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Farmers Protest: ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर किसानों का अनिश्चितकालीन महापड़ाव जारी, किसान नेताओं ने कही ये बात

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Published : May 5, 2023, 1:43 PM IST

ग्रेटर नोएडा में प्राधिकरण के खिलाफ किसानों का महापड़ाव फिलहाल जारी है. उनका कहना है कि किसानों की समस्याओं का निस्तारण होने तक, यह धरना प्रदर्शन जारी रहेगा. बता दें कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बाहर लगभग 50 गांवों के किसान धरना दे रहे हैं.

Protest of farmers continues on Greater Noida
Protest of farmers continues on Greater Noida

नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर किसान सभा के नेतृत्व में अनिश्चितकालीन महापड़ाव शुक्रवार को 11वें दिन भी रहा. किसान सभा के कार्यकर्ता अब 8 मई को काली पट्टी बांधकर जुलूस निकालेंगे. वहीं 15 मई उनकी योजना हजारों की संख्या में प्राधिकरण का घेराव करने की है. किसान अपनी मांगों को लेकर प्राधिकरण पर डटे हुए हैं. उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता, तब तक यह प्रदर्शन जारी रहेगा.

दरअसल ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बाहर लगभग 50 गांवों के किसान अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. इन किसानों का कहना है कि प्राधिकरण की तरफ से उनकी लीजबैक, आबादी नियमावली, बढ़ा हुआ मुआवजा और रोजगार सहित अन्य मांगों को प्राधिकरण ने पूरा नहीं किया है. इसको लेकर यहां के किसान धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हैं.

किसान सभा के संयोजक वीर सिंह नागर ने बताया कि, प्राधिकरण अधिकारियों से हुई वार्ता के क्रम में प्राधिकरण के स्तर पर कोई प्रगति नहीं दिखाई दे रही है. ठाकुर जयवीर सिंह की हाई पावर कमेटी ने सभी को 64 प्रतिशत मुआवजा और 10 प्रतिशत प्लॉट देने की सिफारिश की थी. 91वीं बोर्ड बैठक में प्राधिकरण ने 64 प्रतिशत मामले की सिफारिश मान ली, जबकि 104वीं बोर्ड बैठक में 10 प्रतिशत प्लॉट देने का प्रस्ताव पास कर अनुमोदन के लिए शासन को भेज दिया गया. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने जानबूझकर गुमराह करने की नियत से प्रस्ताव को शासन को प्रेषित किया था जबकि इस संबंध में शासन स्तर से पहले ही हाई पावर कमेटी की सिफारिशें मौजूद थी.

प्राधिकरण अभी भी किसानों के साथ वार्ता में समय का अनुमोदन प्राप्त करने की जिद किए हुए हैं, जबकि हाई पावर कमेटी की सिफारिशों के मद्देनजर शासन के अनुमोदन की कोई आवश्यकता नहीं है. जिस तरह 91वीं बोर्ड बैठक में 64 प्रतिशत मुआवजे के संबंध में सिफारिश अपना ली गई थी, उसी तरह 10 प्रतिशत प्लॉट देने के संबंध में हाई पावर कमेटी की सिफारिशों को अपनाकर बिना शासन के अनुमोदन के प्लॉट दिए जा सकते हैं. प्राधिकरण के अधिकारी, शासन का पूर्व अनुमोदन प्राप्त करने की बात कहकर किसानों को गुमराह कर रहे हैं.

इसी तरह प्राधिकरण की ओर से 533 आबादी प्रकरणों एवं 208 बादलपुर के प्रकरणों में शासन स्तर पर पैरवी नहीं की जा रही है, जिसके कारण कई वर्षों से उक्त प्रकरण लीज हेतु अटके पड़े हैं. शिफ्टिंग के संबंध में भी प्राधिकरण के अधिकारी किसानों को गुमराह कर रहे हैं. प्राधिकरण ने अपनी जरूरत के अनुसार किसानों की आबादी को विकसित क्षेत्र से कम विकसित क्षेत्र में शिफ्ट किया है. शिफ्टिंग के संबंध में आबादी नियमावली में पहले से प्रावधान मौजूद है, लेकिन प्राधिकरण किसानों को नुकसान पहुंचाने के मकसद से शिफ्टिंग के 211 प्रकरणों में शिफ्टिंग का रकबा (जमीन का नाप) आधा करने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया. पिछले 3 माह से किसानों से वार्ता में प्राधिकरण अधिकारियों ने इस प्रस्ताव को गलत माना, परंतु इसपर आज तक प्राधिकरण के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई.

किसान नेता पप्पू प्रधान ने कहा कि, किसान अबकी बार प्राधिकरण के बहकावे में नहीं आने वाले हैं. मुद्दों पर ठोस कार्रवाई के बिना महापड़ाव जारी रहेगा. किसान सभा के प्रवक्ता डॉ. रुपेश वर्मा ने कहा कि, सीधी खरीद के मामले में प्राधिकरण ने 2014 के बाद से गौतमबुद्ध नगर में सर्किल रेट नहीं बढ़ने दिए हैं, जबकि पहले गौतमबुद्ध नगर में हर 2-3 वर्ष के अंतराल में सर्किल रेट में वृद्धि की जाती थी. इसी तरह उत्तर प्रदेश के अन्य जनपदों में भी निरंतर वृद्धि होती रही है. केवल इतना ही नहीं, प्राधिकरण के क्षेत्र में ग्राम पंचायतों को इस मकसद से खत्म कर दिया गया कि प्राधिकरण क्षेत्र के गांव में कानून के अनुसार सर्किल रेट का 4 गुना मुआवजा नहीं देना पड़ेगा. साथ ही कानून के अनुसार प्राधिकरण सीधी खरीद से प्रभावित किसानों को 20 प्रतिशत आवासीय प्लॉट से वंचित कर रहा है.

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वहीं किसान नेता राजीव नागर ने बताया कि, हम पूरे दृढ़ संकल्प के साथ लगे हुए हैं. हजारों की संख्या में किसान प्राधिकरण के विरुद्ध 15 मई को आंदोलन करने पहुंचेंगे, जिसमें महिलाएं भी शामिल रहेंगी. किसानों का कहना है कि, जब तक प्राधिकरण किसानों की समस्याओं का निस्तारण नहीं करता, उनका यह धरना यानी महापड़ाव जारी रहेगा. इससे पहले भी कई बार किसानों ने प्राधिकरण के आश्वासन के बाद धरना प्रदर्शन समाप्त कर दिया था, लेकिन किसानों की मांगों को प्राधिकरण ने अभी तक पूरा नहीं किया.

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