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गैस चैंबर बनी दिल्ली: सांस लेना हुआ मुश्किल, 500 के करीब पहुंचा AQI, बाहर निकलने से बचने की सलाह

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Published : Jan 10, 2023, 9:14 AM IST

Gas Chamber became Delhi
Gas Chamber became Delhi

दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है. मंगलवार को अधिकतर इलाकों में प्रदूषण का स्तर Dark Red Zone में रहा. वहीं गाजियाबाद और नोएडा में भी एक्यूआई रेड जोन में दर्ज किया गया है. (Air Quality Index in Delhi NCR)

नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण स्तर में एक बार फिर बढ़ोतरी देखने को मिली है. दिल्ली का कई इलाकों का प्रदूषण स्तर डार्क रेड जोन (Dark Red Zone) में दर्ज किया गया है. दिल्ली के कई इलाकों का एयर क्वालिटी इंडेक्स 500 के करीब दर्ज किया गया है. दिल्ली में सबसे प्रदूषित ITO दिल्ली है यहां का AQI 496 दर्ज हुआ है. गाजियाबाद और नोएडा का AIR QUALITY INDEX भी डार्क रेड जोन में दर्ज किया गया है.

दिल्ली के इलाकों का प्रदूषण स्तर-

दिल्ली के इलाकेवायु प्रदूषण स्तर
अलीपुर384
शादीपुर 442
डीटीयू दिल्लीNA
आईटीओ दिल्ली496
सिरिफ्फोर्ट 492
मंदिर मार्ग 466
आरके पुरम486
पंजाबी बाग460
लोधी रोड438
नॉर्थ कैंपस डीयू421
CRRI मथुरा रोड489
पूसा438
IGI एयरपोर्ट टर्मिनल455
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम475
नेहरू नगर489
द्वारका सेक्टर 8483
पटपड़गंज481
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज496
अशोक विहार434
सोनिया विहार 418
जहांगीरपुरी 442
रोहिणी445
विवेक विहार460
नजफगढ़ 383
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम483
नरेला 413
ओखला फेस टू496
बवाना 398
श्री औरबिंदो मार्ग 489
मुंडका421
आनंद विहार 487
IHBAS दिलशाद गार्डन339
चांदनी चौकNA

गाजियाबाद के इलाकों का प्रदूषण स्तर-

गाजियाबाद के इलाकेवायु प्रदूषण स्तर
वसुंधरा 454
इंदिरापुरम 398
संजय नगर337
लोनी 368

नोएडा के इलाकों का प्रदूषण स्तर-

नोएडा के इलाकेवायु प्रदूषण स्तर
सेक्टर 62460
सेक्टर 125429
सेक्टर 1449
सेक्टर 116452

Air quality Index की श्रेणी: एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.

(PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी: वरिष्ठ सर्जन डॉ. बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुंच जाते हैं.

Sinusitis और Bronchitis का खतरा: डॉ. त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में इकट्ठा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जबकि यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.

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