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Delhi Crime: विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गैंग का भंडाफोड़, बीटेक छात्र सहित दो गिरफ्तार

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Published : Jul 14, 2023, 10:23 PM IST

दिल्ली पुलिस की साइबर टीम ने मलेशिया में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गैंग का भंडाफोड़ किया है. गिरफ्तार दो आरोपियों में से एक बीटेक का छात्र है.

चीटिंग करने वाले गैंग का भंडाफोड़
चीटिंग करने वाले गैंग का भंडाफोड़

चीटिंग करने वाले गैंग का भंडाफोड़

नई दिल्ली: शाहदरा जिले की साइबर पुलिस ने विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले रैकेट का भंडाफोड़ किया हैं. पुलिस ने गैंग के मास्टरमाइंड सहित दो लोगों को गिरफ्तार किया है. आरोपी की पहचान अलीगढ़ निवासी वैभग और बादल के तौर पर हुई है. आरोपी वैभव बीटेक द्वितीय वर्ष का छात्र है.

डीसीपी रोहित मीना ने बताया कि शिकायतकर्ता आदित्य गौतम ने बताय था कि उन्हें मलेशिया में नौकरी दिलाने को लेकर एक फोन आया था. इसके बाद स्काइप पर वीडियो साक्षात्कार के 2 दौर आयोजित किए गए और उसे मेल पर जॉब लेटर भी भेजा गया. इस दौरान अलग अलग फीस के नाम पर 37,787 रुपए की राशि उससे ली गई, लेकिन बाद में पता चला जॉब लेटर नकली है.

तकनीकी विश्लेषण, छापे और गिरफ्तारी: दिल्ली पुलिस ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए एक टीम का गठन किया. इसके बाद टीम ने घटना के बारे में जानकारी एकत्रित की, बैंक लेनदेन का विश्लेषण किया, कॉल डिटेल आदि की गहन जांच की. इसी दौरान 10 जुलाई को तकनीकी निगरानी के आधार पर वैभव को पकड़ा गया. उसके कब्जे से 4 मोबाइल फोन, 10 सिम कार्ड, एक लेनोवो लैपटॉप, 2 डेबिट कार्ड और 5 रजिस्टर बरामद किया गया था. आरोपी से पूछताछ के बाद एक अन्य आरोपी बादल कठेरिया को भी गिरफ्तार किया गया और दो सिम कार्ड के साथ एक मोबाइल फोन बरामद किया गया.

ऐसे देता था वारदात को अंजाम: पूछताछ के दौरान वैभव ने कहा कि वह लोगों को विदेश में नौकरी लगवाने का झांसा देकर ठगी करता है. ठगी के लिए नकली ईमेल आईडी के माध्यम से वह नौकरी की पेशकश के लिए ग्राहक को ई-मेल भेजता था. नौकरी के इच्छुक व्यक्ति का ऑडियो रूप में स्काइप पर साक्षात्कार लिया जाता था.

पहले राउंड के बाद विदेश मंत्रालय की पुष्टि के लिए लगभग 2,000 रुपए से 6,000 रुपए का भुगतान लिया जाता है और फिर स्काइप पर साक्षात्कार का दूसरा दौर लिया जाता है. आगे की प्रक्रिया के लिए लगभग 10,000 रुपए से 40,000 रुपए की मांग की जाती, फिर जो भी राशि का भुगतान करता, उसे ई-मेल पर कंपनी का नकली प्रस्ताव पत्र भेज दिया जाता है. उसके बाद उस क्लाइंट का फोन उठाना बंद कर दिया जाता था.

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