ETV Bharat / state

Vishwakarma Puja 2023: मानस और पद्म योग में मनाई जाएगी विश्वकर्मा पूजा, व्यवसाय को मिलेगी रफ्तार

author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 17, 2023, 6:07 AM IST

Updated : Sep 17, 2023, 6:37 AM IST

Etv Bharat
Etv Bharat

भगवान विश्वकर्मा सृष्टि के पहले वास्तुकार और इंजीनियर माने गए हैं. इस साल विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर 2023 को है. इस दिन विश्वकर्मा जयंती के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था. जानें विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा करने की विधि और आरती के बारे में.

भगवान विश्वकर्मा सृष्टि के पहले वास्तुकार

नई दिल्ली/गाजियाबाद: भगवान विश्वकर्मा अर्थात विश्वं करोति इति विश्वकर्मा. जिसने इस संसार को बनाया है उसी का नाम विश्वकर्मा है. विश्वकर्मा ब्रह्मा जी का पर्याय शब्द है. सृष्टि के आरंभ में भगवान विश्वकर्मा को इस सृष्टि का प्रथम अभियंता बनाया गया. रावण की सोने की लंका से लेकर खाण्डवप्रस्थ से इंद्रप्रस्थ बनने तक जितने भी विशिष्ट निर्माण हुए हैं. सभी भगवान विश्वकर्मा ने किया है. इस बार 17 सितंबर 2023, दिन रविवार को विश्वकर्मा जयंती मनाई जाएगी. हिंदू पंचांग के अनुसार, पूरे 50 साल बाद इस दिन दुर्लभ संयोग बन रहा है.

भगवान विश्वकर्मा को मिला था ये दायित्व
ज्योतिषाचार्य और आध्यात्मिक गुरु शिव कुमार शर्मा के मुताबिक सृष्टि के आरंभ में ही भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि निर्माण का दायित्व मिला था. भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर माना जाता है. विश्वकर्मा जयंती पर सभी मशीनों और औजारों की पूजा की जाती है. हर साल विश्वकर्मा जयंती कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है, जिसका सनातन धर्म में विशेष महत्व बताया गया है.

विश्वकर्मा जयंती पर कई दुर्लभ संयोग

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, लगभग 50 साल बाद विश्वकर्मा जयंती पर कई दुर्लभ संयोग का निर्माण हो रहा है. इनमें सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत योग, द्विपुष्कर योग और ब्रह्म योग शामिल हैं. मान्यता है कि ये शुभ योग आपकी हर मनोकामना पूरी कर सकते हैं.

  • सर्वार्थ सिद्धि योग – 17 सितंबर 2023, सुबह 06:07 से सुबह 10:02 बजे तक.
  • द्विपुष्कर योग – 17 सितंबर 2023, सुबह 10:02 से सुबह 11.08 बजे तक.
  • ब्रह्म योग – 17 सितंबर 2023, प्रात:काल 04:13 से 18 सितंबर 2023, प्रात:काल 04:28 बजे तक.
  • अमृत सिद्धि योग – 17 सितंबर 2023, सुबह 06:07 से सुबह 10:02 बजे तक.

शिव कुमार शर्मा के मुताबिक ब्रह्म योग ब्रह्मा का ही नाम है और विश्वकर्मा भी ब्रह्मा का नाम है अर्थात यह विश्वकर्मा जयंती विशेष फलदाई है. कहा जाता है कि इस दिन कल पुर्जों ,औजारों, फैक्ट्री की मशीनों की पूजा करने से कल पुर्जे, मशीनरी, औद्योगिक यंत्र, कभी धोखा नहीं देते है. जिन कंपनियों अथवा कारखाने में भगवान विश्वकर्मा की विधि विधान से पूजा होती है. वहां पर कामगारों और श्रमिक वर्ग में हमेशा कार्य कुशलता बढ़ती है. वहां के कर्मकार अपनी निष्ठा से काम करते हैं और कंपनी निरन्तर प्रगति पर बढ़ती है.

विश्वकर्मा पूजा शुभ मुहूर्त
17 सितंबर को पूरे दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाएगी. लेकिन इस दिन पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 15 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस अवधि में पूजन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी.

विश्वकर्मा भगवान की पूजा करने की विधि
सर्वप्रथम प्रातः काल अपनी कार्यक्षेत्र फैक्ट्री और कारखाने में जाएं. पूरे परिसर का साफ सफाई करें पूरब दिशा की ओर एक स्वच्छ स्थान पर चौकी अथवा पटरी पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति लगाएं साथ में नीचे या बडे़ पटरे पर शुद्ध चादर बिछा करके उसपर सारे औजार, यंत्र ठीक प्रकार से रखें. स्वयं या किसी विद्वान के द्वारा गणेश जी की पूजा करके भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करें. धूप दीप, पुष्प, नैवेद्य से पूजा करें. पंचमेवा फल मिष्ठान का भोग लगाएं. सभी यंत्रों में कलावा बांधे और रोली से छींटे लगाएं पुष्प की पंखुड़ियां सभी यंत्र और औजारों पर बिखेर दें.

ओम् विश्वकर्मणे नमः का जाप करें. अथवा किसी ब्राह्मण अथवा विद्वान से भी पूजा करवा सकते हैं या आप स्वयं इसकी प्रत्यक्ष पूजा कर सकते हैं. विश्वकर्मा जी की आरती करें. उसके पश्चात जितने भी कंपनी में कार्य करने वाले व्यक्ति हैं उनको प्रसाद वितरित करें. कंपनी के मालिक अपने मजदूरों को कार्यकर्ताओं को विशिष्ट उपहार, धन आदि देकर संतुष्ट करें.

विश्वकर्मा की आरती इस प्रकार है:
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा ।।
सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥1 ॥
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥2 ॥
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई ॥3 ॥
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना । संकट मोचन बनकर, दूर दु:ख कीना ॥ 4 ॥
जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी । सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी ॥5॥
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे। द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे ॥6॥
भगवान विश्वकर्मा की जो आरती गावे।
ध्यान धरे जब पद का सकल सिद्धि आवे।7।

यह भी पढ़ें-Surya Gochar: सूर्य का कन्या राशि में गोचर, तीन राशियों पर पड़ेगा बुरा प्रभाव

यह भी पढ़ें-Ganesh Chaturthi 2023: मूर्तिकार गणेश प्रतिमाओं को दे रहे अंतिम आकार, जानिए कैसा है इस साल व्यापार

Last Updated :Sep 17, 2023, 6:37 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.