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दिल्ली के कई इलाकों में भूकंप के झटके, जानें क्यों आते हैं Earthquake

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Published : Jun 20, 2021, 12:40 PM IST

Updated : Jun 20, 2021, 1:04 PM IST

Earthquake in Delhi Punjabi Bagh
दिल्ली के पंजाबी बाग में भूकंप

12:38 June 20

राजधानी दिल्ली के कई अलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 2.1 मापी गई. वहीं इस वजह से जान-माल की हानि की सूचना नहीं है.

नई दिल्लीः रविवार की दोपहर राजधानी दिल्ली में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए. रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 2.1 मापी गई है. खबर लिखे जाने तक भूकंप के कारण किसी प्रकार के जानमाल के कोई नुकसान की खबर नहीं है.

20 दिनों में लगा दूसरा झटका 

भूकंप के झटकों के बाद लोग अपने-अपने घरों से बाहर आ गए. पिछले 20 दिनों के दौरान राजधानी दिल्ली में भूकंप आने का यह दूसरा मामला है. इससे पहले 31 मई को दिल्ली के रोहिणी इलाके में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 2.4 मापी गई थी. 

फिलहाल अभी तक भूकंप से किसी प्रकार के जानमाल के कोई नुकसान की खबर नहीं है क्योंकि भूकंप की तीव्रता काफी कम थी. 

जानिए क्यों आते हैं भूकंप और दिल्ली को क्या है खतरा...

खतरनाक जोन में आती है दिल्ली

दरअसल राजधानी दिल्ली पहले ही खतरे के हिसाब से दूसरे सबसे खतरनाक जोन 4 (सीवियर इंटेंसिटी जोन) में आता है. दिल्ली के पूर्वी इलाके में कई सरकारी और निजी एजेंसियां खतरे की आशंकाएं जता चुकी हैं. ऐसे में भूकंप की संभावनाओं को दरकिनार कर बिना किसी जांच और भूकंपरोधी तकनीक के हो रहा विकास भूकंप की आशंकाओ को और बल दे देता है.

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यमुना की रेतीली जमीन सुरक्षित नहीं

जानकारों का कहना है कि दिल्ली जोन 4 में आती है जो पहले ही भूकंप के लिए खतरनाक है. ऐसे में यमुना की रेतीली जमीन पर बसे हुए इलाके हाई राइज बिल्डिंग्स के लिए बिल्कुल सुरक्षित नहीं है लेकिन यहां धड़ल्ले से इनका निर्माण हो रहा है.

जॉन विभाजन के नाम पर पहले ही दिल्ली मैं काम कर रही एजेंसीयां सवालों के घेरे में रहती है. अगर दिल्ली में एक बड़ी तीव्रता का भूकंप आ जाता है तो तबाही किस हद तक हो सकती है अंदाजा ही लगाया जा सकता है.

आने वाली पीढ़ियों पर मंडरा रहा खतरा..!

कुछ साल पहले आई एक रिपोर्ट में भारत के मशहूर डॉ. हर्ष गुप्ता ने भारत के 344 शहरों और नगरों को भूकंप के लिहाज से हाई रिस्क जोन 5 में बताया था. हिमालय से लेकर आर्कटिक तक फैली इंडियन प्लेट में अगर टकराव होता है तो जाहिर है कि दिल्ली समेत भारत के कई अन्य राज्य अधिक तीव्रता वाले भूकंप से प्रभावित हो सकते हैं.

ऐसे में लाखों लोगों की तो जान जाएगी ही साथ ही आने वाली पीढ़ियों को इसको कितना नुकसान होगा, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है.

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भूकंप आने की क्या होती है वजह...

भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं. जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है. बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं. जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं. नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है. इसके अलावा उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग भी भूकंप की वजहें होती हैं.

जानें केंद्र और तीव्रता का मतलब..?

भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है. अगर रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है, तो 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है. जैसे-जैसे दूरी बढ़ती जाती है कंपन भी कम होते जाते हैं.

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भूकंप आने पर ऐसे करें बचाव

अगर भूकंप के वक्त आप घर में हो तो फर्श पर बैठ जाएं. घर में किसी मजबूत टेबल या फर्नीचर के नीचे बैठकर हाथ से सिर और चेहरे को ढकें. झटके आने तक घर में रहें और कंपन रुकने के बाद ही बाहर निकलें. अगर रात में भूकंप आया है और आप बिस्तर पर लेटे हैं हैं तो लेटे रहें, तकिए से सिर ढक लें.

अगर आप भूकंप के दौरान मलबे के नीचे दब जाएं तो किसी रुमाल या कपड़े से मुंह को ढंक लें. अगर आपके पास कुछ ना हो तो जोर-जोर से चिल्लाते रहें ताकि आवाज सुनकर लोग मदद के लिए आ जाए.

भूकंप आने पर ये काम न करें

विशेषज्ञों के अनुसार भूकंप के वक्त अगर आप घर से बाहर हो तो ऊंची इमारतों और बिजली के खंभों से दूर रहें. अगर गाड़ी चला रहे हो तो उसे रोक लें और गाड़ी से बाहर ना निकलें. किसी पुल या फ्लाइओवर पर गाड़ी खड़ी ना करें. अगर आप मलबे में दब जाएं तो माचिस ना जलाएं.

कांच, खिड़कियों, दरवाजों और दीवारों से दूर रहें. लिफ्ट के इस्तेमाल से बचें.

Last Updated : Jun 20, 2021, 1:04 PM IST
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