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अंग्रेजी न आने से चित्रकारी सिखाने से कर दिया गया इनकार, खुद की साधना से सफल चित्रकार बने जेपी सिंह

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 7, 2023, 4:12 PM IST

आर्टिस्ट जेपी सिंह को कभी अंग्रेजी न आने की वजह से चित्रकारी सिखाने से इनकार कर दिया गया था. खुद से साधना करके वह एक सफल चित्रकार बन गए. Artist JP Singh

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आर्टिस्ट जेपी सिंह की कहानी

नई दिल्ली: चित्रकला एक ऐसी साधना है, जिसमें निरंतर कार्य करने से निखार आता है. चित्रकार द्वारा बनाई गई कला को समझने के लिए किसी भाषा विशेष की जरूरत नहीं होती. भाषा हमारे द्वारा बोले गए शब्दों एवं भावनाओं का प्राकट्य है, परंतु चित्रकला में चित्रकार अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करता है.

अब हम बात करते हैं ऐसे चित्रकार की, जिनको अंग्रेजी नहीं आने की वजह से चित्रकला का प्रशिक्षण देने से इंकार कर दिया गया था. आर्टिस्ट ने इस बात को दिल से लगा लिया और ठान लिया कि सफल आर्टिस्ट बन कर दिखाएंगे. ब्रश उठाया और दिन-रात मेहनत में जुट गए. अपनी लगन उन्होंने एक मुकाम हासिल कर लिया. अपनी चित्रकला से उन्होंने न सिर्फ अपने देश बल्कि विदेशों में भी खूब नाम कमाया. ये आर्टिस्ट हैं जे पी सिंह.

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उन्होंने बताया कि उनको बचपन से चित्रकारी करना अच्छा लगता था. उनकी दादी उनके लिए प्रेरणा रहीं जिन्होंने हमेशा उनके काम को सराहा. एक सफल आर्टिस्ट बनने का आशीर्वाद दिया. लेकिन जब उन्होंने चित्रकला का प्रशिक्षण लेने के बारे में सोचा, तो अंग्रेजी न आने की वजह से उन्हें दो जगह चित्रकला का प्रशिक्षण देने से मना कर दिया गया.

आर्टिस्ट जेपी सिंह ने बताया कि जब उनको रिजेक्ट कर दिया गया था, तो वह बहुत निराश हुए. इस घटना को उन्होंने अपनी ताकत बना लिया और निरंतर चित्रकारी करते रहे. उन्होंने कभी चित्रकला का प्रशिक्षण नहीं लिया. उनका मानना है कि जब इस धरती पर किसी ने पहली बार चित्रकारी की होगी, तो उसका भी कोई गुरु नहीं होगा. नेचर सबसे बड़ा गुरु होता है. रिजेक्ट किए जाने के बाद उन्होंने कला को ही साधना मान लिया और आज दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों में भी कला का प्रशिक्षण देने वाले प्रोफसर, अध्यापक और प्रिंसिपल उनके अच्छे मित्र हैं.

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ग्रामीण क्षेत्र के मध्यम परिवार में जन्मे जे पी सिंह ने बताया कि उनके माता पिता अनपढ़ थे. उन्होंने हमेशा उनके काम को पसंद किया. उनकी पहली प्रेरणा बनें उनकी तीसरी कक्षा के अध्यापक, जिनकी कला को देखकर उनको भी चित्रकारी करने की प्रेरणा मिली. उन्होंने भी चित्रकारी करना शुरू किया. उनकी दूसरी प्रेरणा बने गांव में सब्जी बेचने वाले आजम अली, जिन्होंने जेपी सिंह की चित्रकला को देखते ही शेर बोल दिया. इसके बाद जेपी सिंह को लगा कि वह चित्रकला को अपना करियर चुनेंगे. उनके जीवन की तीसरी प्रेरणा बनीं उनकी अनपढ़ दादी, जिन्होंने आर्टिस्ट जेपी सिंह को कभी चित्रकारी करने से नहीं रोका. उन्होंने बताया "मेरी दादी को हमेशा लगता था कि मैं आम बच्चों से बिलकुल अलग हूँ. कुछ अलग करता हूं. उनके द्वारा मुझे अलग समझना मेरे लिया सबसे बड़ी प्रेरणा बनी.

अपनी चित्रकलाओं के बारे में बताते हुए जेपी सिंह ने बताया कि उन्होंने 30 वर्ष पहले रेलस्टिक आर्ट से अपनी चित्रकला की यात्रा शुरू की. फिर फॉर्म तो तोड़ते हुए सेमीऑब्स्ट्रक्ट आर्ट करना शुरू किया. अब वह पूरी तरह से ऑब्स्ट्रक्ट आर्ट करते हैं. फिलहाल आर्टिस्ट जेपी सिंह ने दिल्ली के लोदी रोड स्थित इंडिया हैबिटैट सेंटर में अपनी 16 चित्रकलाओं को प्रदर्शित किया है. प्रदर्शनी आगामी 10 नवंबर तक चित्रकला प्रेमियों के लिए सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक खुली है.

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