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दिल्ली में मुश्किल है होम क्वारंटाइन, संक्रमण रोकना मुश्किल

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Published : May 25, 2021, 8:47 AM IST

Updated : May 25, 2021, 11:05 AM IST

कोरोना संक्रमण के दौरान जहां एक ओर अस्पतालों में मरीजों की भीड़ लगी हुई है. वहीं दूसरी ओर घर में रहकर भी कई मरीज इलाज करा रहे हैं, लेकिन दिल्ली में होमक्वारंटीन रहना संक्रमण फैलने का खतरा भी है क्योंकि औसतन एक कमरे में 3 से 4 लोग रहते हैं, जिससे कोरोना गाइडलाइन का पालन करना मुश्किल होता है. पढ़िए ये रिपोर्ट...

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दिल्ली में लोगों के लिए मुश्किल है होम-क्वारंटाइन रहना

नई दिल्ली: बीते 1 साल में राजधानी में कोरोना के लाखों मामले सामने आए, जिसमें अधिकतर लोग घर पर ही ठीक हो गए. आमतौर पर कोरोना के उपचार के लिए होम क्वारंटाइन को ही समाधान माना जाता है. हालांकि दिल्ली जैसे शहर में यही होम क्वारंटाइन लोगों के लिए ठीक होने से ज़्यादा परिवार के लिए संक्रमण का खतरा बनकर उभरता है.

दिल्ली में लोगों के लिए मुश्किल है होम-क्वारंटाइन रहना
एक कमरे में 3 से 4 सदस्य
साल 2011 की सेंसस के आंकड़े बताते हैं कि देश भर में अगर लोगों को देखा जाए तो यहां करीब 42 फीसदी परिवार ऐसे हैं, जहां एक कमरे में परिवार के 3 से 4 सदस्य रहते हैं. दिल्ली जैसे शहर में ये चुनौती बड़ी इसलिए भी है क्योंकि यहां पर अधिकतर लोग 50 गज तक के एक/दो कमरे के घर में 4 लोगों तक के रहने का आधार रख लेते हैं. यही नहीं पूर्वी दिल्ली और उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में एक बड़ी आबादी 40 और 30 गज के मकान तक में रहती है.


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दूरी नहीं हो पाती सुनिश्चित
कोरोना से बचाव के लिए जिस कदम को सबसे ज़रूरी माना जाता है, उसमें सोशल डिस्टेंसिंग सबसे प्रमुख है. संक्रमित व्यक्ति से दूरी ही संक्रमण से दूरी सुनिश्चित करती है. हालांकि, ऐसी जगह पर जहां कुल लंबाई और चौड़ाई ही 10 कदम की हो तो वहां ये दूरी कैसे सुनिश्चित की जाए.

सुषमा का मामला
पश्चिमी दिल्ली के नवादा इलाके में रहने वालों सुषमा के घर में पति, सास और बच्चों को मिलाकर कुल 5 लोग हैं. 2 मंजिल मकान में नीचे पार्किंग और हर फ्लोर पर एक-एक कमरा बना हुआ है. पिछले ही महीने जब उनके परिवार में एक सदस्य को कोरोना हुआ, तब उन्होंने सुरक्षा की दृष्टि से होम क्वारंटाइन की जगह कोविड केयर सेन्टर जाना ज़्यादा सुरक्षित समझा.

एक कमरे में स्थिति हो जाती है खराब
ऐसे ही सैकड़ों लोग हैं, जिनके लिए महामारी में एक कमरे के मकान में स्थिति और बदतर हो गई थी. सबसे बड़ी चुनौती परिवार के इस सदस्य को सकारात्मक रखने की भी होती है. संक्रमण फैलने के डर के साथ संक्रमित व्यक्ति का ख्याल रखना भी होता है. छोटे घर में न तो संक्रमण रोकना मुमकिन होता है और न ही संक्रमित का ख्याल रख पाना.

तेज गति से संक्रमण फैलने का कारण रहन-सहन!
जानकार देश की राजधानी में संक्रमण के तेज गति से फैलने का एक कारण यहां की रहन-सहन को भी मानते हैं. शहर में किराए पर रहने वाली आबादी भी कम नहीं है. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान अजर बिहार से आने वाले लोग अमूमन किराए के कमरे को ही पहली प्राथमिकता देते हैं. महंगे दाम सुनकर अक्सर लोगों के लिए 2 कमरे का एक घर लेना भी मुमकिन नहीं हो पाता और ऐसे में वे लोग 1 कमरे तक सीमित रह जाते हैं.

मध्यम वर्गीय परिवार भी शामिल
खास बात है कि ऐसे लोगों में सिर्फ गरीब लोग शामिल नहीं हैं बल्कि वह लोग भी शामिल हैं जो मध्यमवर्गीय परिवारों से आते हैं. ऐसे लोगों की संख्या हजारों में है. इन्हीं लोगों के लिए कोरोनावायरस की महामारी में होम क्वॉरेंटाइन न सिर्फ मुश्किल है बल्कि किसी एक सदस्य की संक्रमित होने के बाद संक्रमण से बचना लगभग नामुमकिन है.

Last Updated : May 25, 2021, 11:05 AM IST
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