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दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर फैसला आज

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Published : Jun 18, 2022, 7:56 AM IST

दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट आज मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर फैसला सुनाएगा.

Satyendra Jain
Satyendra Jain

नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट आज मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर फैसला सुनाएगा. स्पेशल जज गीतांजलि गोयल फैसला सुनाएंगी.

14 जून को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान सत्येंद्र जैन की ओर वकील एन हरिहरन ने कहा था कि सत्येंद्र जैन के खिलाफ जो भी साक्ष्य हैं वे दस्तावेजी हैं और उसके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा था कि सत्येंद्र जैन दिल्ली सरकार के मंत्री हैं और उनके भागने की कोई संभावना नहीं है. किसी भी गवाह ने कभी भी सत्येंद्र जैन से अपने पर किसी भी खतरे की आशंका नहीं जताई है. हरिहरन ने कहा था कि सत्येंद्र जैन जांच में सहयोग कर रहे हैं. वे ईडी के बुलावे पर सात बार पेश हो चुके हैं इसलिए उन्हें जमानत दी जाए.

ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने कहा था कि ईडी लाला शेर सिंह ट्रस्ट से पैसों के लेनदेन की जांच कर रही है. दो या तीन लोगों ने कोलकाता में तीन-चार एकामोडेशन एंट्री की है. उन्होंने अपने अकाउंटेंट जेपी मोहता के दफ्तर में बैठक कर कहा कि हवाला के जरिये रकम जाएगी. 17 करोड़ रुपये की एकामोडेशन एंट्री का पता चला है. अभी जांच में और पता चलेगा. कोई भी मुफ्त में एकामोडेशन एंट्री नहीं करता है. कमीशन ली जाती है. इसलिए अगर जमानत दी गई तो साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना है. एसवी राजू ने कहा था कि जब ईडी सत्येंद्र जैन से पूछताछ कर रही थी तो उन्होंने कहा था कि उन्हें कोरोना का संक्रमण हुआ था जिसकी वजह से उनकी याद्दाश्त चली गई है. राजू ने कहा था कि अगर जैन को जमानत दी गई तो साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना है.

13 जून को कोर्ट ने सत्येन्द्र जैन को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था. सत्येंद्र जैन को 30 मई को गिरफ्तार किया गया था. जैन की पेशी के दौरान ईडी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि कैश दिल्ली में दिया गया. ये कैश कोलकाता में हवाला के जरिये एंट्री आपरेटर्स तक पहुंची. ये एंट्री आपरेटर्स कंपनियों में शेयर खरीद कर निवेश करते थे. ये फर्जी कंपनियां थी. इन फर्जी कंपनियों में निवेश कर काला धन को सफेद बनाया जा रहा था. पैसों से जमीन खरीदने का काम किया गया. प्रयास नामक एनजीओ के जरिये कृषि भूमि खरीदी गई.

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