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Delhi NCR Air Pollution: जहरीली हवा के आगे बेबस हुई दिल्ली, खतरे के निशान पर NCR के शहर

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Published : Nov 5, 2022, 11:41 AM IST

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण स्तर बेहद ही खराब स्थिति में है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली का AQI 408 जो कि 'गंभीर' श्रेणी में है. वहीं गाजियाबाद का AQI 356, नोएडा का AQI 374, ग्रेटर नोएडा का AQI 336 है जो कि 'अत्यंत खराब' श्रेणी में है. इसके अलावा दिल्ली एनसीआर के कई इलाकों में AQI 'अत्यंत खराब' और 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच चुका है.

Delhi NCR Pollution
Delhi NCR Pollution

नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली एनसीआर (Delhi NCR pollution level rises) के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर रेड जोन (Red Zone 300-400 AQI) में और डार्क रेड जोन (Dark Red Zone 400-500 AQI) में दर्ज किया गया है. सुबह एनसीआर के कई इलाकों धुंध की चादर भी देखने को मिली है. प्रदूषण में हुई बढ़ोतरी के कारण लोगों को स्वास्थ संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. जिन इलाक़ों में प्रदूषण का स्तर 400 के पार है, वहां लोगों को आंखों में जलन महसूस करनी पड़ रही है.

दिल्ली एनसीआर के हालात मौजूदा समय में बेहद खराब नजर आ रहे हैं. दिल्ली के अलीपुर, शादीपुर, एनएसआईटी द्वारका, डीटीयू, सिरी फोर्ट, आरके पुरम, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, नेहरू नगर, पटपड़गंज, डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज, सोनिया विहार, जहांगीरपुरी, रोहिणी, विवेक विहार, अशोक विहार, नजफगढ़, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम, नरेला, ओखला फेस 2, वजीरपुर, भवाना, श्री औरोबिंदो मार्ग, पूसा और मुंडका इलाके का प्रदूषण स्तर डार्क रेड जोन में बना हुआ है. यानी कि यहां का प्रदूषण स्तर 400 के पार है. वहीं एनसीआर के अन्य तमाम इलाकों का प्रदूषण स्तर रेड जोन यानी कि 300 के पार है जो कि लोगों के लिए बेहद खतरनाक है.

Delhi NCR Air Pollution
दिल्ली में प्रदूषण का कहर
Delhi NCR Air Pollution
दिल्ली में प्रदूषण का कहर

एनसीआर के प्रमुख इलाकों का प्रदूषण स्तर-

एनसीआर के इलाकेप्रदूषण स्तर
लोनी, गाज़ियाबाद368
इंदिरापुरम, गाज़ियाबाद335
संजय नगर, गाजियाबाद347
वसुंधरा, गाजियाबाद372
सेक्टर 62, नोएडा397
सेक्टर 116, नोएडा372
सेक्टर 125, नोएडाNA
सेक्टर 1, नोएडा354

Air quality Index की श्रेणी: एयर क्वालिटी इंडेक्स जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.

(PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी: वरिष्ठ सर्जन डॉ. बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुंच जाते हैं.

Sinusitis और Bronchitis का खतरा: डॉ. त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में इकट्ठा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है, जबकि यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.

घर पर तैयार करें कॉटन मास्क: जो लोग अधिकतर समय खुले में बिताते हैं उन्हें प्रदूषण काफी नुकसान पहुंचाता है. ऐसे में प्रदूषण से बचने के लिए उपाय करना भी बेहद जरूरी है. खुले भी अधिकतर समय बिताने वाले लोग घर में कॉटन का 4 लेयर का मास्क तैयार कर सकते हैं. जिसे गीला करके वह अपने चेहरे पर लगा सकते हैं. जिससे कि पार्टिकुलेट मैटर सास के रास्ते शरीर में प्रवेश नहीं कर पाते हैं. गीला होने के चलते पार्टिकुलेट मैटर मास्क में चिपक जाते हैं. हालांकि मार्च को समय-समय पर धोने की आवश्यकता होती है.

प्रदूषण बढ़ने पर बरते ये सावधानियां बरतें: बाहर निकलने से परहेज करें, सुबह और शाम लोग टहलने जाते हैं. खासकर बुजुर्ग और बच्चे शाम के वक्त पार्कों में दिखाई देते हैं. प्रदूषण से सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्ग और बच्चों को होता है. जब प्रदूषण का स्तर सामान्य से काफी अधिक हो तो घर के बाहर जाने से बचें. खासकर वह लोग जिन की प्रतिरोधक क्षमता कम है. बच्चों और बुजुगों को भी बाहर जाने से परहेज करना चाहिए. एक्सरसाइज आदि भी घर के अंदर करें.

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