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LG को CM केजरीवाल का जवाब, चुनी हुई सरकार के कामकाज में दखल पर करें सार्वजनिक चर्चा

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Published : Jan 9, 2023, 8:46 PM IST

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एमसीडी विवाद को लेकर सोमवार को एलजी ( lg vinai kumar saxena) को कड़े शब्दों में एक पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र के जरिए पूछा है कि क्या आप चुनी हुई सरकार को दरकिनार कर अब सीधे दिल्ली सरकार चलाएंगे ? सीएम ने कहा कि आपके कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि डीएमसी एक्ट में एलजी/प्रशासक हैं.

नई दिल्ली: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल से दिल्ली की चुनी हुई सरकार के कामकाज में लगातार दखल देने और मंत्रिपरिषद को दरकिनार कर फैसले लेने पर सार्वजनिक बहस की अपील की है. एलजी (lg vinai kumar saxena) की ओर से पत्र भेजकर विभिन्न मुद्दों पर निजी चर्चा के लिए आमंत्रित किए जाने के बाद सीएम अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) ने अपनी प्रतिक्रिया भेजी है. उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि दिल्ली की जनता की चुनी हुई सरकार को दरकिनार करने पर आप अपना पक्ष सार्वजनिक करें. अधिकारियों से सीधे अधिसूचना जारी कराकर 10 एल्डरमैन, पीठासीन अधिकारी और हज कमेटी की नियुक्ति करने पर जनता की ओर से कड़ी आलोचना हुई है.

केजरीवाल ने पत्र में लिखा है कि आपने सरकार को दरकिनार करने की सभी कार्रवाइयों को स्वीकार करते हुए कहा कि उन सभी एक्ट और प्रावधानों में लिखा था कि ‘प्रशासक/उपराज्यपाल’ नियुक्त करेंगे. बिजली, स्वास्थ्य, पानी, शिक्षा से संबंधित सभी कानून और अधिनियम सरकार को ‘प्रशासक/एलजी’ के रूप में परिभाषित करते हैं, तो क्या ये सभी विभाग सीधे आप ही चलाएंगे? फिर दिल्ली की चुनी हुई सरकार क्या करेगी? क्या यह निर्वाचित सरकार से संबंधित स्थानांतरित विषयों पर सुप्रीम कोर्ट के सभी निर्णयों के विपरीत नहीं होगा? यह सवाल दिल्ली और पूरे देश के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. इसलिए निजी बातचीत से बेहतर है कि सार्वजनिक चर्चा हो.

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अरविंद केजरीवाल का उपराज्यपाल को जवाब

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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एलजी ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए एक पत्र भेजा है. अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर एलजी की तरफ मिले पत्र की जानकारी साझा करते हुए कहा है कि विभिन्न मुद्दों पर निजी चर्चा के लिए एलजी ने एक पत्र भेज कर मुझे आमंत्रित किया है. मैं निश्चित रूप से जल्द ही उनकी सुविधानुसार समय लेकर उनसे मिलूंगा.

सीएम ने एलजी को भेजे पत्र में लिखा है कि आपके पत्र के लिए धन्यवाद. अपने पत्र की शुरुआत में आपने व्यंग्यात्मक रूप से उल्लेख किया है कि मेरे चुनाव अभियानों के बाद आपने शहर में शासन को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है. आम आदमी पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी है और इसके राष्ट्रीय संयोजक के रूप में मुझे देश के विभिन्न हिस्सों में चुनाव प्रचार में भाग लेना है. प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और भाजपा के कई मुख्यमंत्री जैसे योगी आदित्यनाथ जी, शिवराज सिंह जी, पुष्कर धामी जी आदि भी उस समय गुजरात और दिल्ली में अपनी पार्टी के लिए प्रचार कर रहे थे.

पत्र का सार पढ़िएः सीएम ने पत्र में कहा कि चर्चा करने के लिए मुझे आमंत्रित करने के लिए आपका धन्यवाद. मैं अवश्य मिलने आऊंगा. मैं आपके कार्यालय से संपर्क आपकी सुविधा के अनुसार एक समय तय करूंगा. सीएम ने पत्र में कहा है कि हालांकि, पिछले कुछ दिनों में एक महत्वपूर्ण चर्चा शुरू हुई है, जिसका भारतीय लोकतंत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव है. मैं आपसे आग्रह करूंगा कि कृपया उन मुद्दों पर अपना स्टैंड सार्वजनिक करें. जब आपने चुनी हुई सरकार को दरकिनार कर 10 एल्डरमैन, पीठासीन अधिकारी और हज कमेटी को एकतरफा तरीके से नियुक्त किया और अधिकारियों से सीधे आवश्यक अधिसूचनाएं जारी करवाईं, तो जनता की ओर से कड़ी आलोचना हुई. आपके कार्यालय द्वारा 7 जनवरी को एक बयान जारी किया गया था, जिसमें आपने सरकार को दरकिनार करते हुए एकतरफा उन सभी कार्रवाइयों को स्वीकार किया था.

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अरविंद केजरीवाल का उपराज्यपाल को जवाब

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उन्होंने आगे लिखा, हालांकि, आपने अपने कार्यों को यह कहते हुए सही ठहराया कि उन सभी अधिनियमों और प्रावधानों में यह लिखा था कि ‘प्रशासक/उपराज्यपाल नियुक्त करेंगे.’ या अधिनियम ने सरकार को ‘प्रशासक/उपराज्यपाल’ के रूप में परिभाषित किया है. इसलिए उन अधिनियमों ने आपको ईओ नॉमिनी व्यक्ति के रूप में कार्य करने की शक्तियां प्रदान की हैं. महोदय, उसी तारीख को मेरे पत्र में जो इस बहस को आगे बढ़ाने के लिए सार्वजनिक किया गया था, मैंने आपसे अनुरोध किया था कि कृपया अपना पक्ष सार्वजनिक करें कि क्या यह आपकी स्थिति थी कि अब से उन सभी विषयों पर जहां कानून ‘प्रशासक/उपराज्यपाल’ शब्दों का उपयोग करता है, वहां निर्वाचित सरकार को दरकिनार या अनदेखा किया जाएगा और उपराज्यपाल सीधे अधिकारियों से डील करेंगे और सीधे उन विभागों को चलाएंगे? उदाहरण के लिए, बिजली, स्वास्थ्य, पानी, शिक्षा आदि से संबंधित सभी कानून और अधिनियम है और ये सभी सरकार को ‘प्रशासक/उपराज्यपाल’ के रूप में परिभाषित करते हैं. तो क्या इसका मतलब यह है कि अब से बिजली विभाग, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, जल विभाग आदि ये सब सीधे आप ही चलाएंगे? तो फिर चुनी हुई सरकार क्या करेगी? क्या यह सर्वाेच्च न्यायालय के सभी निर्णयों के विपरीत नहीं होगा, जहां यह बार-बार कहा गया है कि एलजी सभी स्थानांतरित विषयों पर मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बंधे हैं ?

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सीएम ने पत्र के आखिर में कहा है कि हम इन सभी मुद्दों पर निजी तौर पर चाय पर चर्चा कर सकते थे, लेकिन यह सवाल दिल्ली और पूरे देश के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. इसलिए, इस मुद्दे पर एक सार्वजनिक चर्चा उपयोगी होगी. सर, हम आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

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