नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑनलाइन पैथोलॉजी प्रयोगशालाओं की मॉनिटरिंग नहीं करने पर ICMR को चेतावनी दी है. जस्टिस नाजमी वजीरी की बेंच ने दलीलें सुनने के लिए 14 सितंबर की तिथि नियत करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि ICMR को निजी पैथोलॉजिकल लेबोरेटरी की शिकायतों को देखना चाहिए. ICMR चाहे तो कानून का उल्लंघन करने वाले लेबोरेटरीज का लाईसेंस निरस्त कर सकती है. बता दें ICMR ही प्रयोगशालाओं को लाईसेंस देती है.
दरअसल, ICMR ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा है कि आनलाइन पैथोलॉजिकल लेबोरेटरी पर नियंत्रण करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. ICMR ने कहा कि निजी लेबोरेटरी को NABL ही सर्टिफिकेट जारी करती है. ICMR ने कहा है कि कोरोना के टेस्टिंग लेबोरेटरी की स्थापना के लिए उसने स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसिजर जारी किए हैं. इनके लिए देश भर में 14 मेंटर इंस्टीट्यूट की स्थापना की गई है.
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दिल्ली की प्रयोगशालाओं के लिए एम्स अस्पताल को मेंटर इंस्टीट्यूट बनाया गया है. ICMR ने कहा कि 16 अगस्त को उसने दिल्ली में 35 सरकारी और 99 निजी लेबोरेटरी को मान्यता दी है. ये प्रयोगशाला RT-PCR, ट्रूनैट, CB-NAAT और M-NAAT का टेस्ट कर सकते हैं. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक सुधी देव ने कहा कि सरकार इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है.
उन्होंने कहा कि सरकार के बड़े अधिकारी इन अवैध आनलाइन पैथोलॉजिकल लेबोरेटरीज के संचालन के लिए बराबर के जिम्मेदार हैं. ये लेबोरेटरीज खुलेआम अपना विज्ञापन जारी करते हैं. वे SMS और ई-मेल के जरिये अपना प्रचार कर रहे हैं. पिछले 12 अगस्त को कोर्ट ने ICMR को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. 12 नवंबर 2020 को कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था.
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यह याचिका जयपुर के एक पैथोलॉजिस्ट रोहित जैन ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक सुधी देव ने कहा था कि 6 अगस्त 2020 को हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और ICMR को निर्देश दिया था कि ऐसी आनलाइन प्रयोगशालाओं के खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाय, लेकिन इस आदेश का पालन नहीं किया गया.
उन्होंने कहा था कि healthian और 1mg जैसे ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स दिल्ली में अवैध तरीके से काम कर रहे हैं, ये आम लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं. अगस्त 2020 में भी रोहित जैन ने ही याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि ऑनलाइन पैथोलॉजी प्रयोगशालाओं की ओर से लोगों के खून का सैंपल लेना लोगों की जान को खतरा में डाल सकता है. क्योंकि इन लैब्स की कोई प्रामाणिकता नहीं है.
याचिका में कहा गया था कि ये ऑनलाइन पैथोलॉजिकल लैब्स बिना किसी अनुमति के चल रहे हैं. याचिका में कहा गया था कि ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब क्लीनिकल एस्टैबलिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्टर्ड नहीं किए गए हैं. इसलिए मरीजों का सैंपल लेने के लिए वे मेडिको लीगल रूप से उतरदायी नहीं हैं. याचिका में ऑनलाइन एग्रीगेटर के जरिये चलने वाले पैथोलॉजी प्रयोगशालाओं को बंद करने की मांग की गई थी. ऑनलाइन पैथोलॉजी सर्विस के जरिये लोग अपनी सुविधा के मुताबिक सैंपल देने के लिए बुकिंग करवाते हैं.
याचिका में कहा गया था कि इन लैब्स के संचालकों के क्वालिफिकेशन का वेरिफिकेशन भी नहीं किया गया है. ये ICMR के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए कोरोना का अनाधिकृत रुप से टेस्ट कर रहे हैं. ऐसा करना संविधान की धारा 21 के तहत जीने के अधिकार का उल्लंघन है.