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Delhi NCR Pollution: फिर जहरीली हुई हवा, आईटीओ का एक्यूआई 400 के पार

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Published : Feb 20, 2023, 10:55 AM IST

Delhi NCR Pollution
Delhi NCR Pollution

एक बार फिर दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है. दिल्ली, गाजियाबाद और नोएडा का एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 के पार दर्ज किया गया है, जो बेहद 'खराब' श्रेणी में है.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली एनसीआर की हवा में एक बार फिर प्रदूषण का जहर घुलना शुरू हो गया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली, गाजियाबाद और नोएडा का एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी कि AQI 300 के पार दर्ज किया गया है जो कि रेड जोन में है. दिल्ली एनसीआर में सबसे प्रदूषित इलाका आईटीओ है. यहां का प्रदूषण स्तर 430 दर्ज किया गया है. प्रदूषण में बढ़ोतरी के बाद लोगों को कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर-

दिल्ली के इलाकेप्रदूषण स्तर
अलीपुर361
शादीपुर396
डीटीयू दिल्ली347
आईटीओ दिल्ली430
सिरिफ्फोर्ट 336
मंदिर मार्ग316
आरके पुरम352
पंजाबी बाघ 350
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम335
नेहरू नगर377
द्वारका सेक्टर 8337
पटपड़गंज 368
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज342
अशोक विहार343
सोनिया विहार 363
जहांगीरपुरी 388
रोहिणी369
विवेक विहार359
नजफगढ़282
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम350
नरेला381
ओखला फेज़ 2340
मुंडका345
बवाना 365
श्री औरबिंदो मार्ग317
आनंद विहार371
IHBAS दिलशाद गार्डन398

ग़ाज़ियाबाद में वायु प्रदूषण का स्तर-

ग़ाज़ियाबाद के इलाकेप्रदूषण स्तर
वसुंधरा329
इंदिरापुरम 227
संजय नगर 302
लोनी 359

नोएडा में वायु प्रदूषण का स्तर-

नोएडा के इलाकेप्रदूषण स्तर
सेक्टर 62340
सेक्टर 125354
सेक्टर 1 292
सेक्टर 116324

Air Quality Index (एयर क्वालिटी इंडेक्स) की श्रेणी: एक्यूआई जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक' मानते हैं, 101-200 को 'मध्यम' मानते हैं, 201-300 को 'खराब' मानते हैं, 301-400 को 'अत्यंत खराब' मानते हैं. 400-500 को 'गंभीर' मानते हैं और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों की मानें तो हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम PM के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो डायऑक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.

वहीं वायु प्रदूषण को लेकर वरिष्ठ सर्जन डॉ. बीपी त्यागी का करना है कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और पार्टिकुलेट मैटर (PM) 10 सहित कई प्रकार के गैस की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. PM 2.5 और PM 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है, जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखरी हिस्से तक पहुंच जाते हैं.

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