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Delhi flood Explainer: यमुना के सैलाब में डूूबी दिल्ली, बाढ़ आने की क्या वजह है? समझें पूरी कहानी

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Published : Jul 13, 2023, 4:34 PM IST

Updated : Jul 13, 2023, 10:03 PM IST

दिल्ली में यमुना में बढ़ता पानी का जलस्तर लोगों के लिए बड़ी आफत लेकर आया है. 45 साल बाद यमुना का जलस्तर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है और इसका असर राजधानी में साफ देखने को मिल रहा है. ऐसे में आशुतोष झा की रिपोर्ट से समझिए दिल्ली बाढ़ की पूरी कहानी...

यमुना के सैलाब में डूूबी दिल्ली
यमुना के सैलाब में डूूबी दिल्ली

यमुना के सैलाब में डूूबी दिल्ली

नई दिल्ली: दिल्ली की लाइफ लाइन यमुना इन दिनों विकराल रूप धारण किए हुए है. जलस्तर खतरे के निशान से करीब 3 मीटर ऊपर पहुंच गया है. गुरुवार दोपहर 2 बजे यमुना का जलस्तर 208.62 मीटर रिकॉर्ड किया गया है. यही वजह है कि यमुना का पानी अब निचले स्तर से शहर की तरफ प्रवेश कर गया है. कश्मीरी गेट जो दिल्ली का प्रवेश द्वार माना जाता है वह जलमग्न हो चुका है. लालकिला जहां सैकड़ों साल पहले यमुना छूकर निकलती थी, आज उसी स्वरूप में आ गई है.

कश्मीरी गेट, राजघाट समेत रिंग रोड के कई हिस्से पर बाढ़ का पानी पहुंच चुका है. दिल्ली के एक तिहाई हिस्से पर बाढ़ का असर पड़ा है. यूं तो बारिश के दौरान यमुना का जलस्तर बढ़ने से कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होती रही है, लेकिन 45 साल बाद यमुना का जलस्तर रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ा है. ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि दिल्ली में बाढ़ आने की वजह क्या है? इस बारे में लोगों के मन में कई सवाल हैं. ETV भारत इसकी पड़ताल करते हुए एक्सपर्ट टाउन प्लानर एके जैन और शहरी निकाय मामलों के जानकार जगदीश ममगाई से जाना कि राजधानी में बाढ़ आने के कारण क्या है, बिन बारिश यमुना में उफान कैसे आया? आइए जानते हैं...

सवाल: दिल्ली में यमुना का जलस्तर बढ़ने से उत्पन्न वर्तमान हालात क्या है?

जवाब: यमुना में आई बाढ़ का असर अब दिल्ली के पॉश इलाकों में देख जा रहा है. दिल्ली में जिन वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट से पानी की आपूर्ति होती है उनमें से तीन बंद कर दिए गए हैं. 25 फीसदी पानी की आपूर्ति कम हो गई है. यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन के बाहर पानी भर गया है और इस मेट्रो स्टेशन को बंद कर दिया गया है. साथ ही यमुना नदी पर बने सभी 4 मेट्रो पुल से ट्रेनों की रफ्तार कम कर दी गई है. दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम समेत आईटीओ स्थित कुछ कार्यालयों में विकास मीनार, आईपी स्टेट, थर्मल पावर प्लांट आदि में पानी घुस जाने से उसे बंद कर दिया गया है. उत्तरी दिल्ली में कश्मीरी गेट, लालकिला, राजघाट के समीप रिंग रोड पर पानी आने से ट्रैफिक को वहां से डायवर्ट कर दिया गया है.

सवाल: दिल्ली में यमुना का दायरा क्या है और इसमें पानी कहां से आता है?

जवाब: दिल्ली में यमुना पल्ला गांव में प्रवेश करती है. इसका समापन कालिंदी कुंज (जो दक्षिणी दिल्ली में है) में होता है. उसके बाद यमुना यूपी में प्रवेश कर जाती है. करीब 22 किलोमीटर के यमुना के इस दायरे में पानी साल भर काफी दूषित रहता है और गर्मी के दिनों में तो यमुना का दायरा सिमट कर काफी कम हो जाता है. ऐसे में मानसून के दौरान जब दिल्ली समेत पड़ोसी राज्यों में भारी बारिश होती है तब अचानक यमुना के जलस्तर में बढ़ोतरी होती है. यमुना में पानी मुख्यतया दो बैराजों से छोड़ने से आता है. यह बैराज देहरादून में डाकपत्थर और दिल्ली से कुछ किलोमीटर की दूर स्थित हरियाणा के यमुनानगर में हथनीकुंड में स्थित है. इन दोनों बैराज से दिल्ली में यमुना में पानी आता है. यमुना नदी पर कोई बांध नहीं है इसलिए अधिकांशतया मानसून के दौरान यमुना में बाढ़ आ जाती है.

सवाल: दिल्ली में यमुना में बाढ़ आने की क्या वजह है?

जवाब: दिल्ली से करीब 180 किलोमीटर दूर हरियाणा के यमुनानगर में हथिनी बैराज है. जहां से मानसून के दौरान जब पहाड़ी इलाकों से बारिश का पानी अधिक जमा हो जाता है तो हथिनी बैराज से उसे फिर आगे छोड़ा जाता है. इस बैराज से पानी छोड़े जाने पर पहला पड़ाव दिल्ली होता है. दिल्ली पहुंचने में कम से कम दो से तीन दिन लगते हैं. एक्सपर्ट की मानें तो बाढ़ के मैदानों पर अतिक्रमण हो गया है. कम समय में अत्यधिक बारिश हो रही है और गाद जमने के कारण नदी का तल ऊंचा हो गया है. जिस वजह से पानी में बहाव अचानक तेज हो जाता है और उसका दायरा अचानक बढ़ जाता है. फिर पानी उफान का रूप ले लेता है. पिछले वर्षों की तुलना में हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़े जाने पर दिल्ली पहुंचने में कम समय लगा है. इसका मुख्य कारण यमुना के नीचे गाद अधिक हो जाना बताया गया था. पहले पानी को बहने के लिए अधिक जगह मिलती थी. अब संकरी रास्ते से होकर गुजरने लगी और अचानक जब पानी अधिक हो जाता है तो यह विराट रूप ले लेता है.

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सवाल: दिल्ली में बाढ़ न आए इसके क्या उपाय हैं?

जवाब: दिल्ली में यमुना का जलस्तर 205.33 मीटर को पार कर जाता है तब उसे खतरे के निशान से अधिक माना जाता है. यमुना का जलस्तर और बढ़ने की स्थिति में उससे निपटने की तैयारी कुछ वर्षों में की गई है. दिल्ली के तटीय इलाकों जहां पर अब रिहायशी इलाके बन गए हैं और लोग वहां रह रहे हैं, उन इलाकों में बाढ़ को रोकने के लिए निचले इलाकों में तटबंध बनाए जा रहे हैं. जिस गांव से यमुना दिल्ली पूर्व में प्रवेश करती है उसके समीप स्थित बुराड़ी गांव में काफी बड़ा हिस्सा यमुना के तटीय इलाके में शामिल होता है. 4 वर्षों के दौरान बुराड़ी इलाके के निचले इलाकों में 3 मीटर ऊंचा तटबंध बनाया गया है. नतीजा है कि इन दिनों जब यमुना उफान पर है लेकिन अभी बुराड़ी के उन इलाकों में बाढ़ का पानी प्रवेश नहीं कर सका है. यही उपाय अन्य आबादी वाले इलाके में भी किए जाने से बाढ़ के पानी से बचाव संभव है.

सवाल: यमुना में आई बाढ़ से दिल्ली में कितने लोग प्रभावित है?

जवाब: दिल्ली सरकार के मुताबिक यमुना नदी के आसपास निचले इलाके में करीब 41000 लोग रहते हैं. यमुना का जलस्तर बढ़ने की स्थिति में इन इलाकों को संवेदनशील सरकार मानती है और सबसे पहले यहां पर सभी लोगों को हटाया जाता है. गत रविवार से डीडीए, राजस्व विभाग और निजी लोगों की इन जमीनों पर अतिक्रमण कर जो लोग बसे हुए हैं उनको सुरक्षित निकाल दिया गया है. रविवार रात से ही वहां मुनादी कर लोगों को खाली करने के लिए कहा गया था और इनके रहने की व्यवस्थाएं की गई. दिल्ली के उत्तर पूर्वी, पूर्व, मध्य और दक्षिण पूर्व जिले में बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित इलाके हैं. वहां से निकाले गए लोगों को रहने के लिए शिविर लगाए गए हैं.

सवाल: बाढ़ के चलते दिल्ली की जनता का जनजीवन किस कदर प्रभावित हुआ है?

जवाब: बाढ़ के चलते तीसरे दिन जनजीवन काफी हद तक प्रभावित हो गया है. दिल्ली के तीन जल शोधन संयंत्र बंद कर दिए गए हैं. जिससे दिल्ली में जल बोर्ड द्वारा जो पानी की आपूर्ति की जाती है उसमें 25 फीसद तक की कटौती हो गई है. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने भी लोगों से अपील की है कि वे बाढ़ के चलते हुई इस परेशानी को समझें और सरकार का सहयोग करें. उन्होंने शुक्रवार शाम तक हालात सामान्य होने की बात कही है. इसके अलावा उत्तरी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली को जाने वाले रिंग रोड के हिस्से पर पानी आ जाने से वहां पर आवाजाही बंद कर दी गई है. गुरुवार को कामकाजी लोगों को घर जाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. ट्रैफिक पुलिस ने वैकल्पिक इंतजाम किए लेकिन इसके लिए लोगों को काफी चक्कर काटने पड़े. दिल्ली के बाहरी इलाकों में जहां खेती होती है वहां पानी भर जाने से फसलें बर्बाद हो गई है. मंडियों में स्थानीय फल- सब्जी की आवक बंद होने से दाम बढ़ गए. सराय काले खां और कश्मीरी गेट अंतरराज्यीय बस अड्डा पर बाहर से आने वाली बसों के परिचालन बंद हो गया है. दिल्ली की सीमा पर ही से ही उनकी आवाजाही हो रही है इससे लोगों की परेशानी बढ़ गई है.

सवाल: बाढ़ से उत्पन्न हालात से निपटने के लिए क्या कर रहा प्रशासन?

जवाब: दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के निर्देश पर पुराने रेलवे पुल को यातायात के लिए बंद कर दिया गया है. अतिरिक्त पानी छोड़ने और लंबे समय तक जल स्तर को रोकने के लिए ओखला बैराज के सभी गेट खोल दिए गए हैं. दिल्ली के सभी जिलों के डीएम और उनकी कमेटियों को अलर्ट मोड पर रहने को कहा गया है. बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए 16 कंट्रोल रूम बनाए गए हैं. सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग, दिल्ली पुलिस, दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड और अन्य विभाग एक साथ काम में जुट गया है. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा था और उनसे अनुरोध किया था कि वे हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से पानी धीरे-धीरे छोड़ने के आदेश दें. उन्होंने यह भी कहा था कि कुछ सप्ताह बाद दिल्ली में G-20 का शिखर सम्मेलन होने वाला है ऐसे में बाढ़ की खबर से दुनिया में अच्छा संदेश नहीं जाएगा.

सवाल: दिल्ली में इससे पहले कब-कब आई है बाढ़?

जवाब: दिल्ली में इससे पहले वर्ष 1978 में यमुना का जलस्तर 207.49 मीटर को पार किया था. जो अपने आप में रिकॉर्ड था. उसके बाद इस वर्ष रिकॉर्ड जलस्तर बढ़ा है और स्थिति सबके सामने है. इससे पहले वर्ष 1924, 1947, 1976, 1978, 1988, 1995, 2010, 2013 में दिल्ली के तमाम इलाकों में बाढ़ का पानी भर गया था. दिल्ली में बाढ़ को लेकर सरकार तैयार रिपोर्ट के अनुसार अगस्त और सितंबर महीने में बाढ़ आने की प्रवृत्ति रहती है लेकिन इस बार जुलाई में ही बाढ़ आई है.

Last Updated : Jul 13, 2023, 10:03 PM IST
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