नई दिल्ली: दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार देश की पहली ऐसी सरकार है जो अपने किए गए कार्यों की जानकारी और प्रशंसा स्वयं ही आउटकम बजट के तहत करती है. केजरीवाल सरकार बजट को प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपये बढ़ाकर तो पेश करती है परंतु दिल्ली की हाल बदहाल बना हुआ है. क्या केजरीवाल भ्रष्टाचार को अंजाम देने के लिए बजट में करोड़ों रुपये की बढ़ौत्तरी करते हैं और दूसरे राज्यों में चुनाव के खर्चे की भरपाई दिल्ली के करदाताओं के पैसे से करते हैं.
उन्होंने कहा कि 2021-22 का बजट 69 हजार करोड़, 22-23 का बजट 75 हजार आठ सौ करोड़ और इस वर्ष का बजट लगभग 80 हजार करोड़ का होने की उम्मीद है. अनिल कुमार ने कहा कि वर्ष 2022-23 का रोजगार बजट दिल्ली सरकार ने पेश किया था, जिसमें 20 लाख रोजगार सृजित करने का लक्ष्य था जिस पर वर्तमान वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने आउटकम बजट में कोई जिक्र नही किया है. केजरीवाल सरकार द्वारा रोजगार देने का लक्ष्य निर्धारित करने के बावजूद दिल्ली में बेरोजगारी विश्व में नंबर वन पर है. प्रतिवर्ष लाखों युवा स्कूल पूरा करके रोजगार की तलाश करते हैं परंतु पिछले 9 वर्षों में केजरीवाल सरकार ने घोषणाओं के अलावा रोजगार देने की कोई योजना नहीं बनाई है.
अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली सरकार आउटकम बजट में योजनाओं को इंडिकेटर में प्रदर्शित करती है, आउटपुट और आउटकम इंडिकेटर. दिल्ली सरकार खुद मानती है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में 124 योजनाओं में से सिर्फ 54 प्रतिशत ही ट्रैक पर हैं. सरकारी अस्पतालों की स्वास्थ्य व्यवस्था का जिक्र न करके मोहल्ला क्लीनिकों में किए जा रहे इलाज का ब्यौरा बताना उनकी नाकामी को साबित करता है. कहा कि दिल्ली में सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर लगातार गिर रहा है. अत्यंत दुखद है कि दिल्ली स्किल एंड एंटरप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी में अधिक फीस के कारण 25 सौ सीटें खाली पड़ी हैं.
चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि पर्यावरण और ग्रीन क्षेत्र बढ़ाने के लगातार दावों के बावजूद दिल्ली सरकार राजधानी में बढ़ते खतरनाक प्रदूषण पर नियंत्रण रखने में विफल साबित रही है, जिसका खुलासा आउटकम बजट में वित्त मंत्री ने यह बताकर किया है कि पर्यावरण और फोरेस्ट के क्षेत्र की 43 प्रतिशत योजनाएं ही ट्रैक पर हैं. केजरीवाल सरकार की निष्क्रियता का ही परिणाम है कि राजधानी दिल्ली विश्व में सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में चौथे स्थान पर है. उन्होंने कहा कि पिछले 9 वर्षों में केजरीवाल सरकार प्रदूषण नियंत्रण का कोई सार्थक समाधान नही निकाल पाई है क्योंकि केजरीवाल अपने कैबिनेट सहित दिल्ली में भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने भ्रष्टाचार के चलते किसी भी क्षेत्र में सौ प्रतिशत काम नही किए हैं.