नई दिल्ली: महिला अधिकारों और महिलाओं के उत्थान जैसे विषयों पर कविता लिखने वाली और बेटियों के जन्म पर सोहर लिखने वाली अनीता भारद्वाज दिल्ली के नांगलोई इलाके में रहती हैं. अनीता मूल रूप से हरियाणा के रोहतक जिले के छोटे से शहर महम की रहने वाली हैं. वे बताती हैं कि हरियाणा में लड़कियों की पढ़ाई लिखाई और उनके घर से बाहर निकलने पर काफी पाबंदियां रहती थीं. वहां लड़की के जन्म पर कोई सोहर या बधाई गीत भी नहीं गाया जाता था, लेकिन आज उन्हें इस बात की खुशी है कि उनका लिखा सोहर और बधाई गीत बेटियों के जन्म पर वहां खूब गाये जाते हैं, जो सोशल मीडिया पर भी उनका गीत छाया हुआ है. वे कहती हैं कि इस गीत में उन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में शिखर पर पहुंचने वाली लड़कियों के बारे में बताया है.
अनीता महिला अधिकारों की पैरवी करने वाले गीत लिखतती हैं और उन्हें ओपन मंच पर सुनाती भी हैं. उनकी कविता "ख्वाब और भी हैं औरतों के, सिर्फ मर्द बच्चा और मकान वे तीन तो नहीं..." भी सोशल मीडिया पर काफी पसंद किया जा रहा है. ससुराल में प्रताड़ित हो रही एक बेटी का अपने पिता के नाम पत्र भी काफी पसंद किया गया. ससुराल में बहू को प्रताड़ित करने और उन्हें यातनाएं देने को लेकर एक बेटी ने अपने पिता को पत्र लिखा है. उसी पत्र को कविता का रूप देते हुए अनीता ने प्रस्तुत भी किया है.
वे बताती हैं कि बड़े होकर जब उन्हें पता चला कि उनके जन्म पर कोई सोहर या बधाई गीत नहीं गाया गया था, क्योंकि महम में या परंपरा नहीं थी तो उन्हें काफी दुख हुआ. इसके बाद अनीता ने औरतों की समस्याओं पर गीत और कहानियां लिखना शुरू किया और इन्हीं गीतों और कहानियों को वह ओपन मंच पर प्रस्तुत करने लगीं. सोशल मीडिया पर भी उनके गीत और कविताएं खूब वायरल होने लगे.
अनीता कहती है कि उन्हें इस बात का काफी सुकून है कि भले ही उनके पैदा होने पर सोहर नहीं गाई गई, खुशियां नहीं मनाई गईं, लेकिन आज उनकी लिखी सोहर हरियाणा में बेटियों के पैदा होने पर गाईं जा रही हैं. लेडीज संगीत में उनके गीत गाए जाते हैं. उनके लेखन के लिए कई संस्थानों में उन्हें सम्मानित भी किया है.
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पेशे से स्पेशल एजुकेटर हैं अनीता भारद्वाज: अनीता ने 12वीं तक की पढ़ाई हरियाणा से की. इसके बाद वह दिल्ली आ गईं और आगे की पढ़ाई यहीं से की. उन्होंने बीएड इन स्पेशल एजुकेशन किया. 6 सालों तक स्कूल में विशेष शिक्षिका के रूप में काम किया है. जिंदगी में आए उतार चढ़ाव के चलते खुद को मानसिक तनाव से मुक्त रखने और दूसरों को भी अकेले रहकर स्वावलंबी बनने की प्रेरणा देते हुए कविता और कहानियां निखना शुरू किया. उनकी रचना "एक खत पिता के नाम", "अकेली मां" और "कन्यादान" है. इसके अलावा वे कई सोहर और बधाई गीत लिखे हैं जो अब तक 20 लाख से ज्यादा लोग सुन चुके हैं.
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