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डिएनोसूकस के थे केले के आकार के दांत, नए अध्ययन में पुष्टि

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Published : Aug 16, 2020, 7:22 PM IST

Updated : Feb 16, 2021, 7:31 PM IST

विशाल मगरमच्छ के जीवाश्म नमूनों से नवीनतम अध्ययन ने पुष्टि की है कि डिएनोसूकस (Deinosuchus ) जानवर के दांत केले के आकार जितने बड़े थे. यह जानकारी वेर्ब्रेट पेलियंटोलॉजी के जर्नल में प्रकाशित हुआ था.

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डिएनोसूकस

नई दिल्ली: एक अध्ययन में विशालकाय मगरमच्छ डिएनोसूकस (Deinosuchus ) के जीवाश्म नमूनों की पुष्टि करते हुए इस बात की जानकारी मिली है कि डिएनोसूकस (Deinosuchus) जानवर के दांत केले के आकार जितने बड़े थे, जो डायनासोरों के सबसे बड़े हिस्से को भी नीचे ले जाने में सक्षम थे.

वर्टेब्रेट पेलियोन्टोलॉजी के जर्नल में प्रकाशित इस शोध में विभिन्न प्रकार के खतरनाक मगरमच्छ की प्रजाति के बारे में खुलासा हुआ है. यह दो प्रजातियां हैं, जिसका नाम अमेरिका के पश्चिम में माइनोसुचस हैचरी और डिएनोसूकस (Deinosuchus) रीओग्रैंडेंसिस था.

मोंटाना से लेकर उत्तरी मैक्सिको तक और एक अन्य डिएनोसूकस (Deinosuchus) स्कविमेरी न्यू जर्सी से मिसिसिप्पी के बीच अटलांटिक तटीय मैदान में रहते थे.

डिएनोसूकस (Deinosuchus) 33 फीट तक लंबा होता था. हालांकि अस्तित्व में अब तक की सबसे बड़ी मगरमच्छ पीढ़ी में से एक के रूप में जाना जाता है. यह सबसे बड़ा शिकारी था, यहां तक ​​कि 75-82 मिलियन साल के बीच उनके साथ रहने वाले सबसे बड़े शिकारी डायनासोर भी थे.

अर्कांसस स्टेट यूनिवर्सिटी के न्यूयॉर्क इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ओस्टियोपैथिक कॉलेज के डॉ. एडम कॉस्सेट ने इस खतरनाक जीव पर रोशनी डाली. वह कहते हैं कि डिएनोसूकस (Deinosuchus) एक विशालकाय जीव था, जिसने डायनासोरों को आतंकित किया होगा. हमने जिन नए नमूनों की जांच की है, वे एक विचित्र, राक्षसी दांतों को केले के आकार से प्रकट करते हैं.

टेनेसी विश्वविद्यालय के एक जीवाश्म विज्ञानी और सह-लेखक स्टेफनी ड्रमहेलर-हॉर्टन ने कहा कि डिएनोसूकस (Deinosuchus) एक अवसरवादी शिकारी प्रतीत होता है. हमारे पास वास्तव में डी रिओग्रैंडेंसिस द्वारा बनाए गए काटने के निशान और इस अध्ययन में वर्णित एक प्रजाति के कई उदाहरण हैं.

ब्रूचू कहते हैं कि यह एक अजीब जानवर था. यह दर्शाता है कि मगरमच्छ 'जीवित जीवाश्म' नहीं हैं, जो डायनासोर की उम्र से नहीं बदले हैं. वे किसी अन्य समूह के रूप में विकसित हुए हैं.

डॉ. कॉसेट कहते हैं इस जीव के नाक के सामने दो बड़े छेद, थूथन की नोक पर मौजूद थे. उन्होंने आगे कहा कि यह छेद डिएनोसूकस (Deinosuchus) के लिए अद्वितीय हैं और हमें नहीं पता कि वे किस लिए थे. उन्होंने इस बात की उम्मीद की है कि आगे की शोध में इस रहस्य को सुलझाने में मदद मिलेगी.

Last Updated : Feb 16, 2021, 7:31 PM IST
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