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Delhi Water Crisis: 'पानी के लिए पड़ोसी राज्य नहीं कर रहे सहयोग', सौरभ भारद्वाज ने LG सक्सेना को लिखी चिट्ठी

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Published : Jun 17, 2023, 7:51 AM IST

दिल्ली सरकार ने अटके हुए जल बोर्ड की परियोजनाओं को हरी झंडी दिखाने के लिए एलजी वीके सक्सेना को चिट्ठी लिखी है. जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पड़ोसी राज्यों की शिकायत भी की है. उन्होंने कहा कि पानी की जरूरतों को लेकर हमने हरियाणा और उत्तर प्रदेश से बात की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल रहा.

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नई दिल्ली: दिल्ली में बढ़ती गर्मी के साथ जल संकट भी बढ़ रहा है. ऐसे में दिल्ली के जलमंत्री सौरभ भारद्वाज ने एलजी विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखा है और गुहार लगाई है कि डीडीए में जो प्रोजेक्ट्स पानी से संबंधित फंसे हुए हैं, उन्हें हरी झंडी दिखाई जाए. इससे पानी की डिमांड को पूरा किया जा सके. सौरभ ने अपने पत्र में कहा है कि दिल्ली के प्रत्येक नागरिक को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए केजरीवाल की सरकार निरंतर प्रयास कर रही है. दिल्ली जल बोर्ड इस दिशा में काम कर रहा है.

मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली में लगभग 300 एमजीडी पीनी की कमी है और डीडीए की भूमि नीति के कारण यह अंतर और बढ़ेगा. दिल्ली यमुना और गंगा के माध्यम से पीने के पानी की उपलब्धता के लिए पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है. हम दिल्ली के लोगों की पानी की जरूरतों के लिए लगातार हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों से संपर्क कर रहे हैं, लेकिन कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला है. हमने उत्तर प्रदेश सरकार को भी प्रस्ताव दिया था कि हम उन्हें कच्चे पेयजल के बदले ट्रीटेड एफ्लुएंट दे सकते हैं. चूंकि उत्तर प्रदेश अपने पानी का उपयोग कृषि जरूरतों के लिए कर रहा था. हालांकि प्रारंभिक चर्चा के बाद भी इस प्रस्ताव को यूपी सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किया गया था. केंद्र सरकार से हमें कोई सहयोग नहीं मिला है.

दिल्ली सरकार द्वारा कई पहल की गई
सौरभ ने कहा कि दिल्ली में पानी की कमी को दूर करने के लिए दिल्ली सरकार ने कई पहल की है. दिल्ली सरकार ने अब तक 35 से अधिक जलाशयों और 6 झीलों का कायाकल्प किया है. डीडीए के स्वामित्व वाली कई झीलों पर भी अनुमति लेने के बाद काम चल रहा है. मैं भलस्वा झील के मामले को लेकर कहना चाहूंगा, जहां डीजेबी मई, 2019 से कायाकल्प पर काम कर रहा है और परियोजना अब अग्रिम चरण में है. झील के पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है और अब इसके नतीजे खेतों में दिखने लगे हैं.

उन्होंने कहा कि चौंकाने वाली बात यह है कि इस स्तर पर डीडीए ने डीजेबी को दी गई अपनी सहमति वापस ले ली है. इससे न केवल झील के जीर्णोद्धार के कार्य में बाधा आएगी बल्कि झीलों के आसपास नलकूप लगाकर पेयजल संवर्द्धन के कार्य में भी बाधा आएगी. डीजेबी ने भलस्वा झील के चारों ओर 150 नलकूप लगाने का प्रस्ताव दिया है, जिससे 15-20 एमजीडी पीने के पानी की वृद्धि होने की उम्मीद है. डीजेबी को डीडीए से ट्यूबवेल लगाने की अनुमति लेने में इसी तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. ये नलकूप पेयजल आपूर्ति बढ़ाने के लिए बनाई गई योजना का अभिन्न अंग हैं.

परियोजनाओं को समय पर पूरा किया जा सके
सौरभ ने कहा कि मैं आपको इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि आप डीडीए के अध्यक्ष भी हैं. कृपया डीडीए के अधिकारियों को नलकूपों/जल निकायों/झीलों से संबंधित आवश्यक अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्रदान करने का निर्देश दें ताकि जल संवर्धन परियोजनाओं को समय पर पूरा किया जा सके और पानी की कमी को कम किया जा सके. डीडीए में कई प्रोजेक्ट अटके हैं उन्हें जल्द से जल्द क्लीयरेंस दें.

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