 4700 से ज्यादा बाढ़ पीड़ित लोगों ने निशुल्क कानूनी सहायता ली. इसके बाद जब बाढ़ का असर कम हो गया तो आपदा के तहत कानूनी सहायता लेने वालों का आंकड़ा सितंबर, अक्टूबर और नवंबर के महीने में फिर जीरो हो गया. वहीं, निशुल्क कानूनी सहायता लेने में औद्योगिक कर्मी फैक्ट्री में काम करने वाले लोग भी शामिल हैं. इसके अलावा सालाना चार लाख रूपये से कम आमदनी वाले चार ट्रांसजेंडर ने भी निशुल्क कहानी सहायता का इस वर्ष लाभ लिया. गंभीर बीमारी से पीड़ित होने की श्रेणी में छह एड्स पीड़ितों ने भी निशुल्क कानूनी सहायता ली. इस साल किसी भी तेजाब हमले की पीड़िता ने निशुल्क कानूनी सहायता नहीं ली है.
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