नाबालिगों को हथियार बना रहे गैंगस्टर, कानून में बदलाव के साथ परवरिश पर भी देना होगा ध्यान

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Published : Sep 16, 2021, 5:18 PM IST

Updated : Sep 16, 2021, 9:45 PM IST

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NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में हर साल औसतन 2500 नाबालिग अपराध की दुनिया में जा रहे हैं. इस पर पूर्व डीसीपी एलएन राव का कहना है कि बाल अपचारियों के खिलाफ कोई कड़ा कानून नहीं है, जिसके कारण बड़े गैंगस्टर इसका फायदा उठाते हैं और उनसे अपराध करवाते हैं. ऐसे में कानून की सख्ती के साथ-साथ बच्चों की परवरिश पर भी ध्यान देना होगा.

नई दिल्ली : देश की राजधानी में नाबालिगों द्वारा अपराध की घटनाएं पुलिस के लिए चिंता का बड़ा कारण हैं. हत्या, लूट और दुष्कर्म जैसी गंभीर वारदातों में भी वह शामिल हो रहे हैं. इतना ही नहीं गैंगस्टर के इशारे पर वह कॉन्ट्रैक्ट किलिंग करने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं. NCRB द्वारा जारी किए गए डाटा से खुलासा हुआ है कि औसतन 2500 नाबालिग प्रत्येक वर्ष राजधानी के भीतर अपराध में पकड़े जा रहे हैं.

दिल्ली पुलिस के सेवानिवृत्त डीसीपी एलएन राव ने बताया कि सबसे पहले यह देखना होगा कि नाबालिगों द्वारा होने वाला अपराध आखिर क्यों बढ़ रहा है. यह बात सच है कि कुछ गैंग इनका इस्तेमाल अपने फायदे या रंजिश के लिए करते हैं. लालच देकर वह उनसे कॉन्ट्रैक्ट किलिंग तक करवा रहे हैं. इसकी वजह नाबालिगों के अपराध को लेकर नरम कानून है. बड़े से बड़ा अपराध करने पर भी नाबालिगों के लिए सख्त सजा का प्रावधान नहीं है. उन्हें केवल बाल सुधार गृह में रखा जा सकता है, भले ही उन्होंने हत्या जैसे जघन्य अपराध क्यों न किया हो. उन्हें वहां सुधारने का प्रयास किया जाता है. इसका फायदा विभिन्न गैंगस्टर एवं बदमाश करते हैं और नाबालिगों को अपराध में धकेलते हैं.

अपराध की दुनिया में जा रहे बच्चे

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एलएन राव ने बताया कि बच्चों को अपराध से दूर रखने के लिए सबसे पहले उन्हें मोरल वैल्यू समझाने की आवश्यकता है. घर के अलावा स्कूल एवं कालेज में बच्चों को मोरल वैल्यू देने चाहिए. उनको बताना होगा कि अच्छा बुरा क्या है. समाज के लोग एवं NGO को भी इस दिशा में काम करना चाहिए. उन्होंने बताया कि इस उम्र में बच्चों को अच्छे-बुरे की समझ नहीं होती है. उन्हें जिस दिशा में ले जाया जाता है, वह उन्हें सही लगती है. ऐसे में अगर एक बार बच्चे को अपराध का चस्का लग गया तो उसको सुधारने का काम बेहद ही मुश्किल हो जाता है. इसलिए परिजनों को शुरू से ही बच्चों पर नजर रखनी चाहिए. उन्होंने बताया कि आजकल ज्यादा परिवार अकेले रहते हैं. माता-पिता ड्यूटी करते हैं और बच्चा घर पर अकेला रहता है. ऐसा बच्चा सोशल मीडिया, टीवी, इंटरनेट आदि पर ऐसी चीजें देखता है, जो उसे अपराध की तरफ खींचती है.

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पूर्व डीसीपी एलएन राव ने बताया कि पुलिस के लिए नाबालिगों को अपराध से रोकना निश्चित तौर पर चुनौती है. कानून के तहत पुलिस ऐसे मामलों में काम करती है. लेकिन इनके अपराध बढ़ने का कारण नाबालिगों के लिए बनाए गए कानून का नरम होना है. सरकार ने पूर्व में यह कानून बनाया था कि अगर कोई 16 वर्ष से ज्यादा का नाबालिग गंभीर अपराध करेगा तो अदालत बालिग मानते हुए उस पर केस चला सकती है. लेकिन इसके बावजूद ऐसे अपराध हो रहे हैं. उनका मानना है कि ऐसे अपराधों में अगर 16 वर्ष से अधिक का नाबालिग शामिल होता है तो उसे बालिग ही मानना चाहिए. आजकल बच्चे इस उम्र में काफी समझदार होते हैं. बदमाश भी 16 साल से नीचे उम्र के बच्चों का इस्तेमाल नहीं करते हैं क्योंकि वह ठीक से अपराध नहीं कर पायेगा.

नाबालिगों के लिए बनाए गए कानून काफी नरम हैं.
नाबालिगों के लिए बनाए गए कानून काफी नरम हैं.
Last Updated :Sep 16, 2021, 9:45 PM IST
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