नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट आज दिल्ली के निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए आईसीयू बेडों के आरक्षण के मामले पर सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा था कि कि उसने निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित आईसीयू बेडों की संख्या 40 फीसदी से भी से भी घटाकर 25 फीसदी करने का फैसला लिया है. इस मामले में जस्टिस नवीन चावला सुनवाई करेंगे.
आईसीयू बेड में आरक्षण घटाकर 25 फीसदी किया गया
पिछले 19 जनवरी को सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा था कि निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित आईसीयू बेडों की संख्या 40 फीसदी से भी से भी घटाकर 25 फीसदी करने का फैसला लिया गया है. तब याचिकाकर्ता ने निजी अस्पतालों की ओर से इस पर जवाब देने के लिए समय की मांग की. पिछले 12 जनवरी को सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा था कि आगामी त्योहोरों और कोरोना के नए स्ट्रेन को देखते हुए हम कह सकते हैं कि अभी भी खतरा बरकरार है.
कोरोना के नाम पर हर चीज का राष्ट्रीयकरण
पहले की सुनवाई के दौरान अस्पतालों की ओर से पेश वकील मनिंदर सिंह ने दिल्ली सरकार से कहा था कि आप कभी भी जहांगीरी फरमान जारी कर देते हैं. उन्होंने कहा था कि कोर्ट इस मामले में दो बार सुनवाई स्थगित की है. दिल्ली सरकार हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर सुनवाई टालना चाहती है.
मनिंदर सिंह ने दिल्ली सरकार से पूछा था कि आप खुद का इंफ्रास्ट्रक्चर क्यों नहीं मजबूत कर रहे हैं. आप कोरोना के नाम पर हर चीज का राष्ट्रीयकरण करना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि इस पर जल्द फैसला हो, क्या ये दलील सही है कि मरीज निजी अस्पताल को प्राथमिकता देते हैं इसलिए वे राष्ट्रीयकरण जारी रखेंगे. मरीज सरकारी अस्पताल को प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं. गैर-कोरोना मरीजों के लिए कोई बेड नहीं मिल रहा है.
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कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए लगी थी रोक
सिंगल बेंच के इस फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में याचिका दायर की है. सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से फैसला करने को कहा था. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सिंगल बेंच के फैसले पर रोक लगा दी थी.