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लॉकडाउन को हुआ एक साल जानिए कैसे बदली भारतीय खेलों की दुनिया

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Published : Mar 23, 2021, 2:16 PM IST

ठीक एक साल पहले भारत ही नहीं विश्व स्तर पर खेलों पर कोविड-19 महामारी का प्रकोप पड़ा था जिससे खेलों की चमक फीकी पड़ गई थी.

1 year of lockdown, how it effected indian sports
1 year of lockdown, how it effected indian sports

नई दिल्ली: दर्शकों के बिना मैचों का आयोजन, अभ्यास की बदली परिस्थितियां तथा बायो बबल पिछले एक साल में खेलों के अभिन्न अंग बन गए क्योंकि कोविड-19 और उसके बाद लगाए गए लॉकडाउन के कारण विश्व ही नहीं भारतीय खेलों का हुलिया भी बदल गया है.

ठीक एक साल पहले भारत ही नहीं विश्व स्तर पर खेलों पर कोविड-19 महामारी का प्रकोप पड़ा था जिससे खेलों की चमक फीकी पड़ गई थी. शुरुआती महीनों में तो अचानक ही सब कुछ बंद हो गया. दुनिया में कहीं भी खेल गतिविधियां नहीं चली. खिलाड़ी हॉस्टल के अपने कमरों या घरों तक सीमित रहे और उन्हें यहां तक कि अभ्यास का मौका भी नहीं मिला.

1 year of lockdown, how it effected indian sports
हॉकी स्टिक और गेंद

ओलंपिक सहित कई बड़ी खेल प्रतियोगिताएं स्थगित या रद कर दी गई. लेकिन खेल और खिलाड़ियों को आखिर कब तक बांधे रखा जा सकता था. डर और अनिश्चितता के माहौल के बीच विश्व स्तर पर खेलों की शुरुआत हुई और भारतीय खेलों ने भी धीरे धीरे ढर्रे पर लौटने के प्रयास शुरू किए.

क्रिकेट ने सबसे पहले शुरुआत की. इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) से भारतीय खेलों का आगाज हुआ लेकिन ये टूर्नामेंट भारत में नहीं बल्कि संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में कड़े बायो बबल वातावरण में खेला गया.

IPL शुरू होने से पहले कोविड-19 के कुछ मामले सामने आ गए लेकिन जब टूर्नामेंट शुरू हुआ तो फिर इसका सफलतापूर्वक समापन भी हुआ और इससे ये पता चल गया कि महामारी के बीच बड़ी प्रतियोगिताओं का आयोजन कैसे करना है.

ये अलग बात थी कि कई चीजें बदल गई थीं. जैसे गेंद पर लार नहीं लगाई जा सकती थी, टॉस के समय दोनों कप्तान आपस में हाथ नहीं मिला सकते थे, श्रृंखला के दौरान खिलाड़ी होटल से बाहर नहीं जा सकते और सबसे महत्वपूर्ण मैच खाली स्टेडियमों में खेले जाने लगे.

लेकिन खिलाड़ी मैदान पर उतरने के लिए बेताब थे और इसलिए उन्होंने इन परिस्थितियों को आत्मसात किया. वैसे ऐसे माहौल में खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चर्चा होने लगी. भारतीय कप्तान विराट कोहली ने भी इन्हें चुनौतीपूर्ण परिस्थितियां करार दिया.

कोहली ने इंग्लैंड के खिलाफ वर्तमान श्रृंखला के दौरान कहा था, "आप नहीं जानते कि कब किस तरह के प्रतिबंध लगा दिए जाएं और आपको भविष्य में भी बायो बबल वातावरण में खेलना पड़ेगा. इससे केवल शारीरिक पक्ष ही नहीं बल्कि मानसिक पक्ष भी जुड़ा हुआ है."

भारतीय कोच रवि शास्त्री ने हालांकि कहा कि बायो बबल वातावरण में लंबे समय तक साथ में रहने से खिलाड़ियों के बीच आपसी रिश्ते गहरे हुए हैं.

क्रिकेट से इतर अन्य खेलों ने भी नई परिस्थितियों के साथ आगे बढ़ना सीखा. यही नहीं उन्हें टोक्यो ओलंपिक एक साल के लिए स्थगित किए जाने के कारण अपने कार्यक्रम में भी शूरू से लेकर आखिर तक परिवर्तन करने पड़े.

ओलंपिक खेलों के स्थगित होने का सभी ने स्वागत किया क्योंकि कोई भी ऐसे वायरस के सामने जोखिम नहीं लेना चाहता था जो कई तरह के टीके आने के बावजूद भी नियंत्रण में नहीं आ पा रहा है. टोक्यो ओलंपिक को लेकर हालांकि शुरू से अनिश्चितता बनी रही.

जिन खिलाड़ियों ने ओलंपिक का टिकट हासिल कर दिया था उन्होंने चुपचाप इंतजार किया है लेकिन जिनका टिकट अभी तक पक्का नहीं हो पाया उन्हें अपना मनोबल बनाए रखने के लिए भी संघर्ष करना पड़ा. जैसे कि ओलंपिक कांस्य पदक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल जिन्होंने अभी तक ओलंपिक में अपनी जगह पक्की नहीं की है.

वायरस के कारण साइना कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा नहीं ले पाई. इसके बाद वो वायरस से संक्रमित हो गई और फिर जनवरी में ही वापसी कर पाई. अब आलम ये है कि जुलाई-अगस्त में होने वाले ओलंपिक में जगह बनाने के लिए उन्हें बाकी बचे तीन-चार टूर्नामेंटों में कम से कम क्वार्टर फाइनल में पहुंचना होगा.

मुक्केबाजी में इस महीने के शुरू में स्पेन में एक मुक्केबाज का परीक्षण पॉजीटिव पाए जाने के बाद पूरे भारतीय दल को उसका खामियाजा भुगतना पड़ा.

खिलाड़ियों के लिए अभ्यास करना भी आसान नहीं रहा. विशेषकर कुश्ती और मुक्केबाजी जैसे खेलों में जिनमें संक्रमण से बचने के लिए अभ्यास के लिए साथी रखने की अनुमति नहीं दी गई थी. इसका परिणाम ये रहा कि ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके कई खिलाड़ियों को उन देशों में अभ्यास के लिए जाना पड़ा जहां नियमों में थोड़ा ढिलायी दी गई थी.

इस बीच निशानेबाजों ने दिल्ली विश्व कप से रेंज पर वापसी की. ओलंपिक में भारत को सबसे अधिक उम्मीद निशानेबाजों से ही है. एक साल तक नहीं खेलने के बावजूद भारतीय निशानेबाजों ने प्रभावशाली प्रदर्शन किया है.

ट्रैक एवं फील्ड के एथलीटों, टेबल टेनिस खिलाड़ियों, टेनिस खिलाड़ियों और कई अन्य खेलों से जुड़े खिलाड़ियों की कहानी भी पिछले एक साल में इसी तरह से आगे बढ़ी है. लेकिन ये ओलंपिक वर्ष है और सभी उम्मीद लगाए हुए हैं कि इन खेलों का आयोजन होगा और तमाम बाधाओं के बावजूद भारत इसमें अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगा.

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