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Bhaum Pradosh Vrat 2023: भाद्रपद का पहला प्रदोष व्रत कब ? जानें तिथि, महत्व और शुभ मुहूर्त

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 10, 2023, 3:12 PM IST

भाद्रपद का पहला प्रदोष व्रत मंगलवार, 12 सितंबर 2023 को है. इस व्रत को रखने से साधक के बिगड़े काम बनते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

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आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा

नई दिल्ली/गाजियाबाद: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. मंगलवार, 12 सितंबर 2023 को प्रदोष व्रत है. मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. यह भाद्रपद महीने का पहला प्रदोष व्रत है. मान्यता है कि श्रद्धा भाव से भौम प्रदोष व्रत रखने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं. सभी प्रकार के दुखों और संकटों से मुक्ति मिलती है. इस व्रत को रखने से घर में आर्थिक संपन्नता और स्थिरता का स्थाई वास होता है. कार्यों में आ रही बाधाएं और अड़चने दूर होती हैं.

आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा के मुताबिक आगामी भौम प्रदोष व्रत काफी महत्वपूर्ण है. भौम प्रदोष व्रत भगवान शिव को अति प्रिय है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण की छठी भी है. इस दिन दो विशेष योग बन रहे हैं. शिवयोग और आनंद योग. शिवयोग में भगवान शिव की पूजा काफी फलदाई होती है. ऐसे में इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है. भगवान शिव को आशुतोष बताया गया है. आशुतोष का अर्थ है कि जल्दी प्रसन्न होने वाले. इस व्रत को रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है साथ ही घर से रोग दूर होते हैं.

० भौम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

भौम प्रदोष तिथि आरंभ: 11 सितंबर, रात 11:52 बजे से शुरू.

भौम प्रदोष तिथि समाप्त: 13 अगस्त, प्रातः 02:21 बजे समाप्त.

प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त: 12 सितंबर की शाम 06:30 बजे से आरंभ होकर रात 08:49 बजे तक.

० जरूर करें दान

हिंदू धर्म में दान का विशेष महत्व है. प्रदोष व्रत के दिन अवश्य दान करें. घर के आसपास आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को अन्न दान करें. चावल, चीनी, उड़द की दाल आदि दान करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है. व्यापार में आ रही कठिनाइयां दूर होती हैं और कोरोबार बढ़ता है.

० पूजा विधि

प्रदोष व्रत के दिन सूर्य उदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ सुथरे कपड़े पहनें. भौम प्रदोष व्रत का संकल्प लें. घर के मंदिर को साफ करें और भगवान शिव और मां पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें. पूजा करें व पंचमेवा मिष्ठान आदि का भोग लगाएं. प्रदोष व्रत के दौरान शाम की पूजा अवश्य करें. इस दिन पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.

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