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दिल्ली में कोरोना से हुई मौतों के लिए केजरीवाल जिम्मेदार: भाजपा

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Published : May 21, 2021, 4:00 PM IST

भारतीय जनता पार्टी ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है. कहा कि समय पर इलाज नहीं मिलने से लोगों को जान गंवानी पड़ी. इसी को लेकर भाजपा नेताओं ने केजरीवाल सरकार से कुछ सवाल पूछे हैं.

bjp accuses delhi government of negligence during corona second wave
भाजपा की प्रेस कॉन्फ्रेंस

नई दिल्ली: कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली सरकार की कथित लापरवाही को लेकर भारतीय जनता पार्टी लगातार खुलासे करने का दावा कर रही है. इसी क्रम में शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिल्ली प्रदेश भाजपा के नेताओं ने यहां सांसद गौतम गंभीर और हंसराज हंस के साथ मिलकर दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया. साथ ही कहा कि दिल्ली में महामारी के दौरान कम टेस्ट हुए, देरी से रिपोर्ट आई और इसी के चलते लोगों को सही समय पर इलाज नहीं मिल पाया. अंततः लोगों को जान गंवानी पड़ी.

दिल्ली प्रदेश भाजपा के नेताओं ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया

सरकार ने कोरोना टेस्टिंग की संख्या कम कर दी

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि जब देश में कोरोना की दूसरी लहर ने रफ्तार पकड़ी तब अन्य राज्य कोरोना टेस्टिंग पर विशेष जोर दे रहे थे. ज्यादा से ज्यादा लोगों की टेस्टिंग की जा रही थी ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके. लेकिन दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार आदत से मजबूर उल्टे दिशा में चल रही थी. जब दिल्ली में कोरोना चरम पर था, तब केजरीवाल सरकार ने कोरोना टेस्टिंग की संख्या ही कम कर दी.

दिल्ली सरकार टेस्टिंग को कम कर रही थी

आंकड़ें बताते हैं कि 10 अप्रैल में जहां दिल्ली में 1.14 लाख टेस्ट होने पर 10774 पॉजिटिव केस आए, 12 और 13 अप्रैल को क्रमशः 1.02 लाख टेस्ट में 13468 और 1.08 लाख कोरोना टेस्ट में 17283 पॉजिटिव केस सामने आए. वहीं अगले दिन से ही टेस्टिंग की संख्या में गिरावट आने लगी. जब टेस्टिंग बढ़ाए जाने की जरूरत है तब दिल्ली सरकार टेस्टिंग को कम कर रही थी. 15 अप्रैल को 98,957 और 20 अप्रैल को यह संख्या 78,767 पर आ गई. 25 अप्रैल को यह संख्या घटकर 57,690 हो गई.


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उन्होंने आगे कहा कम टेस्टिंग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने भी केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई थी. 30 अप्रैल को दिल्ली हाई कोर्ट ने टेस्टिंग आंकड़ों का जिक्र करते हुए आम आदमी पार्टी की सरकार से सवाल किया कि दिल्ली में कोविड-19 की टेस्टिंग में इतनी कमी क्यों आ गई है. यह कोई इत्तेफाक नहीं हो सकता है.

अपनी झूठी छवि को बरकरार रखने और वाहवाही लूटने के लिए मुख्यमंत्री केजरीवाल ने टेस्टिंग की संख्या को कम करवाया. जिसके कारण लोग संक्रमित होने पर भी टेस्ट नहीं करवा पाए और अपने घर और मोहल्ले में संक्रमण बढ़ने का कारण बने. जब तक उन्होंने टेस्ट करवाया, तब तक वह गंभीर हालत में पहुंच चुके थे और कई लोगों ने इस आपाधापी में अपनी जान गंवा दी.

-आदेश गुप्ता, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष

टेस्टिंग रिपोर्ट आने में देरी भी मृत्यु का कारण बनी


गुप्ता ने कहा कि चरमराती स्वास्थ्य व्यवस्था और कम टेस्टिंग के बीच टेस्टिंग रिपोर्ट आने में देरी भी कई लोगों की मृत्यु का कारण बनी. कोरोना संक्रमित मरीजों की रिपोर्ट 4-7 दिन में आ रही थी. तब तक मरीज की हालत गंभीर स्थिति में पहुंच जाती थी और अस्पताल में उन्हें आईसीयू की जरूरत पड़ती थी. लेकिन उस समय व्यवस्था न होने के कारण उन मरीजों की मृत्यु हो गई. अगर यह रिपोर्ट समय पर मिलती तो समय रहते उन मरीजों को इलाज मिल पाता और उनकी जान बच सकती थी.

केजरीवाल सरकार वाहवाही लूटने में लगी रही


सांसद गौतम गंभीर ने कहा कि ने कहा कि पिछले साल दिल्ली में कोरोना महामारी का भयानक रूप सभी ने देखा. इस साल भी कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप से दिल्लीवासी परेशान हैं. कोरोना की पहली लहर पर काबू पाने के बाद जहां अधिकांश राज्य दूसरी लहर के अंदेशा लगाकर स्वास्थ्य व्यव्स्थाओं को मजबूत में लग गई. वहीं केजरीवाल सरकार अखबारों और टीवी चैनलों में वाहवाही लूटने के चक्कर में लगी रही.

दिल्लीवासियों के हितैषी बनने का ढोंग करते हैं मुख्यमंत्री

केजरीवाल सरकार के पास स्वास्थ्य की आधारभूत संरचनाओं में सुधार करने का पर्याप्त समय था लेकिन कुछ भी नहीं किया गया. इस अंतराल में अगर मुख्यमंत्री की मंशा दिल्लीवासियों के हित में काम करने की होती तो वह टेस्टिंग लैब की संख्या बढ़ाने की दिशा में काम करते. टेस्टिंग के लिए लोगों को दर-दर भटकना नहीं पड़ता और न ही उन्हें भीड़ वाले टेस्टिंग लैब पर लंबी लाइन में लगना पड़ता. दिल्लीवासियों के हितैषी बनने का ढोंग करते-करते मुख्यमंत्री केजरीवाल ने उन्हें ही मौत की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया.


लोगों को आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए 2400 रुपए, एंटीजन टेस्ट के लिए 1300 रुपए देने पड़े, इसके अलावा जो टेस्ट 1700-3000 रुपए में होते थे उसके लिए लैब वालों ने दोगुने-तिगुने पैसे वसूले. निजी लैब की मनमानी पर लगाम लगाने की बजाए केजरीवाल सरकार उन्हें संरक्षण दे रही थी. केजरीवाल सरकार जनता के लिए नहीं बल्कि जनता के खिलाफ ही क्यों काम करती है, इससे कितना फायदा हुआ इसका हिसाब और जबाव केजरीवाल सरकार ही दे सकती है.

-गौतम गंभीर, सांसद

प्रेस कॉन्फ्रेंस में समय व्यतीत करना जरूरी समझा

हंसराज हंस ने भी यहां केजरीवाल सरकार पर तीखा प्रहार किया. उन्होंने कहा कि पिछले साल मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बड़े जोर-शोर से कोरोना महामारी से लड़ने के लिए फाइव टी योजना के तहत काम करने की घोषणा की. जिसके तहत कंटेनमेंट जोन में टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट, टीम-वर्क और ट्रैकिंग- मॉनीटरिंग की योजना पर काम किया जाएगा और दक्षिण कोरिया की तरह ही कोरोना पर काबू पाया जाएगा.

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इस साल भी कोरोना की दूसरी लहर के कारण उत्पन्न परिस्थितियों की गंभीरता का आंकलन करते हुए जहां केजरीवाल सरकार को कंटेनमेंट जोन में इन फाइव टी की रणनीति पर विशेषकर काम करना चाहिए था, वहीं मुख्यमंत्री केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपना समय व्यतीत करना ज्यादा जरूरी समझा.

कागजों पर ही दिखते हैं कंटेनमेंट जोन

टेस्टिंग कम होने से कंटेनमेंट जोन में टेस्टिंग बहुत प्रभावित हुई जिसके कारण स्थिति चुनौतीपूर्ण बन गई थी. कोरोना की रफ्तार को काबू में करने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों की टेस्टिंग ही सबसे कारगर उपाय था, लेकिन इसमें भी लापरवाही की गई. वर्तमान में केजरीवाल सरकार ने 56,732 कंटेनमेंट जोन बनाए हैं जो सिर्फ कागजों पर ही दिखते हैं, हकीकत में बने कंटेनमेंट जोनों में टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रैकिंग जैसी सुविधा नदारद है.

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भाजपा नेताओं ने पूछे पांच सवाल?

1. दिल्ली में कोरोना महामारी के चरम समय पर टेस्टिंग कम करने की वजह से हुई मौतों का जिम्मेदार कौन है?

2. टेस्टिंग रिपोर्ट में देरी के कारण समय पर इलाज न मिलने से हुई मौतों के दोषी क्या केजरीवाल सरकार नहीं? जबाव दें?

3. माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पूछे जाने पर भी मोहल्ला क्लिनिक में कोरोना के समय पर केजरीवाल सरकार ने वहां टेस्टिंग क्यों नहीं की?

4. कोरोना काल के एक साल से अधिक समय निकल जाने पर भी टेस्टिंग लैब्स की संख्या क्यों नहीं बढ़ाए गए, प्राइवेट लैब्स को मनमानी करने की छूट क्यों दी? टेस्टिंग सेंटर्स पर भीड़ करवा कर, उन सेंटर को कोरोना सुपर स्प्रेडर क्यों बनने दिया?

5. कागजों पर बने तथाकथित 56,732 कंटेनमेंट जोन (लगभग 200 कंटेनमेंट जोन प्रत्येक नगर निगम वार्ड में), सेवा बस्तियों, अनाधिकृत कॉलोनी और गांव-देहात में केजरीवाल सरकार ने घर-घर जाकर टेस्टिंग क्यों नहीं की?
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