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World Schizophrenia Day: विश्व की 10 सबसे खतरनाक बीमारियों में 'सिजोफ्रेनिया' शामिल, जानें इसके लक्षण और अन्य बातें

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Published : May 24, 2023, 1:02 PM IST

Updated : May 24, 2023, 1:52 PM IST

भागदौड़ भरे जीवन में लोग अपने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी नजरअंदाज कर रहे हैं. लेकिन कुछ मानसिक विकार आगे चलकर गंभीर बीमारियों का रूप ले सकते हैं, जिससे व्यक्ति के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. सिजोफ्रेनिया भी ऐसे ही मानसिक बीमारी में से एक है. आइए जानते हैं इसके लक्षण, कारण और कैसे इसका इलाज किया जा सकता है.

World schizophrenia day 2023
World schizophrenia day 2023

नई दिल्ली: आज पूरी दुनिया में लोग मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिनमें से कुछ तो मानसिक रोगी भी हो चुके हैं. लोगों को मानसिक बीमारियों के प्रति जागरूक करने और इनके लक्षणों को समय पर पहचान कर इलाज करने के लिए और उन्हें जागरूक करना जरूरी है. इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) 24 मई को विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस के रूप में मनाता है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, पूरी दुनिया में करीब दो करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं. वर्ष 2023 की सिजोफ्रेनिया की थीम है ,सामूहिक रूप से रोगी की मदद करने की शक्ति का सेलिब्रेशन.

प्रति एक हजार में तीन लोग सिजोफ्रेनिया के शिकार: डॉक्टरों के अनुसार भारत में प्रति एक हजार में से तीन लोग सिजोफ्रेनिया से पीड़ित हैं. यह बीमारी महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक होती है.

शुरूआती लक्षण: विश्वास की कमी, प्रेरणा की कमी, आनंद की भावना में कमी, सीमित बोलना, भावनात्मक अभिव्यक्ति में कमी.

बीमारी होने के बाद लक्षण: दिलशाद गार्डन स्थित मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) के उप चिकित्सा अधीक्षक व वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. ओम प्रकाश बताते हैं कि सिजोफ्रेनिया एक मानसिक विकार है, जो आगे चलकर मानसिक बीमारी का रूप ले लेता है. सिसोफ्रेनिया होने पर मरीज समाज से कट जाता है और वास्तिवकता की बजाय कल्पना में जीने लगता है. व्यक्ति को ऐसी चीजें दिखाई और सुनाई देती हैं, जो वास्तव में होती ही नहीं हैं. डब्ल्यूएचओ ने इसे मनुष्य की क्षमता को नष्ट करने वाली विश्व की 10 सबसे बड़ी बीमारियों में शामिल किया है.

कारण: पारिवारिक तनाव, चिंता, नशे की लत, आनुवांशिक

जानिए सिजोफ्रेनिया के बारे में
जानिए सिजोफ्रेनिया के बारे में

इतने समय में होता है ठीक: डॉ. ओम प्रकाश कहते हैं कि समय पर इलाज शुरू होने पर सिजोफ्रेनिया आठ से 10 महीने में ठीक हो सकता है. आमतौर पर युवा इसकी चपेट में अधिक आते हैं. इस बीमारी के माता-पिता दोनों में होने पर बच्चे को बीमारी का खतरा 60 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. वहीं माता-पिता में से एक को बीमारी होने पर बच्चे में इसका खतरा 15 से 20 प्रतिशत तक होता है.

तीन वजहों से बढ़ रहा मानसिक तनाव-

1. परीक्षाओं को लेकर: इहबास अस्पताल में लोगों की मानसिक समस्याओं के फोन पर समाधान के लिए चलाई जा रही सुविधा टेलीमानस पर आने वाली कॉल्स के अनुसार, दिल्ली के युवाओं में परीक्षाओं को लेकर तनाव देखने को मिलता है. इनमें यूपीएससी परीक्षा में बार-बार फेल होने से लेकर नीट, जेईई, सीटैट, बीएड और बोर्ड परीक्षाओं को लेकर तनाव शामिल है.

2. वित्तीय धोखाधड़ी: इहबास में टेलीमानस की काउंसलर्स माला कपूर और लवलीना बताती हैं कि, हेल्पलाइन पर कई ऐसे मामले आए हैं, जिनमें वित्तीय धोखाधड़ी होने पर व्यक्ति तनाव में आ जाता है और कई बार वह आत्महत्या करने के बारे में भी सोचने लगता है. दिल्ली में इसका मुख्य कारण पैसे की ठगी बन रहा है.

3. वैवाहिक रिश्ते: काउंसलर यह भी बताते हैं कि लोगों में तनाव का तीसरा सबसे बड़ा कारण पति-पत्नी के रिश्ता है. छोटी-छोटी बातों से शुरू होने वाले झगड़े कब तनाव का कारण बन जाता है और व्यक्ति खुद को ही हानि पहुंचाने के बारे में सोचने लगता है, यह खुद उन लोगों को भी नहीं पता होता है.

मानसिक तनाव के लिए इस नंबर पर करें कॉल- डॉ. ओम प्रकाश ने बताया कि कोरोना संकट बाद से लोगों में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं बढ़ी हैं. इसको ध्यान में रखते हुए हेल्पलाइन सेवा शुरू की गई है, जिसका नंबर है 14416. उन्होंने बताया कि इस सुविधा में इनकमिंग के साथ आउटगोइंग भी है. एक बार व्यक्ति इस हेल्पलाइन पर फोन करता है तो काउंसलर्स उसकी काउंसलिंग कर मेंटल सपोर्ट देते हैं. काउंसलर्स को लगता है कि कोई व्यक्ति ज्यादा परेशान है और उसे अधिक काउंसलिंग की जरूरत है तो दो सप्ताह के अंदर काउंसलर्स उसे खुद कॉल करती हैं. व्यक्ति को तब तक फोन किया जाता है जब तक वह पूरी तरह से संतुष्ट महसूस न करे.

आंकड़ें: बता दें कि अक्टूबर 2022 में शुरू होने के बाद से अब तक टेलीमानस पर दिल्ली से 3,700 कॉल आ चुकी है. कॉल करने वाले लोगों में 5.21 प्रतिशत इमरजेंसी, 5.59 प्रतिशत प्रैंक कॉल टेस्ट करने के लिए और 89.20 प्रतिशत रूटीन कॉल शामिल हैं. वहीं दूसरी तरफ इसमें 61.2 प्रतिशत पुरुष कॉलर, 38.60 प्रतिशत महिला कॉलर और 0.19 प्रतिशत अन्य कॉलर शामिल हैं.

टेलीमानस पर आई कॉल्स में समस्याएं और कॉल की संख्या-

लक्षण कॉल की संख्या
उदासी800 से अधिक
नींद की कमी610
एंजाइटी 500
स्ट्रेस320
पारिवारिक समस्या200
सुसाइडल टेंडेंसी150
मेडिकल इश्यू 120
एग्जाम रिलेटेड70
खुद को नुकसान पहुंचाना25
ट्रॉमा के शिकार20

पांच अन्य अस्पतालों में भी मेटल हेल्थ ट्रीटमेंट की सुविधा: बता दें कि इहबास के अलावा दिल्ली के छतरपुर, जहांगीरपुरी, द्वारका, मोतीनगर और तिमारपुर स्थित अस्पतालों में भी मेटल हेल्थ ट्रीटमेंट की सुविधा उपलब्ध है.

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Last Updated : May 24, 2023, 1:52 PM IST
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