नई दिल्ली: दिल्ली राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण (डीएसएलएसए) द्वारा दिल्ली के सभी सात कोर्ट कॉम्प्लेक्सेज में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. इस दौरान सेक्स वर्कर्स, ट्रांसजेंडर्स, तेजाब पीड़िताओं, दिव्यांगों, वरिष्ठ नागरिकों और उत्तर पूर्व क्षेत्र के लोगों ने भी मामलों का निस्तारण करने में अपनी अहम भूमिका निभाई. इन लोगों को डीएसएलएसए की ओर से लोक अदालत में गठित की गई 63 स्पेशल बेंचेज में एसोसिएट मेंबर के रूप में जगह दी गई.
डीएसएलएसए के सदस्य सचिव मुकेश कुमार गुप्ता ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में 15 तेजाब पीड़िताओं, एक सेक्स वर्कर, 13 वरिष्ठ नागरिक और 14 उत्तर पूर्व क्षेत्र के लोगों को अदालत की बेंच में जजों के साथ एसोसिएट मेंबर बनाया गया. इन लोगों ने भी मामलों का निस्तारण करने के लिए फैसला सुनाने में अपनी राय दी. दोपहर तक लोक अदालत में आए 75 हजार से अधिक मामलों का निस्तारण हो गया था. उन्होंने बताया कि लोक अदालत एक ऐसा प्रयास है, जिसमें दोनों पक्षों की आपसी सहमति के साथ सुलह करा के मामले का निस्तारण किया जाता है. इसके लिए दोनों पक्ष अपनी सहमति देते हैं. उसके बाद लोक अदालत की बेंच द्वारा एक नोटिस जारी कर मामले का निस्तारण कर दिया जाता है.
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लोक अदालत में निपटाए गए मामले को फिर किसी भी कोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि लोक अदालत में जो फैसला होता है, वह अंतिम होता है. इसमें कोई फीस भी नहीं लगती है और यहां मामलों का निस्तारण नि:शुल्क होता है. लोक अदालत में हमेशा ऐसे मामले लिए जाते हैं जो गंभीर प्रकृति के नहीं होते हैं या जो बहुत हल्के मामले होते हैं. इसमें अधिकतर सिविल मामले शामिल होते हैं. साथ ही किसी मामले के कोर्ट में जाने और उसकी फीस जमा होने के बाद यदि दोनों पक्ष अपनी सहमति से मामले को निपटाने के लिए तो उनकी कोर्ट फीस भी वापस कर दी जाती है.
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